आज पूर्णिमा और परिधि योग, शत्रु पर विजय मिलेगीं

23  नवंबर, 2018

पंचांग

तिथि – पूर्णिमा 11:14

नक्षत्र – कृत्तिका 16:40

करण –
बव – 11: 14

बालव – 22:10
पक्ष – शुक्ल

योग – परिघ 10:0

वार – शुक्रवार

सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ

सूर्योदय – 07:00

चन्द्रोदय – 18:05

चन्द्र राशि – वृषभ

सूर्यास्त – 17: 43

 

ऋतु- हेमंत

हिन्दू मास एवं वर्ष

विक्रम सम्वत – 2075

मास – कार्तिक

शुभ और अशुभ समय

शुभ समय

अभिजित – 12:00 – 12:48

परिध योग – इस योग में शत्रु के विरूद्ध किए गए कार्य में सफलता मिलती है !

अशुभ समय

राहु काल –10:30 – 12:00

दिशा शूल

दिशा शूल – पश्चिम

परिहार – लस्सी पीकर निकले !

चौघडिय़े

चल – 07:00 – 08:30

लाभ – 08:30 – 10:00

अमृत – 10:00 – 11:30

शुभ – 13:00 – 14:30

चल – 16:30 – 18:00

आज कार्तिक पूर्णिमा पुष्कर स्नान गुरु नानक जयंती भीष्म पंचक समाप्त !

कार्तिक मास में आने वाली पूर्णिमा के दिन कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाती है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की खास पूजा और व्रत करने से घर में यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान और गंगा स्नान का बेहद महत्व है। इस बार यह पूर्णिमा 23 नवंबर को है. इसी पूर्णिमा के दिन सिखों के पहले गुरु नानक जी का जन्म हुआ था, जिसे विश्वभर में गुरु नानक जयंती के नाम से मनाया जाता है. इस जयंती को गुरु पर्व और प्रकाश पर्व भी कहते हैं। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा और गंगा स्नान की पूर्णिमा भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था। इसी वजह से इसे त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इसी के साथ कार्तिक पूर्णिमा की शाम भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार उत्पन्न हुआ था. साथ ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है. मान्यता है कि गंगा स्नान के बाद किनारे दीपदान करने से दस यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है. मान्यता है कि कार्तिक मास की पूर्णिमा को दीप जलाने से भगवान विष्णु की खास कृपा मिलती है. घर में धन, यश और कीर्ति आती है. इसीलिए इस दिन लोग विष्णु जी का ध्यान करते हिए मंदिर, पीपल, चौराहे या फिर नदी किनारे बड़ा दिया जलाते हैं. दीप खासकर मंदिरों से जलाए जाते हैं. इस दिन मंदिर दीयों की रोशनी से जगमगा उठता है. दीपदान मिट्टी के दीयों में घी या तिल का तेल डालकर करें।
पूर्णिमा की कथा

पौराणिक कथा के मुताबिक तारकासुर नाम का एक राक्षस था. उसके तीन पुत्र थे – तारकक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली. भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिक ने तारकासुर का वध किया. अपने पिता की हत्या की खबर सुन तीनों पुत्र बहुत दुखी हुए. तीनों ने मिलकर ब्रह्माजी से वरदान मांगने के लिए घोर तपस्या की. ब्रह्माजी तीनों की तपस्या से प्रसन्न हुए और बोले कि मांगों क्या वरदान मांगना चाहते हो. तीनों ने ब्रह्माजी से अमर होने का वरदान मांगा, लेकिन ब्रह्माजी ने उन्हें इसके अलावा कोई दूसरा वरदान मांगने को कहा।

तीनों ने मिलकर फिर सोचा और इस बार ब्रह्माजी से तीन अलग नगरों का निर्माण करवाने के लिए कहा, जिसमें सभी बैठकर सारी पृथ्वी और आकाश में घूमा जा सके। एक हज़ार साल बाद जब हम मिलें और हम तीनों के नगर मिलकर एक हो जाएं, और जो देवता तीनों नगरों को एक ही बाण से नष्ट करने की क्षमता रखता हो, वही हमारी मृत्यु का कारण हो. ब्रह्माजी ने उन्हें ये वरदान दे दिया.

तीनों वरदान पाकर बहुत खुश हुए ब्रह्माजी के कहने पर मयदानव ने उनके लिए तीन नगरों का निर्माण किया. तारकक्ष के लिए सोने का, कमला के लिए चांदी का और विद्युन्माली के लिए लोहे का नगर बनाया गया। तीनों ने मिलकर तीनों लोकों पर अपना अधिकार जमा लिया। इंद्र देवता इन तीनों राक्षसों से भयभीत हुए और भगवान शंकर की शरण में गए. इंद्र की बात सुन भगवान शिव ने इन दानवों का नाश करने के लिए एक दिव्य रथ का निर्माण किया।

इस दिव्य रथ की हर एक चीज़ देवताओं से बनीं. चंद्रमा और सूर्य से पहिए बने. इंद्र, वरुण, यम और कुबेर रथ के चाल घोड़े बनें. हिमालय धनुष बने और शेषनाग प्रत्यंचा बनें. भगवान शिव खुद बाण बनें और बाण की नोक बने अग्निदेव. इस दिव्य रथ पर सवार हुए खुद भगवान शिव भगवानों से बनें इस रथ और तीनों भाइयों के बीच भयंकर युद्ध हुआ. जैसे ही ये तीनों रथ एक सीध में आए, भगवान शिव ने बाण छोड़ तीनों का नाश कर दिया. इसी वध के बाद भगवान शिव को त्रिपुरारी कहा जाने लगा। यह वध कार्तिक मास की पूर्णिमा को हुआ, इसीलिए इस दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा नाम से भी जाना जाने लगा !

आज के दिन क्या विशेष करे !

सुबह उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें।
अगर पास में गंगा नदी मौजूद है तो वहां स्नान करें.
भगवान विष्णु की पूजा करें.
श्री विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करें

आज का दिन और राशियों पर प्रभाव

मेष – सामान्य
वृषभ – शुभ
मिथुन – अशुभ
कर्क – शुभ
सिंह – शुभ
कन्या – सामान्य
तुला –अशुभ
वृश्चिक – सामान्य
धनु – शुभ
मकर – सामान्य
कुंभ – अशुभ
मीन – शुभ

कौनसी राशि में बैठे हैं कौन से ग्रह

सूर्य – वृश्चिक
चंद्रमा – वृषभ
मंगल – कुंभ
गुरु – वृश्चिक (अस्त)
शुक्र – तुला
बुध – वृश्चिक ( अस्त वक्री )
शनि – धनु
राहु – कर्क
केतु – मकर