लॉयन न्यूज नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटलीकरण की ओर एक और कदम बढ़ाया है।अब वकीलों और पक्षकारों को सुप्रीम कोर्ट में लंबित अपने मुकदमों का अपडेट वॉट्सऐप पर भी मिलेगा। भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को इसकी घोषणा करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा वॉट्सऐप मैसेज के जरिए वकीलों को वाद सूची, केस दाखिल करने और सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होने की जानकारी दी जाएगी।

 

सुप्रीम कोर्ट के वॉट्सऐप नंबर के फायदे क्या हैं?

चीफ जस्टिस ने कहा कि 75वें वर्ष में सुप्रीम कोर्ट ने वॉट्सऐप मैसेजिंग सेवाओं को आइटी सर्विस के साथ एकीकृत करके न्याय तक पहुंच को मजबूत करने की नयी पहल शुरू की है। उन्होंने कहा कि इसका बड़ा प्रभाव होगा और इससे कागज की बचत के साथ धरती को संरक्षित करने में मदद मिलेगी।

 

सुप्रीम कोर्ट का वॉट्सऐप नंबर किसने जारी किया?

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने यह घोषणा गुरुवार को सुबह तब की जब नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) की व्याख्या पर विचार के लिए बैठी थी। जिसमें कोर्ट के समक्ष विचार का मुद्दा है कि क्या निजी संपत्तियों को संविधान के अनुच्छेद 39(बी) के तहत समुदाय का भौतिक संसाधन माना जा सकता है।

 

सुप्रीम कोर्ट में लगे मुकदमों की सूची कैसे मिलेगी?

जस्टिस चंद्रचूड़ इस पीठ की अध्यक्षता कर रहे हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के वॉट्सऐप नंबर से अब वकीलों को केस दाखिल होने के बारे में आटोमेटेड मैसेज मिलेगा। इसके अलावा वकीलों को वाद सूची भी मोबाइल पर उपलब्ध होगी। वाद सूची का मतलब है कि कोर्ट में सुनवाई के लिए उस दिन लगे मुकदमों की सूची।

 

सुप्रीम कोर्ट का वॉट्सऐप नंबर क्या है?

चीफ जस्टिस की घोषणा पर अदालत में मौजूद सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह एक क्रांतिकारी कदम है। सुप्रीम कोर्ट का आधिकारिक वॉट्सऐप नंबर 87687676 है। इस नंबर पर एकतरफा सूचनाएं मिलेंगी। इस पर कोई संदेश या काल नहीं की जा सकती। चीफ जस्टिस ने कहा कि यह सुविधा हमारे रोजाना के कामकाज और आदतों में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी और इससे कागज बचाने में काफी मदद मिलेगी।

 

सुप्रीम कोर्ट के वॉट्सऐप नंबर से क्या फायदा होगा?

सीजेआई ने कहा कि इससे और अधिक वकीलों की सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच बढ़ेगी साथ ही दूर दराज रहने वाले लोगों को भी कोर्ट कार्यवाही की सूचना मिल सकेगी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री के विचारों को साझा करते हुए कहा कि सरकार डिजिटली करण को बढ़ावा दे रही है ताकि लोगों की न्याय तक पहुंच सुलभ हो। मालूम हो कि केंद्र सरकार ने ईकोर्ट परियोजना के लिए 7000 करोड़ रुपये मंजूर किये हैं।