मनोज रतन व्यास
मंझे हुए अभिनेता मनोज बाजपेयी की फि़ल्म “सिर्फ एक बंदा काफी है” इन दिनों काफी सुर्खियां बटोर रही है। मनोज बाजपेयी द्वारा डिलीवर किए गए फि़ल्म “बन्दा” के मोनोलॉग ने सिनेप्रेमियों को नि:शब्द कर दिया है। बिहार के बेतिया जिले के बाजू भाई(मनोज बाजपेयी का पेट नेम) को ओटीटी प्लेटफार्म का सुपरस्टार कहा जा रहा है। मनोज की “बंदा” भी ऑनलाइन ही रिलीज हुई है। मनोज अपनी इस ग्रोथ से बहुत खुश और संतुष्ट है, क्योंकि मनोज को ओटीटी से फेम और पैसा दोनों मिल रहा है।

 

मनोज बाजपेयी कन्वेंशनल बॉलीवुड हीरो न लगते है और न ही है। मनोज बाजपेयी में सत्तर-अस्सी के मिडिल क्लास के हीरो रहे अमोल पालेकर का अक्स नजर आता है। मनोज और अमोल पालेकर ने हाल ही में एक फि़ल्म “गुलमोहर” में साथ काम किया था। गुलमोहर भी ओटीटी पर ही रिलीज हुई थी। मनोज बाजपेयी आम सिनेलवर्स को अमोल पालेकर वाला “बॉय नेक्स्ट डोर” टाइप का सिनेमा लौटा सकते है।

 

मनोज बाजपेयी और अमोल पालेकर में काफी समानताएं भी है। मनोज और अमोल दोनों की शुरुआत थिएटर से हुई है। दोनों का साहित्य और भाषा विन्यास से लगाव उनके दिए साक्षात्कार से साफ नजर आता है।
मनोज बाजपेयी ने दिल्ली में थिएटर किया है। शाहरुख खान को करीब से जानते है, उनके मुरीद भी है, लेकिन ये भी स्वीकारते है कि शाहरुख और उनके सिनेमा सेंस में बड़ा फर्क है।

 

अमोल पालेकर को अमिताभ बच्चन-राजेश खन्ना के गोल्डन पीरियड में भी अपनी ऑडियंस मिली। सत्तर के दशक में भी अमोल पालेकर की लघु-मध्यम बजट की फिल्मों को जरूरी बॉक्स ऑफिस सफलता मिली। अमोल पालेकर की फिल्मों को पैरलल सिनेमा का नाम दिया गया। आज भी दर्शकों के जेहन में रजनीगंधा,चित्तचोर, सोलहवां सावन,गोलमाल, छोटी सी बात जैसी फिल्में जिंदा है। अगर अमोल पालेकर अमिताभ बच्चन के पीक इरा में सर्वाइव कर सकते है तो मनोज बाजपेयी भी अपना एक अलग फैन बेस बना सकते है। ओटीटी से इतर मनोज बाजपेयी भी भारत के मध्यम वर्ग को 70 रूरू के पर्दे पर एड्रेस कर सकते है।

 

स्वयं मनोज बाजपेयी ने सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार किया है वे अब अपने आप को आर्थिक रूप से सुरक्षित कर चुके है। उधार के 50 रुपए के ट्रेन के टिकट से पहली मर्तबा दिल्ली जाने वाले मनोज बाजपेयी जीवन के छठे दशक में इतना तो प्रयोग कर ही सकते है। शाहरुख खान से लेकर कार्तिक आर्यन वही लार्जर देन लाइफ वाला मसाला एंटरटेनमेंट ही निकट भविष्य में प्रस्तुत करेंगे, फिर इक्कीसवीं सदी में सिल्वर स्क्रीन पर मध्यम वर्ग की आवाज कौन बनेगा?

मनोज बाजपेयी में वो अभिनय की सलाहियत भी है, ऑडियंस उनके नाम और काम से वाकिफ भी है। रियल सिनेमाप्रेमी उनका फैन भी है। आज के बॉलीवुड के स्टार्स के बीच मनोज बाजपेयी कॉमन मैन से जुड़े मुद्दे उठाकर अपनी यूनिक पहचान को नया रुतबा दे सकते है।यूं भी कंटेंट पसन्द करने वाला आज का युवा वर्ग मनोरंजन में भी नई कहानियों को ढूंढ रहा है और मनोज बाजपेयी के सही स्क्रिप्ट सलेक्शन और मजबूत विल पॉवर से दर्शकों की इस तलाश को मनोज बाजपेयी मुकम्मल कर सकते है।