साइड स्टोरी- रोशन बाफना
लॉयन न्यूज, बीकानेर। बीकानेर में बढ़ रही फायरिंग की घटनाओं के पीछे एक बड़ी साइड स्टोरी सामने आई है। हाल ही में सेरूणा थानाधिकारी गुलाम नबी व उनकी टीम पर तोलाराम जाट व प्रेम उर्फ पेमाराम ने फायरिंग की, हालांकि पुलिस ने इनको दबोच लिया और जेसी भी करवा दिया है। यहां साइड स्टोरी चार-चार थानों के इस वांछित के खुलेआम घूमने में है। यह तो नाकाबंदी में ना रुकने की वजह से मामला बिगड़ा और सेरुणा पुलिस ने आरोपियों को दबोच लिया। सूत्रों का कहना है कि तोलाराम काफी समय से बीकनेर जिले में ही था। आरोपी से जब सेरूणा पुलिस ने पूछताछ की तो उन्होंने दंतौर, देशनोक, गंगाशहर व रावला थानों में वांछित होना स्वीकार किया। बताया जा रहा है कि दंतौर के बल्लर की ठेका लूट, रावला की ठेका लूट, देशनोक में जानलेवा हमले व गंगाशहर में हत्या के मामले में तोलाराम वांछित चल रहा था। इन सभी प्रकरणों को मिलाकर तोलाराम पर 15 संगीन अपराध दर्ज है। वहीं बीकानेर जिले का टॉप-10 अपराधियों में तोलाराम शामिल है। तो पेमाराम पर भी अब कुल 7 मुकदमें हो गए हैं। गंगाशहर के राकेश साध मर्डर केस में पुलिस तोलाराम की लगातार तलाश कर रही है, लेकिन वह हाथ नहीं आया। इसी तरह बीकानेर के नयाशहर थाना क्षेत्र में पिछले दिनों फायरिंग की घटनाएं हुई। पुलिस द्वारा अवैध हथियारों की तस्करी के खिलाफ लगातार अभियान चलाने व कार्रवाई करने के बावजूद आए दिन अवैध हथियारों से फायरिंग की घटनाएं होने के पीछे भी साइड स्टोरी बताई जा रही है। आरोप है कि पुलिस विभाग के अंदर के कुछएक लोगों की मिलीभगत अपराधियों को फायरिंग करने व अवैध हथियार रखने का हौसला दे रही है। खुलेआम बढ़ रही फायरिंग की घटनाओं से शहर डरा हुआ है तो पुलिस भी कहीं ना कहीं खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है। कुछ समय पहले नापासर के तत्कालीन थानाधिकारी चंद्रभान पर भी फायरिंग हुई थी, जिसमें भी अभी तक अपराधी फरार चल रहे हैं। तो पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी की हत्या की साजिश में जब से हरियाणा पुलिस ने आरोपी दबोचे हैं फायरिंग की घटनाएं और ज्यादा चर्चा में हैं। आम जनता ही क्या डूडी व डूडी के समर्थक भी इनसब के बाद अब कोई रिस्क नहीं लेना चाहते और जेड प्लस की सुरक्षा की मांग कर बैठे हैं। एक सूत्र का कहना है कि अपराधियों को बिल में से निकाल लाने वाली पुलिस इतनी बेबस नहीं बस माजरा कुछ और है। यहां चौंकाने वाली साइड स्टोरी तो यह है कि जिस तरह पुलिस के मुखबिर होते हैं उसी तरह अपराधियों के मुखबिर भी है और यह मुखबिर और कोई नहीं बल्कि सरकारी तनख्वाह वाले पुलिस विभाग में से ही है।