सीकर।   राज्य सरकार मरीजों के उपचार हेतु बेहतर सुविधाओं के तमाम दावे पेश कर रही है, लेकिन शेखावाटी के सबसे बड़े एसके अस्पताल में मरीजों के प्रति चिकित्सा विभाग की संवेदनहीनता खुलकर सामने आ रही है। चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र राठौड़ राज्य के अस्पतालों के हालात देख रहे हैं। लेकिन खुद अपने शेखावाटी इलाके के मरीजों के हालात से मंत्री बेखबर हैंबुधवार को एसके अस्पताल के फीमेल मेडिकल वार्ड में एक महिला मरीज का चार घंटे तक शौचालय के बाहर फर्श पर उपचार चलता रहा। हद तो तब हो गई जब मरीज के बोतल लग रहीं थी और वह जमीन पर तड़प रही थी। लेकिन चिकित्साकर्मियों की और से समुचित देखभाल भी नहीं की गई।कच्ची बस्ती की रहने वाली सुगना को बुधवार दोपहर लगभग 12 बजे अस्पताल लाया गया। सुगना को उसका पड़ौसी नैनवा निवासी धल्लाराम व कमला लेकर आए।धल्लाराम ने आरोप लगाया कि अस्पताल सुगना को बेड उपलब्ध नहीं कराया गया और शौचालय के बाहर जमीन पर लिटाकर बोतल लगा दी गई। चिकित्साकर्मियों ने उससे अभद्र व्यवहार किया। वहीं महिला गर्मी में तड़पती रही।

हालात दिखे बदतर

  मेडिकल वार्ड के हालात सामने आए। वार्ड के बरामदे में कई मरीजों का टेबलों पर बोतल लगाकर उपचार किया जा रहा था। मरीजों ने कहा कि भयंकर गर्मी के चलते बरामदे में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

हरकत में आया अस्पताल प्रशासन

जमीन पर तड़पती महिला व अन्य मरीजों के हालात को कवरेज करने को लेकर जब पत्रिका टीम मौके पर पहुंची तो मौके पर मौजूद वार्ड इंचार्ज सांवरमल शर्मा व अन्य चिकित्साकर्मी पहुंचे और महिला के लिए टेबल लगाई।

वार्ड इंचार्ज ने दी सफाई, टेबल लगाई थी

बेतहाशा दर्द से कराहती जमीन पर लेटी महिला मरीज के मामले में वार्ड इंचार्ज सांवरमल शर्मा ने कहा कि उन्होंने महिला के लिए टेबल लगाकर उसे लिटाया था। बाद में चक्कर आने पर तीमारदारों ने उसे जमीन पर लिटा दिया।वहीं बाहर बरामदे में अन्य मरीजों के बारे में भी उन्होंने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि फिमेल मेडिकल वार्ड में 35 बेड हैं। जबकि मरीजों की संख्या अधिक है। इसलिए बाहर टेबल लगाकर मरीजों का उपचार किया जाता है।मुझे जानकारी मिली है। मरीज के लिए टेबल लगाकर भर्ती किया गया था। लेकिन बाद में चक्कर आने पर तीमारदारों ने उसे जमीन पर लेटा दिया।