नहीं रहे अमर सिंह राठौड़ रम्मत के ‘लखनऊ के नवाब’

लॉयन न्यूज, बीकानेर। आचार्यों के चौक की वीर रस प्रधान अमर सिंह राठौड़ की रम्मत में ‘लखनऊ के नवाब’ की भूमिका निभाने वाले पुरुषोत्तम दास आचार्य ‘पेंटर कालेश’ का गुरुवार प्रातः आकस्मिक निधन हो गया। वे लगभग 70 वर्ष के थे। वे मां चामुंडा भैरवनाथ नाट्य कला संस्था के संस्थापक अध्यक्ष थे। उन्होंने लगभग पांच दशकों तक ‘लखनऊ के नवाब’ की भूमिका निभाई।पेंटर कालेश का गुरुवार को ही चौखुटी स्थित शमशान गृह में अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनके पुत्र ने उन्हें मुखाग्नि दी। मां चामुंडा भैरवनाथ नाट्य कला संस्थान के सचिव विप्लव व्यास ने बताया कि संस्था द्वारा रविवार सायं 4 बजे आचार्य के चौक स्थित रघुनाथ मंदिर में पेंटर कलेश को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। उनके निधन से लोक नाट्य कला प्रेमियों में शोक की लहर फैल गई। अमर सिंह राठौड़ रम्मत के उस्ताद पंडित दीनदयाल आचार्य ने उनके निधन को अपूरणीय क्षति बताया है।

आचार्य बीते कुछ समय से ह्दय रोग से जूझ रहे थे। उनका अंतिम संस्कार गुरूवार को आचार्य जाति के पैतृक श्मशानगृह चौखूंटी पर किया गया। एक पुत्र, दो पुत्रियों सहित भरा-पूरा परिवार छोड़ गए आचार्य ने रम्मत को देश-दुनिया में मान दिलाने के लिए संस्थागत रूप से भी बड़ी पहल की। वे मां चामुंडा, भैरवनाथ कला मंडल के संस्थापक अध्यक्ष बने। दिल की बीमारी के कारण अभी वे ‘अखाड़े’ में खुद बतौर कलाकार नहीं उतरते लेकिन सभी कलाकारों को मांजने-तराशने के काम में जुटे थे। कुछ दिन पहले ही होली पर हुई रम्मत में वे पूरी तरह सक्रिय रहे। रातभर मंच पर मौजूद रहकर निर्देश देते रहे।

‘वीर’ और ‘श्रृंगार’ के बीच अपनी अदा से हास्य पैदा किया :

दरअसल अमरसिंह राठौड़ की रम्मत मूलतः वीर रस केन्द्रित है। इसमें हाड़ी रानी के प्रसंग से श्रृंगार रस का सांगोपांग मिश्रण किया गया। ऐसे में बीसियों पात्रों के बावजूद अमरसिंह, बादशाह, हाडी रानी, रामसिंह जैसे पात्र ही केन्द्र बिन्दु होते हैं। इन सबके बीच में ‘लखनऊ के नवाब’ के एक छोटे-से पात्र को पेंटर कालेश ने अपनी अदाकारी से ऐसा जीवंत किया कि उन्हें देखने-सुनने के लिए लोग रात-रातभर जागने लगे। वीर और श्रृंगार के बीच ही उन्होंने रम्मत में हास्यरस को प्रभावी बना दिया। यही वजह है कि इस कलाकार के निधन की खबर बीकानेर में जिसने भी सुनी उनके मुंह से निकला ‘लखनऊ के नवाब नहीं रहे।’