दूसरे चरण में इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
लॉयन न्यूज,बीकानेर,25 अप्रैल। कल राजस्थान सहित देशभर में दूसरे चरण के चुनाव होने है। प्रदेश की 13 सीटों सहित देशभर की 88 लोकसभा सीटों पर कल चुनाव होने है। प्रथम चरण में हुए कम वोटिंग केा लेकर चुनाव आयोग के साथ-साथ भाजपा भी चिंता में है और दूसरे चरण में ज्यादा वोटिंग के लिए जुटे हुए है।
राजस्थान में दूसरे चरण में 13 सीटों पर चुनाव होने है। जिसमें उदयपुर, राजसमंद, बांसवाड़ा, कोटा, जोधपुर,टोंक-सवाई माधोपुर,जालोर-सिरोही, पाली, बाड़मेर, अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौडग़ढ़, झालावाड़-बारां शामिल है। जिनमेंं बाड़मेर, कोटा और बांसवाड़ा हॉट सीट बनी हुई हैं।
राजस्थान में लोकसभा स्पीकर,भाजपा प्रदेशाध्यक्ष,पूर्व सीएम अशोक गहलोत,पूर्व सीएम वसुंधरा राजे,दो केन्द्रीय मंत्री,पाला बदलकर आने वाले नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है।

 

बाड़मेर-बालोतरा-जैसलमेर सीट पर केन्द्रीय मंत्री कैलाश चौधरी और युवा नेता निर्दलीय विधायक रविन्द्र सिंह भाटी की प्रतिष्ठा दांव पर है। इस सीट पर दिल्ली की सीधी नजरें और यह सीट हॉट सीट में से एक है। जहां पर भाजपा ने अपनी पुरी ताकत प्रचार के दौरान झोंक दी थी। कैलाश चौधरी मोदी सरकार में मंत्री है और उनके सामने दोहरी चुनौती है। वहीं रविन्द्र सिंह भाटी ने इस सीट को त्रिकोणीय बना दिया है। कांग्रेस से उम्मेदराम बेनीवाल भी अपनी जोड़ बाकी में लगे हुए है।

 

जोधपुर सीट पर भी भाजप की प्रतिष्ठा दांव पर है। जहां पर तीसरी बार जीतने के लिए केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र ङ्क्षसह प्रयासरत है तो वहीं दूसरी और कांग्रेस ने राजपूत समाज से आने वाले करण सिहं को टिकट दिया है। ऐसे में इस बार गजेन्द्र सिंह को चुनावी प्रचार में खासी मशक्कत करनी पड़ी थी।

जालौर सिरोही से पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत मैदान में है। वैभव ने बीते चुनावों में गजेन्द्र ङ्क्षसह शेखावत के सामने जोधपुर से चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए। ऐसे में चुनौती है उनको अपनी सफलता बताने की। वहीं उनके पिता पूर्व सीएम गहलोत की भी प्रतिष्ठा दांव पर है क्योंकि गहलोत को मारवाड़ का गांधी कहा जाता रहा है। हालांकि इस चुनाव में गहलोत का पुरा परिवार चुनाव प्रचार में दिखा और वैभव की पत्नी ने कई बार अपने अनूठे अंदाज से सुर्खियां भी बंटोरी।

बांसवाड़ा की सीट पर भी इस बार मुकाबला रोचक है। जहां पर भारतीय आदिवासी पार्टी और कांग्र्रेस में गठबंधन है और बीएपी के राजकुमार रोत गठबंधन के उम्मीदवार है तो दूसरी और पाला बदलकर भाजपा में शामिल हुए महेन्द्रजीत ङ्क्षसह मालवीय भाजपा के उम्मीवार है। आदिवासी क्षेत्र की इस सीट पर गठबंधन के बावजूद कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में यूथ कांग्रेस के अरविन्द्र उम्मीदवार है। प्रदेश में चुनावी माहौल में सभवत यह पहला मौका है जब कांग्रेस के पदाधिकारी ही अपनी पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ प्रचार में जुटे रहें। वहीं पाला बदलकर आए मालवीय इस क्षेत्र के बड़े नेता माने जाते रहें और उनकी प्रतिष्ठा भी दांव पर है।

कोटा सीट पर भी इस बार भाजपा के सामने पुराने भाजपाई है। यहां पर भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस से ज्यादा प्रहलाद गुंजल की प्रतिष्ठा दांव पर है। भाजपा ने इस सीट पर लोकसभा स्पीकर और बेहद सरल माने जाने वाले ओम बिरला को मैदान में उतारा है तो वहीं दूसरी और भाजपा छोड़कर कांग्रेस में गए प्रहलाद गुंजल कांग्रेस से उम्मीदवार है। दोनो ही नेताओं के सामने अपनी प्रतिष्ठा सिद्ध करने का चैलेंज है हालांकि गुंजल लगातार चुनावी प्रचार में बिरला पर हमलावर रहें थे।

चित्तौडग़ढ़ से भाजपा के प्रत्याशी सीपी जोशी है। जो कि वर्तमान में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष है। इस सीट पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के सामने कांग्रेस से गहलोत सरकार के पूर्व मंत्री उदयलाल आंजना खड़े हुए हैं। यहां विधानसभा चुनाव में पहले चंद्रभान सिंह आक्या और उनकी अदावत चल रही थी। आक्या का टिकट कटने के बाद उन्हें विधानसभा चुनाव में निर्दलीय के रूप में जीत मिली थी। इस तरह के समीकरणों से जोशी की राह आसान नहीं दिख रही। हालांकि आक्या और जोशी के बीच सुलह हो गयी लेकिन ये तो परिणामों ही पता चल पाएगा की कितना साथ मिला है। वहीं दूसरी और कांग्रेस की ओर से पूर्व मंत्री अशोक चांदना, शांति धारीवाल, विधायक हरिमोहन शर्मा, सीएल प्रेमी, चेतल पटेल और राखी गौतम ने स्थानीय नेताओं के रूप में मोर्चा संभाल रखा है।

कांग्रेस के लिए यह सीट बेहद चुनौतीपूर्ण है। क्योकि इस सीट पर पहले तो कांग्रेस ने प्रत्याशी को बदला और फिर सीपी जोशी को टिकट देकर मैदान में उतारा। माना जाता रहा है कि यहां पर ब्राह्माण और वैश्य जाति ही हार जीत तय करती है। सीपी जोशी विधानसभा अध्यक्ष के साथ-साथ कई बड़े पदों पर रहें है। जोशी कांग्र्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शामिल है। ऐसे में उनकी प्रतिष्ठा भी दंाव पर है। यहां पर भाजपा ने दामोदर अग्रवाल को मैदान में उतारा है। ये लोकसभा क्षेत्र भी उनमें से है, जहां भाजपा का प्रत्याशी कोई भी हो, लेकिन चेहरा और मुद्दा मोदी ही बने हुए हैं।

झालावाड़-बारां लोकसभा सीट को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का गढ़ माना जाता है। वे खुद यहां से 5 बार सांसद रही हैं। वहीं उनके बेटे और बीजेपी प्रत्याशी दुष्यंत सिंह यहां से 4 बार के सांसद हैं। पार्टी ने 5वीं बार यहां से उन्हें प्रत्याशी बनाया है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की गुडविल और उनके क्षेत्र में कराए गए कामों की बदौलत लोग उनके बेटे दुष्यंत सिंह को खुलकर समर्थन दे रहे हैं।
कांग्रेस से पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला जैन भाया मैदान में हैं। बारां जिले में भाया परिवार का दबदबा है।झालावाड़-बारां संसदीय क्षेत्र में कुल 8 विधानसभा सीटें आती हैं। जिसमें से 7 सीटें फिलहाल बीजेपी के पास हैं। इन तमाम समीकरणों के चलते इस संसदीय सीट पर बीजेपी के दुष्यंत सिंह मजबूत माने जा सकते हैं।