मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का फैसला

लॉयन न्यूज, नेटवर्क। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की एकल बेंच जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया की पीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि पत्नी का शॉपिंग जाना और पति को घर के काम करने के लिए कहना,पति को आत्महत्या के लिए उकसाने के समान नहीं है। याचिकाकर्ता एक महिला थी जिसके पति ने आत्महत्या कर ली थी। पत्नी पर आरोप था कि उसने अपने पति को घर के काम करने के लिए मजबूर किया था और शॉपिंग के लिए भी बाहर जाती रहती थी। पति ने आत्महत्या से पहले एक सुसाइड नोट लिखा था जिसमें उसने अपनी पत्नी पर आरोप लगाया था।

 

हाई कोर्ट ने इस मामले में पत्नी को बरी करते हुए कहा कि पत्नी का शॉपिंग जाना और पति को घर के काम करने के लिए कहना आत्महत्या के लिए उकसाने के समान नहीं है। कोर्ट ने कहा कि पत्नी का यह काम एक सामान्य बात है और इसके लिए उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि पति का आत्महत्या करना उसका खुद का फैसला था और इसके लिए उसकी पत्नी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि पति का सुसाइड नोट भी इस बात का प्रमाण नहीं है कि उसकी पत्नी ने उसे आत्महत्या के लिए उकसाया था। यह फैसला उन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने पति द्वारा घर के काम करने के लिए कहने पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया जाता है। यह फैसला महिलाओं को घर के काम करने के लिए कहने का अधिकार देता है और उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाने से बचाता है।