त्वरित टिप्पणी – हरीश बी. शर्मा
लॉयन न्यूज, बीकानेर।
बीकानेर में एक बार फिर से आम आदमी पार्टी बनते-बनते बिखर गई है। रविवार को एडवोकेट अंकुर शुक्ला के कांग्रेस का दामन थाम लेने के बाद एक बार फिर से आम आदमी पार्टी के सामने यह यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया है कि बीकानेर विधानसभा पूर्व से किसे टिकट दिया जाएगा। इससे पहले अंकुर शुक्ला का नाम पूर्व के प्रत्याशी के रूप लगभग तय माना जा रहा था, लेकिन पिछले दिनों पार्टी के कुछ बड़े नेताओं के सामने हुए हंगामे के बाद बताते हैं कि अंकुर शुक्ला का मोहभंग हो गया और उन्होंने किनारा कर लिया।

 

कल राजस्थान के सह-प्रभारी के तौर पर बीकानेर संभाग की जिम्मेदारी लेने वाले काजी निजामुद्दीन ने उन्हें विधिवत रूप से कांग्रेस में शामिल किया। बताते हैं कि यह तो सिर्फ क्लाइमैक्स था। कांग्रेस में अंकुर शुक्ला के शामिल होने की स्क्रिप्ट काफी पहले ही लिख दी गई थी। सही मौके का इंतजार था। रविवार को बीकानेर के आनंद निकेतन में एक मीटिंग भी थी और इसी वक्त अंकुर शुक्ला के कांग्रेस में शामिल होने के समाचार सुर्खियां बने।

इसके साथ ही यह तय हो गया है कि इस बार बीकानेर विधानसभा पूर्व से कांग्रेस किसी पैराशूटी नेता को टिकट देगी। जिसके लिए यह सारी रणनीति बनाई जा रही है। ब्राह्मणों के वोटों इस विधानसभा में काफी हैं। कांग्रेस के पास इन वोटों को समेटने के लिए कोई युवा चेहरा नहीं है, जिसके लिए अंकुर शुक्ला को मनाया गया है। पिछले विधानसभा और नगर निगम चुनावों में काफी सक्रिय रहे अंकुर शुक्ला की फैन-फॉलोइंग भी काफी है, जिसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि शुक्ला को भले ही कांग्रेस आम आदमी पार्टी की तरह प्रत्याशी बनाने पर विचार नहीं करे, लेकिन प्रत्याशी के लिए शुक्ला की निर्णायक भूमिका रहनी है।

 

इधर, शुक्ला के आम आदमी पार्टी से चले जाने के बाद पूर्व से टिकट के दावेदारों के यहां जश्न का माहौल है। पिछले दिनों एक पार्षद आम आदमी पार्टी के नेताओं के संपर्क में है। इस पार्षद का चार-पांच पार्षदों पर प्रभाव है। अगर पटरी बैठ जाती है तो आम आदमी पार्टी इन पर गंभीरता से विचार कर सकती है। हालांकि, आम आदमी पार्टी के बीकानेर लोकसभा क्षेत्र प्रभारी पुनीत ढाल का कहना है कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि अंकुर जी हमारे अच्छे साथ थे, लेकिन उनके जाने से कोई बड़ा नुकसान नहीं होना है। पार्टी के काम जिन लोगों ने दिल्ली और पंजाब में देखे हैं, वे चाहते हैं कि राजस्थान में हमारी सरकार बने।