त्वरित टिप्पणी/हरीश बी.शर्मा

भाजपा की आज जारी हुई दूसरी सूची ने बीकानेर की फिजां को बदल कर रख दिया। टिकट की आस छोड़ चुकी सिद्धिकुमारी को देखकर पहली बार लगा कि मिली हुई चीज के छीन जाने की आशंका और फिर आशंका का निर्मूल साबित होना, किसे कहते हैं। यही सिद्धि कुमारी थी, जिसके पास पहली बार टिकट मिलने पर वोटर-आईडी नहीं था, वह पत्रकारों से बात करते हुए कह रही थी कि वह चाहती है कि चौथी बार भी चुनी जाए। इस आशंका से बेपरवाह कि टीम महावीर रांका उनकी टिकट कटवाने के लिए आमादा है। पांच बजे भाजपा कार्यालय में पत्रकारों को बुलाया गया और साढ़े पांच बजे महावीर रांका के कार्यालय में पत्रकारों को बुलावा था।

जाहिर सी बात थी, रांका के यहां बड़े विस्फोट की खबरें थी। कहीं से किसी ने निर्दलीय चुनाव लडऩे की सुरसुरी छोड़ी तो किसी ने अंदर की बात बताते हुए नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, ‘कांग्रेस वाले टिकट लेकर तैयार हैं…’। हुआ यह कि बड़ी पार्टी के दो प्रत्याशियों को पंद्रह मिनिट में सलटा कर महावीर रांका के कार्यालय पहुंची प्रेस को पता चला कि यहां रांका बात नहीं करने वाले हैं। लेकिन बात करने वालों में बड़े-बड़े नाम। जैन समाज के दिग्गज प्रतिनिधि। जयचंदलाल डागा, हंसराज डागा, विनोद बोथरा, सी.के.हर्ष जैसे प्रतिष्ठित चेहरे। फिर ओम राजपुरोहित जैसे भाजपा के निष्ठावान नेता। सिर्फ यही नहीं, भाजपा के अनेक पदाधिकारी, नेता और पार्षदों का हुजूम यहां नारे लगा रहा था।

 

यहां नारे लगाने का औचित्य जब प्रेस वालों ने पूछा तो जवाब नहीं मिला। अलबत्ता, पत्रकारों से बात करते हुए ओम राजपुरोहित ने साफ कहा कि टीम महावीर रांका चाहती है कि पूर्व के टिकट पर पुनर्विचार हो। बात निकली तो दूर तक चली गई। किसी ने कहा कि रांका ने कोरोना काल में इतनी सेवा की है, टिकट उन्हें मिलनी चाहिए। जैन समाज के नेताओं का कहना था कि जैन समाज को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए था। कार्यकर्ता तैश में थे। परेशान थे, लेकिन निराश नहीं थे। कहा जा सकता है कि उनके मन में कुछ पक रहा था। पूछने पर सभी का एक ही जवाब, वक्त आने दो, सब सामने आ जाएगा।

 

भाजपा के कुछ पदाधिकारी और पार्षद तो खुलकर रांका के समर्थन में दिखाई दे रहे थे। यहां सब कुछ महावीर रांका का था, लेकिन महावीर रांका नदारद थे। रांका के खास माने जाने वाले पवन महनोत जरूर सभी गतिविधियों पर नजर बनाए हुए रिपोर्टिंग कर रहे थे।
जेठानंद व्यास के टिकट की घोषणा होते ही उनके भाई दुर्गाशंकर पूनरासर के लिए पैदल ही रवाना हो गए। अलबत्ता, जेठानंद व्यास के तरीके में कोई फर्क नहीं आया। एक खुली जीप कहीं से उनके लिए आई भी, लेकिन उन्होंने अपने चार्जर शुदा मोबाइल के साथ ही बाइक के पीछे बैठे-बैठे भाजपा कार्यालय में प्रवेश किया। कल तक वे खुद बाइक चला रहे थे, आज पीछे बैठ गए थे। वैसे तो जिस दिन भाजपा का सदस्यता अभियान नहीं होने के बावजूद जेठानंद व्यास को भाजपा का सदस्य बनाने के निर्देश संगठन के पास आए। दावेदारों के तोते सूख गए थे।

 

 

फिर दो दिन पहले भाजपा-संघ की समन्वय बैठक में उन्हें बुलाने के साथ ही फाइनल-सा हो गया था, लेकिन आज सुबह से फिजां में पहले नाम सिद्धिकुमारी का तैरने लगा तो आशंका फिर बढ़ गई कि भाजपा पश्चिम विधानसभा को अभी होल्ड पर रखेगी, लेकिन सारे सीटिंग एमएलए टिकट पा गए। ताराचंद सारस्वत संघ के खाते में पहले ही चढ़ गए थे। संघ ने जेठानंद व्यास को भी टिकट दिला दिया। शहर में चर्चा है कि ‘लॉयन एक्सप्रेसÓ ने तो पहले ही कह दिया था कि संघ से अगर कोई दावेदारा होगा तो उसे टिकट मिलना तय है।