लॉयन न्यूज, नेटवर्क। एक कहावत है की ‘जैसी दृष्टि, वैसी सृष्टि’। अगर अगर इस दृष्टि में ही कोई विकार उत्पन्न हो जाये तो सारी सृष्टि ही व्यर्थ सी होने लगती है। इसलिए ही आज हम लायें हैं आखों की सेहत से जुड़ी खास जानकारी।
यूं तो कुदरत ने ही हमारी आंखों के लिए ऑटो क्लिन और ऑटो इम्युन सिस्टम बनाया है लेकिन आज की तनावपूर्ण और गैजेट्स से भरी जीवनशैली के चलते सबसे ज्यादा दबाव आंखों पर ही पड़ रहा है। इसके साथ ही डाइबिटीज जैसी सामान्य होती जा रही बीमारी भी आंखों की सेहत के लिए एक खतरा साबित हो रही है।

जानकारों का मानना है कि दृष्टि विकारों से बचने के लिए सर्दी के मौसम में कच्ची सब्जियों जैसे गाजर, पत्तागोभी का सेवन अधिकाधिक करना चाहिए। लेकिन इसी के साथ ही रोचक जानकारी ये है कि अगर आप नजर कमजोर होने की मुश्किल से जुझ रहे हैं तो आपके लिए शिमला मिर्च भी किसी तोहफे से कम नहीं है। शिमला मिर्च तो हर किसी ने देखा होगा, खाया भी होगा लेकिन आप इसके एक नायाब गुण के बारे में कतई नहीं जानते होंगे। मोतियाबिंद (कैटरेक्ट) और मैक्यूलर डीजनरेशन जैसी समस्याओं को रोकने के लिए शिमला मिर्च बड़ी ख़ास होती है।

शिमला मिर्च में ल्यूटीन और जि़एक्सजेन्थीन, ये दो ऐसे नेचुरल कंपाउंड्स हैं जो आंखों की सेहत के लिए बड़े ही महत्वपूर्ण हैं।
ये दोनों कंपाउंड्स बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट्स हैं और आंखों की सेहत के लिए तो अतिमहत्वपूर्ण हैं लेकिन दुर्भाग्य से ये हमारे शरीर में बनते नहीं हैं। इनकी पूर्ति हम बेहतरीन खानपान से ही कर सकते हैं, शिमला मिर्च के अलावा और भी कई फल और सब्जियां हैं जिनमें ये दोनों एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। लेकिन, शिमला मिर्च की खासियत ये है कि ये कैलोरी में भी कम हैं और हल्की फुल्की होने के साथ-साथ बहुत सारे विटामिन्स से भरपूर हैं। और सबसे ख़ास बात ये है कि डायबिटिक्स भी इसे शौक से खा सकते हैं। चूंकि आंखों से जुड़ी इन समस्याओं (कैटरेक्ट और मैक्यूलर डीजनरेशन) की मुख्य वजहों में से एक डायबिटीज ही है, इसलिए शिमला मिर्च एक बेहतरीन ऑप्शन है।

रूस में आंखों की सेहत के लिए शिमला मिर्च से ‘बोलगर्सके सुखोय’ नामक डिश बनाकर खाया जाता है जिसमें शिमला मिर्च को लंबी-लंबी धार में काट लिया जाता है। जिसके बाद उसे दो दिन धूप में सुखा दिया जाता है। सूखने के बाद एक दिन उसे छांव में फैलाकर रख दिया जाता है और उसके बाद सूखे मसाले डालकर उसे कंटेनर्स में भर लिया जाता है और कभी भी स्नैक्स की तरह खाया जाता है।  न्यूट्रीशियन एवं डाइट एक्सपर्टस का मानना है कि बाजार में मिलने वाली लाल, पीली या हरी कोई भी शिमला मिर्च खायी जा सकती है। इसे सलाद के रूप में कच्चा या हल्का पकाकर किसी भी सब्जी दाल के साथ भी खाया जा सकता है। सप्ताह में 2-3 दिन बार शिमला मिर्च का उपयोग करने से शरीर में ल्यूटीन और जिएक्सजेन्थीन की पूर्ति हो जाती है।