लाहौर। दो दशक से भी अधिक समय से पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में बंद किरपाल सिंह की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई है। किरपाल सिंह जासूसी के आरोप में जेल में बंद था। 50 वर्षीय किरपाल 1992 में कथित रूप से वाघा बॉर्डर पार कर पाकिस्तान चला गया था।

किरपाल सिंह पर आरोप था कि वह पाकिस्तान के फैसलाबाद रेलवे स्टेशन पर हुए सीरियल बम धमाकों में शामिल था। कोर्ट ने उसे जासूसी और आतंकवाद का दोषी मानते हुए मौत की सजा सुनाई थी।

एक अधिकारी के अनुसार किरपाल सिंह का शव उसकी बैरक में मृत पाया गया, जिसके बाद उसके शव को लाहौर के जिन्ना अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। वहीं एक अन्य अधिकारी के मुताबिक किरपाल ने कैदियों से सीने में दर्द की शिकायत की थी और उसके बाद किरपाल की मौत हो गई। हालांकि मौत के बारे में पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के बाद ही सच्चाई सामने आ सकेगी। इस मामले में मजिस्ट्रेट ने अन्य कैदियों के बयान लिए हैं।

गौरतलब है कि किरपाल सिंह पंजाब के गुरदासपुर का रहने वाला था। लाहौर कोर्ट ने उसे बरी कर दिया था, लेकिन अज्ञात कारणों से उसकी फांसी की सजा केा खत्म नहीं किया था।

इस मामले में किरपाल सिंह की बहन का कहना है कि गरीबी के कारण उनका परिवार किरपाल की रिहाई के लिए आवाज नहीं उठा सका। हमने 24 साल तक उसका इंतजार किया। उन्होंने किरपाल के शव को सौंपने की मांग की है।

गौरतलब है कि इससे पहले 2013 में कोट लखपत जेल में ही बंद भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की मौत हो गई थी। सरबजीत पर दो अन्य कैदियों ने हमला कर दिया था।