लॉयन न्यूज,नेटवर्क,4 जून।
ओडिशा के बालासोर जिले में हुए ट्रेन हादसे को लेकर रेलवे बोर्ड ने तमाम बातों को लेकर रविवार (4 जून) को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान रेलवे बोर्ड के दो अधिकारियों सिग्नल संबंधी प्रधान कार्यकारी निदेशक संदीप माथुर और संचालन सदस्य जया वर्मा सिन्हा ने दुर्घटना के कारणों और कवच प्रणाली के बारे में जानकारी दी। इस दुर्घटना में अब तक 275 लोग मारे गए और 1,000 से अधिक घायल हो गए है।
रेलवे ने बताया कि बालासोर का बहनागा बाजार स्टेशन, जहां ये दुर्घटना हुई वहां एक चार-लाइन वाला स्टेशन है। यहां बीच में दो मुख्य लाइनें और दोनों तरफ दो लूप लाइनें हैं। दोनों लूप लाइनों पर लोहे के सामान से लदी मालगाडिय़ां थीं। कोरोमंडल एक्सप्रेस हावड़ा से चेन्नई जा रही थी और बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस हावड़ा आ रही थी। अधिकारियों ने बताया कि दोनों मुख्य लाइनों पर ग्रीन सिग्नल था।

 

जया वर्मा ने कवच की अनुपस्थिति पर कहा कि इस दुर्घटना का कवच से कोई लेना-देना नहीं था क्योंकि ये इस तरह की दुर्घटना को टालने में मददगार नहीं होता। दुनिया की कोई भी तकनीक कुछ दुर्घटनाओं को नहीं रोक सकती है। अगर लोको पायलट ब्रेक लगाने में विफल रहता है तो कवच प्रणाली के तहत स्वचालित रूप से ब्रेक लग जाते हैं, जिससे गति नियंत्रित हो जाती है।

 

जया वर्मा सिन्हा ने कहा कि सिग्नल के कारण समस्या हुई होगी। हालांकि अभी कुछ भी प्रमाणित नहीं कर सकते हैं, जांच के बाद ही सब साफ हो पाएगा। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी कहा है कि दुर्घटना इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में समस्या के कारण हुई थी।

 

रेलवे अधिकारी ने कहा कि बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी शुक्रवार (2 जून) शाम को लगभग सात बजे ओडिशा के बालासोर में बाहानगा बाजार स्टेशन के निकट आपस में भिड़ गई थीं। उन्होंने कहा कि दुर्घटना केवल एक ट्रेन के कारण हुई, वह कोरोमंडल एक्सप्रेस थी। कोरोमंडल मालगाड़ी से टकरा गई और उसके डिब्बे मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गए. इसी दौरान कोरोमंडल के कुछ डिब्बे तीसरे ट्रैक में बेंगलुरु-हावड़ा से भी टकरा गए।