लॉइन न्यूज,बीकानेर। अनुवाद विधा एक चुनौती भरा कार्य है इसी के माध्यम से हम विश्व और भारतीय साहित्य से रूबरू होते हैं। इसी महत्वपूर्ण उद्देश्य की पूर्ति अवरेख कार्यक्रम के माध्यम से होती है। स्थानीय नागरी भंडार कला दीर्घा में हिंदी और राजस्थानी के महान पुरधा नानूराम संस्कृता के रचना संसार पर केंद्रित अवरेख की दसवीं कड़ी का आयोजन किया गया साथ ही प्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा पहली बार प्रारंभ किया गया प्रज्ञा भाषा सम्मान का आयोजन भी वरिष्ठ कवि भवानी शंकर व्यास की अध्यक्षता एवं वरिष्ठ आलोचक डॉ.श्रीलाल मोहता के मुख्य अतिथि के रुप में किया गया। कार्यक्रम मे दीप प्रज्वलित कर सभी का स्वागत डॉ. इसरार हसन कादरी ने किया। कार्यक्रम में नानूराम संस्कृता की कहानी जमना काकी का बेहतरीन अनुवाद उर्दू भाषा में वरिष्ठ शायर जाकिर अदीब ने बेहतरीन अंदाज में प्रस्तुत किया वही संस्कृता की कहानी गाय पुराण का पंजाबी में शानदार अनुवाद युवा कवि पुखराज सोलंकी ने किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भवानी शंकर व्यास विनोद ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण नवाचार तो है ही साथ ही ऐसे आयोजन से हम तीन तरह से लाभ प्राप्त करते हैं जैसे अनुवाद विधाए रचना का मर्म और अपनी परंपरा को समझने का अवसर यही कारण है कि यह एक महत्वपूर्ण आयोजन है। उन्होंने कहा कि प्रज्ञा भाषा सम्मान संस्था द्वारा पहली बार एक उच्च स्तरीय चयन एवं सही प्रतिभाओं का सम्मान करने की नई परंपरा एक सार्थक एवं सर्जनात्मक स्तर पर अच्छी पहल है जिसके माध्यम से सम्मानित होने वाली प्रतिभा पर अपने अपने क्षेत्र और अपनी .अपनी भाषा में और आगे गंभीर दायित्व का निर्गुण करने का बोध भी सम्मान के माध्यम से हुआ है।

भाषा समारोह के चौथे दिन के मुख्य अतिथि डॉ. श्रीलाल मेहता ने कहा कि हमें हमारी परंपरा को सतत गतिमान रखते हुए नए प्रतिमान बनाने होंगे यही चुनौती आज सभी कला विधाओं से जुड़े हुए समर्पित लोगों के सामने हैं ऐसे आयोजनो के माध्यम से जहां एक और नई पीढ़ी को अपनी विरासत से रूबरू होने का मौका मिलता है वही उसे अपनी परंपरा और अगली पीडी के रचना संसार को समझने का अवसर मिलता है यही आयोजन की महत्वपूर्ण कड़ी है जहां तक प्रज्ञा भाषा सम्मान का जो चयन हुआ है उसमें उर्दू हिंदी और राजस्थानी भाषा के रचनाकारों को सम्मान देना नगर की सांझा संस्कृति और भाषाएं भाई चारे को रेखांकित करती है। इसी क्रम मे डॉ मदन सैनी ने नानुराम के लोक साहित्य एवं उनकी रचनाओ पर गंभीर बातें बताई।

भाषा समान समारोह के संयोजक कमल रंगा ने कहा कि आयोजन के माध्यम से जहां एक और अनुवाद विदा और साथ ही आलोचना के प्रति वातावरण बनता और नगर के साहित्यकारों का रचना संसार भारतीय भाषाओं के पाठको के बीच पहुंचने की एक पहल है। इसी तरह प्रतिभाओं का सम्मान करना समाज और संस्थाओं का दायित्व होता है हम उसी की पूर्ति हेतु ऐसा कर पाए हैं कार्यक्रम में नई दिल्ली से आए साहित्यकार चित्रकार किशोर श्रीवास्तव ने कहा कि बीकानेर में प्रज्ञालय एक सकारात्मक सोच से काम करते हुए डाक्टर टैसिटोरी से लेकर नगर के रचनाकार को विभिन्न तरीके से याद करना महत्वपूर्ण है।

हिंदी के वरिष्ठ आलोचक शोधकर्ता डॉ. बृजरतन जोशी की हिंदी साहित्य आलोचना और संपादन के क्षेत्र में भी की गई महत्वपूर्ण सेवा का मान रखते हुए उन्हें प्रज्ञा भाषा सम्मान अर्पित किया गया इसी तरह क्रम में राजस्थानी में शोध और लोक साहित्य में अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं देने के कारण शिवराज संस्कृता को राजस्थानी भाषा में प्रज्ञा भाषा समान अर्पित किया गया। उर्दू में युवा शायर कासिम बीकानेरी को यह सम्मान उनकी उर्दू अदब में दो दसको से दी गई सर्जनात्मक सेवाओं के कारण उन्हें यह प्रज्ञा सम्मान दिया गया। इसी क्रम में व्यंगकार आत्माराम भाटी जिन्होंने व्यंग विधा के साथ खेल समीक्षा के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई अत: आप को प्रज्ञा भाषा समान अर्पित किया गया। आज सम्मानित होने वाली चारों प्रतिभाएं अपनी भाषा अपनी विदा और अपने क्षेत्र में समर्पित भाव से कार्य कर रहे हैं प्रज्ञा भाषा समान का वाचन वरिष्ठ कवि प्रमोद शर्मा द्वारा किया गया इसी तरह सम्मानित होने वाली प्रतिभाओं का परिचय एवं उनके संक्षिप्त व्यक्तित्व कृतित्व पर गिरिराज पारीक,पुखराज सोलंकी,डॉ फारुख चौहान कृष्ण कुमार सैनी ने अपनी बात रखी।

सभी का स्वागत संस्था की और से संयोजक कमल रंगा ने करते हुए कहा कि डॉ. टैसिटोरी को समर्पित यह भाषा समारोह अब 4 दिन की बजाए 6 दिवस आयोजन के रूप में कर दिया गया है जिसमें कल दोसा से आए युवा कवि कृष्ण कुमार सैनी का एकल काव्य पाठ होगा वही समारोह के अंतिम दिन 18 दिसंबर को सरफरोश के माध्यम से हमारे शहीदों को नमन करते इस भाषा समारोह का समापन होगा इस गरिमा में कार्यक्रम में साक्षी रही साहित्यकार मधुरिमा सिंह, इंद्रा व्यास, विप्लव व्यास, शिव शंकर भदानी, वली गोरी, नेमचंद गहलोत, डॉ. तुलसीराम मोदी, राजेश रंगा,डॉ सुचित्रा कास्यप,श्रीमती हनुमंत गौर, विकास पारीक, डॉ. अजय जोशी,बी एल नवीन, घनश्याम सिंह, गोवर्धन चौमाल, हेमंत गॉड, अनिल भारद्वाज, प्रेम नारायण व्यास सहित। रवि पुरोहित ने सभी का आभार स्वीकार किया।