लॉइन न्यूज,बीकानेर। कादम्बिनी क्लब के मासिक कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इंजीनियर निर्मल शर्मा ने कहा कि यह क्लब दिनों दिन रचनात्मक सृजन की और अग्रसर है इस क्लब से जुडे शहर के सभी तबके से रचनाकार अपनी सृजन यात्रा से बीकानेर का नाम उज्ज्वल कर रहे हैं । इंजीनियर शर्मा ने एक भक्ति गीत की प्रस्तुति भी दी । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि चैन्नई प्रवासी पं. जमनादास सेवग ने कहा कि इस कार्यक्रम में प्रस्तुत रचनाओं ने लोक संस्कृति की याद ताजा कर दी। एक से एक बढकर रचनाओं से मुझे बीकानेर के साहित्य सृजन पर गर्व हो रहा है।

विशिष्ठ अतिथि सखा संगम के अध्यक्ष एन.डी.रंगा ने कहा मुझे इस क्लब की गतिविधियां अच्छी लगी अतरू मैने तुरंत इसकी सदस्यता ग्रहण कर ली। उत्कृष्ट कोटि की रचनाओं ने बीकानेर के साहित्य को उंचाईयां प्रदान की है।   इससे पहले क्लब के संयोजक डॉ.अजय जोशी ने स्वागत उद्बोधन देते हुए अतिथियों का परिचय कराया और वर्ष भर में होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा रखी। काव्यगोष्ठी की शुरुआत नव कवयित्री ज्योति वधवा रंजनां ने उगता सूरज सभी को भाए, भाए न घोर अन्धकार । माटी का ये पूतला है, सोच समझ कर चढ परवान, मत कर रे अभिमान तूं बन्दे मत कर रे अभिमान, कवि.कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने अपनी गजल से लोग कहते हैं कि पैसा हाथ का ही मेल है, खूब धो, हाथ लेकिन हाथ कुछ आया नहीं सुनाकर तालियां बटोरी।

एम.एल.जांगिड ने चुनाव पर अपनी ताजा रचना पास 199 बाकी सारे फेल हैं गिरीराज पारीक ने आतंकवाद पर अपनी रचना इसे अमेरिका और पाकिस्तान ने पनपाया है, कमलकिशोर पारीक ने बचपन भोला होता है, पुखराज सौलंकी ने रोशनी की तलाश में भटक रहा है बचपन, इंजीनियर हनुमंत गौड ने, मैं तो कुछ चाहता ही नहीं था तुमने कहा मांग दुआओं में, गजल तरन्नुम में प्रस्तुत कर वाह.वाही लूटी। वरिष्ठ रंगकर्मी बी.एल.नवीन ने 1961 में खेले गए नाटक डेढ़ रोटी का सवाद का संवाद सुनाकर अदालत के परिदृष्य को जीवंत कर दिया।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए व्यंग्य कवि बाबुलाल छंगाणी ने ठेठ बीकानेरी कविता आंख मींच अन्धारी कर भले ही सीरे ने पन्धारी कर सुनाकर गजब की तालियां बटोरी । कार्यक्रम में शैलेन्द्र सरस्वती, श्रीमती कृष्णा वर्मा, प्रकाशचन्द्र वर्मा, सरदार अली पडिहार, जब्बार बीकाणवी, धर्मेन्द्र राठौड, ने भी अपनी रचनाओं से सराबोर किया।अगले चरण में लोक कला मर्मज्ञ पं. जमनादास सेवग का क्लब की तरफ से सम्मान किया गया उन्हें श्लोक कला संस्कृति सम्मान से विभूषित किया गया। सम्मान में पुष्प मालाएंए सम्मान.पत्र, सम्मान पट्टिका और श्रीफल अर्पित किया गया। डॉ.महेन्द्र चाडा, चित्रकार मुरलीमनोहर माथुर, अरविन्द उभा साक्षी बने। सभी के प्रति आभार नरसिंह बिन्नानी ने ज्ञापित किया।