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हम,लॉयन एक्सप्रेस

अहर्निशं जाग्रत:

पहले दो जरूरी बातें।

एक, हम लॉयन हैं बतौर हिंदी उच्चारण। नि:संदेह शेर।

दूसरा, यह जो एक्सप्रेस है-इसका अर्थ अभिव्यक्त होने से है। हालांकि आम-जन जहां से इसे ग्रहण करते हैं, वह स्थान तेज रफ्तार वाली रेल-गाडिय़ों से आगे नहीं निकल पाता और इसलिए यह नाम भी उन्हें किसी तेज रफ्तार की रेल-गाड़ी जैसा ही लग सकता है। वस्तुत: है नहीं। ज्यादा गहरे जाएंगे तो रेल गाडिय़ों  के साथ लगने वाले एक्सप्रेस शब्द का अर्थ भी गति से नहीं जुड़ा है, बल्कि यह तो अभिव्यक्ति है। सारा मामला मुख-सुख का है और हम इसीलिए लॉयन एक्सप्रेस भी कहते आए हैं, लेकिन सही लॉयन एक्सप्रेस है-शेर की तरह निडर, बेखौफ और बेबाक अभिव्यक्त होने वाले।

हम रहे हैं निडर और अडिग। रहेंगे सदा। पत्रकारिता के मूल्यों की रक्षा के लिए हमारा यह अनुष्ठान है। पत्रकारिता के इस दौर में हम खबर के प्रतिबद्ध हैं। खबरदार हैं। हमारे लिए गौण है व्यक्ति। सर्वोपरि हैं खबर। हम किसी के विरुद्ध नहीं लिखते, इसलिए हम किसी का पक्ष भी नहीं लेते। देनी है खबर। हां, लेनी है खबर!

मीडिया-जगत हमारे प्रिंट से पोर्टल तक के इस सफर का साक्षी रहा है। साक्षी है समाज। हम लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की एक ईंट जितने ही सही, आश्वस्त रहें-यह ईंट अपनी जगह से कभी नहीं हटने वाली। हम हमारे साथ जुड़ी हर अपेक्षा को शपथ की तरह उठाते हैं, जिसमें लोकतंत्र की रक्षा का भाव जुड़ा है। लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए हम कृत-संकल्पित हैं।

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