लॉयन न्यूज, श्रीगंगानगर। तीन माह पहले जिला कलक्टर ज्ञानाराम ने तत्कालीन उपखंड अधिकारी कैलाशचंद शर्मा को चिकित्सालय में भेजकर जीएनएम छात्रावास और धर्मशाला हैंडओवर कर शुरू कराने और रिपोर्ट पेश करने को कहा था। तब चिकित्सालय प्रबंधन ने तर्क दिया था कि जीएनएम छात्रावास में अलग से 160 केवीए विद्युत ट्रांसफार्मर स्थापित करना होगा, वर्तमान कनेक्शन का लोड कम है और विद्युत खपत ज्यादा है।

इस पर निगम ने अलग से विद्युत ट्रांसफार्मर तक स्थापित कर दिया। हालांकि धर्मशाला का इस बिजली कनेक्शन से कोई लेना-देना तक नहीं है। बंद धर्मशाला का पिछले कई माह से बिजली का बिल आ रहा है। लेकिन लापरवाही की हद हो गई कि जिला चिकित्सालय परिसर में 180 जीएनएम विद्यार्थियों के निवास करने के लिए चार करोड़ 61 लाख रुपए की लागत से जीएनएम छात्रावास नौ माह पहले और रोगियों के परिजनों की सुविधा के लिए एक करोड़ रुपए से धर्मशाला का निर्माण 11 माह पहले तैयार हो चुका है।

इसके बावजूद इनको हैंडओवर कर चालू नहीं किया जा रहा है। हालांकि 25 दिसंबर 2016 को जिला कलक्टर ने पीएमओ को छात्रावास और धर्मशाला हैंडओवर करने के लिए पाबंद किया था लेकिन चिकित्सालय प्रबंधन ने कोई कार्रवाई नहीं की है।

अब क्या हो रही है दिक्कत
जिला चिकित्सालय में 350 से 400 तक रोगी आईपीडी में भर्ती रहते हैं और रोगी के साथ एक-एक परिजन आता है और इनको रात्रि को ठहरने के लिए चिकित्सालय में कोई व्यवस्था नहीं है। एक निजी धर्मशाला है वहां पर सौ रुपए प्रति दिन के हिसाब से पंखा वाला रूम मिलता है और कूलर वाले रुम का किराया अधिक है।

सरकारी धर्मशाला बनी हुई है लेकिन इसको चिकित्सालय प्रबंधन चालू नहीं कर रहा है। इससे रोगियों के परिजनों को एक करोड़ की धर्मशाला का लाभ नहीं मिल रहा है।