पहला सुख निरोगी काया

डॉ.कविता शर्मा, आहार व पोषण विशेषज्ञ

विश्व स्वास्थ्य संगठन की हालिया रिपोर्ट में यह सामने आया है कि हमारे देश में लगभग 77 मिलीयन (18 साल से ऊपर) लोग मधुमेह यानी डायबिटिज की समस्या (मुख्यतया टाइप-2) से जूझ रहे हैं। इससे भी रोचक तथ्य यह है कि कुल आबादी के लगभग पचास प्रतिशत लोगों को यह पता भी नहीं है उन्हें डायबिटिज है या नहीं या कि उनके डायबिटिज का स्टेटस क्या है।

खासतौर ये यह चिंता की बात इसलिए भी है कि हम जिस दौर से निकल रहे हैं, उस समय में हमें विभिन्न प्रकार के संक्रमण और बीमारियां घेरे हुए हैं। ऐसा नहीं है कि हम इनकी वजह को नहीं जानते, लेकिन फिर भी अपने खान-पान को संतुलित करने की दिशा में सजग नहीं दिखाई देते। हर व्यक्ति अपने आपको पूर्ण स्वस्थ और सकारात्मक रखने का सपना साकार कर सकता है यदि वह अपनी दिनचर्या को नियंत्रित कर ले।

आपको जानकर हैरानी होगी कि शाम को सात बजे से पहले भोजन करने और भोजन के बाद 15 मिनट टहल लेने की आदत आपको स्वस्थ्य रख सकती है। डायबिटिज के परिप्रेक्ष्य में हम समझें तो पहले हमें हमारे शरीर में ग्लूकोज की स्थिति को समझना होगा। अगर वन-लाइन में कहा जाए तो यह शरीर की एनर्जी करंसी है, जिससे हम ऊर्जावान रहते हैं। आपने सुना होगा शुगर-डाउन हो रही है मतलब ऊर्जा खत्म होती महसूस हो रही है। कोशिकाएं मुख्यत: ग्लुकोज के रूप में भोजन ग्रहण करती है और शरीर में एनर्जी जेनरेट होती है। अधिक समय तक खाली पेट रहने के बाद जब हम अधिक कार्बोज युक्त या मीठा भोजन करते हैं तो हमारे शरीर में ऊर्जा का स्तर अचानक बढ़ जाता है, जिसे ग्लूकोज-स्पाइक कहते हैं।

ग्लूकोज-स्पाइक यानी रक्त में ग्लुकोज का लेवल सामान्य से अधिक हो जाता है। व्यक्ति को उस समय हाइपर एक्टिवीटी महसूस होती है। इसकी प्रतिक्रिया में शरीर में इंसुलिन हारमोन निकलता है, जो ब्लड-शुगर को रेगुलर करता है। इस ग्लूकोज को इंसुलिन कोशिकाओं तक पहुंचाता है तथा अधिक ग्लूकोज को वसा में परिवर्तित कर शरीर में जमा कर देता है। इस स्थिति में रक्त में ग्लूकोज का स्तर घट जाता है, जिसे ‘ग्लूकोज-क्रश’ कहा जाता है। इसे हम इस तरह भी समझ सकते हैं कि ऐसा होना पर हमें पुन: मीठा खाने की तीव्र इच्छा होती है।

कभी-कभार यदि ग्लुकोज स्पाइक और ग्लूकोज क्रश घटित होता है तो शरीर इसे समायोजित कर लेता है। किन्तु यदि आपके आहार के असंतुलन से यह प्रतिदिन घटित हो तो यह एक अलार्मिंग स्थिति है। इसके कई दुष्परिणाम शरीर में दिखने लगते हैं।

नियमित रूप से ग्लुकोज स्पाइक और ग्लूकोज क्रश होने से रक्त-वाहिकाएं सख्त और अवरुद्ध होने लगती है जिससे हृदय, किडनी और तंत्रिका-तंत्र (नर्वस सिस्टम) के विकार सामने आता है। क्कष्टह्रस्, हाइपरटेंशन, इन्फ्लेमेशन व इनफर्टिलिटी जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं ।

इन सब विकारों के अतिरिक्त ग्लूकोज की अधिकता का महत्वपूर्ण नकारात्मक प्रभाव है कि शरीर में वसा जमा होने से मोटापा बढऩे लगता है। हम सभी जानते हैं कि मोटापा बहुत सारी बीमारियों को अपने साथ लेकर आता है।

यहीं से टाइप-2 डायबिटिज का प्रवेश होता है, जिसके रोगी हमारे देश में बड़ी संख्या में हैं। इस प्रकार की डायबिटीज में शरीर की कोशिकाओं की संवेदनशीलता ग्लूकोज व इंसुलिन के लिए कम हो जाती है फल स्वरुप ग्लूकोज का स्तर रक्त में सामान्य से अधिक ही रहता है। इसके लक्षणों को पहचाने तो इसके व्यक्ति को थकान का अनुभव होने लगता है, चिड़चिड़ापन आ जाता है, मूड स्विंग होने लगते है। भरी दुपहरी या आधी रात को अचानक से मीठा खाने की इच्छा बनी रहती है।

लेकिन अगर इस स्टेज पर शुगर अपना असर दिखा रही है तो उसे संतुलित बल्कि नियंत्रित किया जा सकता है। बशर्ते, अपने आहार, आदतों व दिनचर्या को सुधार लिया जाए।

सबसे पहले तो अपनी आहार-सूची बनाएं और उसमें कार्बोज की मात्रा का सलीके से बंटवारा करें। जैसे दिन का पहला भोजन नाश्ता होता है तो उसमें दलिया, बाजरा, रागी, ज्वार, मोटा पीसा हुआ आटा, सब्जियां, रेशे वाले फल आदि को शामिल करें। इन सब में कार्बोहाइड्रेट कोम्प्लेक्स या जटिल रूप में होता है जो रक्त में ग्लूकोज धीमे-धीमे समाहित करता है।इसके अलावा दूध, दही, अंडा, दालें या दालों की डिश, सूखे मेवे आदि का समावेश भी नाश्ते में किया जाना चाहिए। कार्बोज के साथ सही मात्रा में उत्तम वसा (उच्च एचडीएल लेवल सहित) जैसे घी, मक्खन, ऑलिव ऑयल का समावेश करें।

अगर केक, पेस्ट्री, मिठाइयां, पुडिंग आदि खाने पसंद हैं तो इन सबके लिए दोपहर का समय रखें। लंच में यह लेंगे तो ग्लूकोज का स्तर अचानक नहीं बढ़ेगा। राज के भोजन में भी कार्बोज ले सकते हैं बशर्ते, भोजन सात बजे से पहले कर लें।

याद रहे, भोजन के बाद वॉक करना स्वस्थ रहने की सबसे महत्वपूर्ण शर्त है। इससे रक्त का सर्कुलेशन बढ़ता है व ग्लुकोज का मेटाबॉलिज्म भी नियमित होता है। यहां प्रतिदिन व्यायाम की उपयोगिता भी असंदिग्ध है। व्यायाम तो करना ही चाहिए।

इन सभी के साथ-साथ अपने रुक्त ग्लूकोज लेवल के साथ साथ रक्त में इंसुलिन हारमोन के लेवल की भी नियमित जांच करवाएं। यह भी जान लेना चाहिए कि आपका ग्लूकोज-लेवल क्या होना चाहिए तो बता दें कि नॉर्मल-नॉन डायबिटिक रक्त ग्लूकोज 60-100 एमजी/डीएल खाली पेट और 140 एमजी/डीएल खाने के बाद रहना चाहिए। इंसुलिन की रक्त में मात्रा आयु लिंग व शारीरिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग आंकी जाती है । नियमित जांच करवा कर इस पर चेक रख सकते हैं।
अंत में सिर्फ एक बात को याद रखें कि ग्लूकोज व इंसुलिन दोनों ही हमारे रक्त व कोशिकाओं के स्वास्थ्य-प्रहरी हैं। ये संतुलित तब ही रहेंगे जब हम संतुलित भोजन करेंगे।

डॉ.कविता शर्मा, एमएससी, पीएचडी (आहार व पोषण)

लेखिका गृहविज्ञान महाविद्यालय से गोल्ड मेडिलस्ट आहार विशेषज्ञ हैं और इन दिनों राजकीय महाविद्यालय बीकानेर में सह-आचार्य (विद्या-सम्बल)के पद पर कार्यरत है।

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