जीवन सरल कर गए थे मिस्त्री

मिस्त्री ने उस दौर में एेसी वॉशिंग मशीन बना दी, जिसकी तर्ज पर आज भी विश्व की कई बड़ी कंपनियां काम कर रही हैं। डबल डोर वाली एेसी मशीन बनाई जो बेहतर कपड़ों को साफ करती थी। इसमें दो सेपरेट चैम्बर थे। एक में वॉशिंग होती थी और दूसरे में कपड़े सूखते थे। यह बिजली से चलती थी। दूसरी एेसी मशीन थी जो कि मिनीएचर मिल कहलाती है। 1964 में इसका पेटेंट मिस्त्री ने करवा लिया था। यह गेहूं पीसने की छोटी मशीन थी जो कि साइकिल के पैडल पर कार्य करती थी।

मिस्त्री के आविष्कार देख चुके एक सेवानिवृत शिक्षक का पत्र 

पत्रिका में लगातार समाचार प्रकाशित होने के बाद कई लोग मिस्त्री के परिवार से सम्पर्क कर रहे हैं। एेसे ही एक बाली मूल के रहने वाले सेवानिवृत शिक्षक सिकन्दर अली सैय्यद हैं। इन्होंने मिस्त्री के परिवार को पत्र लिखकर बताया कि 1953 में वे शिक्षक के तौर पर पदस्थापित हुए। तब तखतगढ़ में धर्मशाला में ही उन्हें ठहराया गया। यहां उन्होंने  मिस्त्री के आविष्कार देखे और स्तब्ध रह गए। उन्होंने आगे लिखा कि ब्रिटेन सरकार ने उन्हें पत्र लिख कर कहा था कि अपनी चल-अचल सम्पत्ति बेचकर यहां आ जाओ। ब्रिटेन सरकार ने बड़ा कारखाना और जमीन देने का वादा किया था लेकिन, मिस्त्री ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। एेसे में उस सख्शिसत को भी यदि अब सम्मान देने में