7  नवंबर – 2018
तिथि – अमावस्या 21:3 – 3:49
नक्षत्र  – स्वाति 19:37
करण – चतुष्पाद 09:56
नाग – 21:37
पक्ष – कृष्ण
योग – आयुष्मान 17:58
वार – बुधवार
सूर्योदय – 06: 51:55
सूर्यास्त – 17:49:44

ऋतु – हेमंत

विक्रम सम्वत – 2075

अभिजित – कोई नहीं

राहु काल – 12:18: 13:42

दिशा शूल – उत्तर

चौघडिय़े
लाभ  06:51 – 08:14
अमृत – 08:15 – 09:37
काल  – 09:37 – 11:00
शुभ – 11:00 – 12:30
रोग – 12:30 – 13:42
उद्वेग – 13:42 – 15:04
चल  – 15:05 – 16:27
लाभ  – 16:27 – 17:49
उद्वेग – 17:49 – 19:27
शुभ – 19:27 – 21:05
अमृत –  21:05 – 22:44
चल – 22:44 – 24:22
रोग – 24:22 – 25:58
काल – 25:58 – 27:36
लाभ – 27:36 – 29:14
उद्वेग – 29:14 – 30:52
क्या है दीपावली की मान्यता
दीपावली के बारे में मान्यता है कि भगवान श्री राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या वापसी पर लोगों ने उनका स्वागत घी के दीपक जलाकर किया था। दीपों की रोशनी से अमावस्या की काली रात भी रोशन हो गई थी। इसलिये दीपावली को प्रकाशोत्सव भी कहा जाता है। दीपावली के साथ ही त्यौहारों की शुरूआत हो जाती है और एक के बाद एक कई त्यौहारों से पूरा माहौल खुशमय हो जाता है।
दीपावली की शुरूआत धनतेरस से हो जाती है और भैया दूज के वक्त यह समाप्त होता है। पांच दिनों के इस प्रकाशोत्सव में विभिन्न अनुष्ठानों और नियमों का पालन किया जाता है। इसमें अमावस्या का दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस दिन केवल घर ही नहीं कार्यालयों और व्यावसायिक स्थलों और दुकानों में भी पूजा की जाती है।

दीपावली के साथ ही दीपदान, धनतेरस, गोवर्धन पूजा, भैया दूज आदि त्यौहार मनाये जाते हैं। सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक हर लिहाज से दीपावली बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है। एक ओर यह जीवन में ज्ञान रुपी प्रकाश को लाने वाला पर्व है तो दूसरी ओर सुख-समृद्धि की कामना के लिये भी इससे बढ़कर कोई त्यौहार नहीं, इसलिए दीपावली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि कार्तिक मास की अमावस्या की आधी रात मां लक्ष्मी धरती पर आती हैं और जिस घर में स्वच्छता और शुद्धता होती है, वे वहां निवास करती हैं। लक्ष्मी धन और सुख-संपदा की देवी हैं। हर कोई चाहता है कि उसके घर में लक्ष्मी का वास हो। सभी किसी ना किसी रुप में लक्ष्मी को अपने घर के मंदिर में स्थापित करते हैं, लेकिन अक्सर लोग यह नहीं जानते कि लक्ष्मी की कौन सी प्रतिमा उनके लिए शुभ है।

सुख-समृद्धि के लिए आप किसी भी शुक्रवार को अपने घर में मूर्ति की स्थापना कर सकते हैं। जिन घरों में महालक्ष्मी की सोने या चांदी से बनी मूर्ति रहती हैं वहां गरीबी का वास नहीं होता है। शास्त्रों के अनुसार धन की प्राप्ति के लिए महालक्ष्मी की प्रसन्नता जरूरी है। जिन भक्तों पर महालक्ष्मी की कृपा रहती है उन्हें जीवन में कभी भी धन संबंधी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता। देवी को प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन इनका विधिवत पूजन करना चाहिए। धन से जुड़ी परेशानियों को दूर करने के लिए महालक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु का पूजन करना श्रेष्ठ है। देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं और इसी वजह से विष्णु की पूजा करने से भक्तों पर भी धन की देवी की विशेष कृपा रहती है। जिस घर में सोने या चांदी से निर्मित महालक्ष्मी की मूर्ति होती है वहां देवी लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। भक्त को प्रतिदिन विधि-विधान से चांदी या सोने की मूर्ति का पूजन करना चाहिए। सोना सुख-समृद्धि का प्रतीक है और चांदी महालक्ष्मी की प्रिय धातु मानी गई है। ऐसे में इनसे निर्मित मूर्ति की पूजा करने वाले को कभी भी दरिद्रता का सामना नहीं करना पड़ता है।

 

महालक्ष्मी पूजन के मुहूर्त –

वृश्चिक लग्न- सुबह 7:25 से 9:57

कुंभ लग्न- 1:42 से 3:13

वृष लग्न- 6:16 से 8:15

सिंह लग्न- रात 12:45 से 3:02

घरो में महालक्ष्मी पूजन के मुहूर्त-

प्रदोषकाल – शाम 5:55 से 8:25

स्थिर लग्न वृष – सायं 6:16 से 8:15

सिंह लग्न – रात्रि 12:45 से 3:02

प्रदोष काल – शाम 5:55 बजे से शाम 8:25 बजे
अमावस्या तिथि आरंभ – रात 10:30 बजे से (6 नवम्बर)
अमावस्या तिथि समाप्त – शाम 9.31 (7 नवम्बर)
विशेष मुहूर्त – वृष लग्न प्रदोष काल अमावस्या तिथि
सायं 6:15 से 7:15

सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त

प्रदोष काल का समय गृहस्थ एवं व्यापारियों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है। प्रदोष काल का मतलब होता है दिन और रात्रि का संयोग काल। दिन भगवान विष्णु का प्रतीक है और रात्रि माता लक्ष्मी का प्रतीक है। धर्म सिंधु के अनुसार प्रदोष काल अमावस्या निहित दीपावली पूजन को सबसे शुभ मुहूर्त है।