हस्तक्षेप

– हरीश बी. शर्मा

आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल इन दिनों जेल में हैं और उन्हें कैंपेन की तरह अपनी योजनाएं लागू करवाने में महारत हासिल है। यही वजह है कि देश में होने वाले लोकसभा चुनाव में अगर नरेंद्र मोदी के बाद में सर्वाधिक चर्चा में कोई है तो वह नाम अरविंद केजरीवाल है। राहुल गांधी भी इस रेटिंग में पिछड़ चुके हैं, लेकिन गैर-भाजपा दलो के रूप में सामने आए इंडिया गठबंधन की बात करें तो चर्चा में सबसे आगे अरविंद केजरीवाल ही हैं, जिन्होंने भले ही चुनाव में प्रत्याशी खड़े करने को लेकर बड़ा कारनामा नहीं दिखाया हो, लेकिन आबकारी नीति को लेकर बने माहौल में जेल यात्रा के दौरान देशभर की चर्चा को बटोरी है। अब इस बात पर बहस करने का भी कोई मानी नहीं है कि अरविंद केजरीवाल ने जानबूझकर समन स्वीकार नहीं किए या कि लोकसभा चुनाव के दौरान उनके पास छाये रहने का कोई दूसरा जरिया नहीं था, लेकिन यह मानना ही पड़ेगा कि ईडी को औजार बनाने को लेकर जितने आरोप भाजपा पर उनमें से अरविंद केजरीवाल के जेल में जाना सबसे भारी पड़ा है।

इससे भी अधिक भारी पड़ा है संजय सिंह का जेल से छूट जाना। आश्चर्यजनक बात हो यह है कि संजयसिंह से ऐसा कुछ भी हासिल नहीं हो पाया, जो संदिग्ध हो। उन्हें जेल से बाहर भेज दिया गया। बाहर निकलते ही संजयसिंह का अरविंद केजरीवाल की धर्मपत्नी सुनीता केजरीवाल का चरणस्पर्श करते का फोटो वायरल हो रहा है, जिसने इस आशंका पर भी एक बारगी अंकुश लगाया है कि आम आदमी पार्टी में अंतर्विरोध है बल्कि इससे तो यह जाहिर हो रहा है कि आम आदमी पार्टी लडऩे के लिए तैयार है।

इस बीच अदालत ने अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग पर सुनवाई से इंकार कर दिया है।  मतलब यह कि न सिर्फ केजरीवाल मुख्यमंत्री रहेंगे बल्कि उन्हें जेल में रखने की मियाद के बीच में आम आदमी पार्टी के पास अपना पक्ष रखने के लिए बहुत सारे मुद्दे भी होंगे।
अरविंद केजरीवाल ने अपने कार्यकर्ताओं के लिए एक चिट्ठी भी जारी की है तो दूसरी ओर सुनीता केजरीवाल ने अपने वीडियो संदेश में बैकग्राउंड बदला है। उन्होंने भगतसिंह और डॉ.भीमराव अंबेडकर के फोटो के बीच में जेल की सलाखों के बीच अरविंद केजरीवाल का फोटा लगा लिया है। यह वही जगह है, जहां से केजरीवाल वीडियो संदेश दिया करते थे। सुनीता केजरीवाल भी इसी जगह से संदेश देती दिखाई दे रही है, जिसका सीधा अर्थ है कि अरविंद केजरीवाल ने अपने उत्तराधिकारी की घोषणा भी कर दी है।

यह दीगर है कि राजनीति में अरविंद केजरीवाल ने अपने कितने दोस्त खोये हैं, लेकिन दुश्मन भी कम नहीं बनाए हैं। इन सबके बीच एक बात जो माननी पड़ेगी वह यह है कि उन्होंने अपने दिमाग का खूब इस्तेमाल किया है। इसी वजह से आज वे राष्ट्रीय परिदृश्य में छाये हुए हैं। एक ऐसा समय जब लोकसभा चुनाव के परिणामों को लेकर कोई भी गैर-भाजपा का नेता आश्वस्त नहीं है। अरविंद केजरीवाल ने विदेशी ताकतों का ध्यान भी अपनी ओर खींच लिया है, इससे ज्यादा क्या हो सकता है। भारतीय राजनीति में अरविंद केजरीवाल इस तरह एक किरदार के रूप में तो याद रखे ही जाएंगे।

‘लॉयन एक्सप्रेस’ के संपादक हरीश बी.शर्मा के नियमित कॉलम ‘हस्तक्षेप’ के संबंध में आपके सुझाव आमंत्रित हैं। आप 9672912603 नंबर पर वाट्स अप कर सकते हैं।