बहुत समय पहले की बात है। एक गांव में एक अमीर आदमी रहता था। वह चाहता था कि उसका बेटा भी पढ़-लिखकर सारा कारोबार संभाले। उसने अपने दोस्तों और आस-पास के सभी गांव में कह दिया कि अगर कोई अच्छा शिक्षक है, जो मेरे बेटे को अच्छे से पढ़ा सकता है तो कृपया मुझे बताएं। कुछ दिनों बाद उनके एक मित्र ने उनके पास एक व्यक्ति को भेजा। उन्होंने उस व्यक्ति से केवल कुछ देर ही बात की और उसकी डिग्रियां और सर्टिफिकेट देखे बिना ही उसे जाने के लिए बोल दिया। अगले ही दिन उनके पास एक और लड़का आया। वह उम्र में छोटा था, ना ज्यादा डिग्रियां थी और ना ही ज्यादा अनुभव। परन्तु उसके उसे अपने बेटे को पढ़ाने के लिए रख लिया। उसके दोस्त को जब यह बात पता चली तो गुस्से में अपने मित्र के घर गया और इसका कारण पूछा।

अमीर आदमी ने उससे कहा कि जिस व्यक्ति को तुमने मेरे पास भेजा था वह मेरे कमरे में सीधा आया, बिना पूछे कुर्सी पर बैठ गया और तुमसे जान-पहचान होने की बातें बताने लगा। उसने एक बार भी अपनी योग्यता को बताना जरूरी नहीं समझा। लेकिन जिसे मैंने अपने बेटे को पढ़ाने के लिए रखा, वह मुझसे पूछकर कमरे में आया। उसने बिना बातों को घुमाए मेरे प्रश्नों का संक्षिप्त उत्तर दिया। उसने मेरे से किसी प्रकार की कोई खुशामद या किसी की कोई सिफारिश नहीं की। उसे खुद पर विश्वास था कि उसे यह नौकरी मिल जाएगी और वह मेरे बेटे को अच्छे से पढ़ा पाएगा। यह बात सुनकर मित्र निरुत्तर हो गया।