नई दिल्ली। ऐसा लगता है कि भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों ने रिश्तों में पड़ रही दरार को भरने के लिए एक कूटनीतिक उपाय किया है। यह उपाय है मुसीबत के वक्त एक-दूसरे को फोन करना। इस बार पाक पीएम नवाज शरीफ ने इसी कूटनीतिक दांव को आजमाने के तहत रविवार देर रात पीएम नरेंद्र मोदी को फोन किया और केरल में हुए मंदिर हादसे पर अपना शोक जताया। मोदी ने भी दोपहर में पाकिस्तान के बड़े हिस्से में आए भूकंप और इससे हुई जानमाल की क्षति पर अपनी संवेदना प्रकट की। अब यह देखना होगा कि पठानकोट हमले की जांच को लेकर दोनों देशों के बीच पनप रहे तनाव को यह बातचीत कितना खत्म करती है। यह पहला मौका नहीं है जब मोदी और शरीफ के बीच टेलीफोन पर बातचीत हुई है। पिछले वर्ष अप्रैल और जून में दो बार ऐसे ही किसी खास अवसर पर दोनों नेताओं के बीच टेलीफोनिक बातचीत हुई लेकिन उसके परिणाम द्विपक्षीय रिश्तों पर भी देखने को मिले। मसलन, जून, 2015 में मोदी ने रमजान के मौके पर शरीफ को फोन किया था। दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई और फिर जुलाई में उफा (रूस) में मुलाकात का रास्ता खुल गया। उसके पहले अप्रैल, 2015 में जब नेपाल और उत्तर भारत के बड़े भूभाग पर भूकंप आया था तब शरीफ ने मोदी को फोन किया था। वैसे शरीफ ने मोदी को अपनी संवेदना जताने के लिए फोन किया था, लेकिन उस समय दोनों देशों की सीमा पर जबरदस्त तनाव का माहौल था। लेकिन इस वार्ता के बाद सीमा पर तनाव अचानक काफी कम हो गया था। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक पीएम शरीफ भारत के साथ रिश्तों को लेकर अपने देश की कुछ अन्य ताकतों के साथ जद्दोजहद कर रहे हैं। चुनाव जीतने के बाद मोदी ने जब शरीफ को अपने शपथ ग्र्रहण समारोह में भाग लेने के लिए बुलाया तब वहां की सेना ने इसका विरोध किया था। हाल ही में दो ऐसी घटनाएं हुई हैं जिससे यह साफ होता है कि आइएसआइ और पाक सेना मोदी और शरीफ के बीच रिश्तों को सुधारने के लिए हो रही कोशिशों पर पानी फेरने को आतुर है। पहली घटना नौसेना के एक सेवानिवृत्त अधिकारी को रॉ एजेंट के नाम पर गिरफ्तारी का है। जबकि दूसरी घटना पठानकोट हमले की जांच के लिए पाकिस्तान से आए संयुक्त जांच टीम (जेआइटी) के वापस स्वदेश लौटने के बाद बदला रवैया है। राष्ट्रीय जांच ब्यूरो (एनआइए) के अधिकारियों का भी कहना है कि भारत ने जिस तरह के सुबूत दिए हैं उसके बाद पाकिस्तान की जेआइटी के पास यह स्वीकार करने के अलावा और कोई चारा नहीं है कि पठानकोट पर हमले की पूरी साजिश न सिर्फ पाक परस्त आतंकी समूह जैश ने बनाई बल्कि इसमें वहां की खुफिया एजेंसी ने भी मदद की। सनद रहे कि यह हमला पीएम मोदी की ऐतिहासिक लाहौर यात्रा के कुछ ही दिनों बाद किया गया था। 25 दिसंबर, 2015 को नवाज शरीफ के घर पहुंच कर मोदी ने पाक के साथ रिश्ते सुधारने के लिए लीक से हट कर कोशिश की थी।