लॉइन न्यूज,बीकानेर। पुस्तक चर्चा से पठन-पाठन को बल मिलता है, परंतु जब आज के दौर में व्यक्ति पुस्तक से अपनी दूरी बना रहा हो ऐसे वक्त में ‘पुस्तक से मिलिए जैसे आयोजन वास्तव में सार्थक तो है ही, साथ ही एक सृजनात्मक नव पहल भी हैैै। ये उद्गार कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.मदन सैनी ने प्रज्ञालय एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा नालंदा स्कूल के सृजन-सदन में आयोजित चार दिवसीय ‘भाषा-समारोह के दूसरे दिन आयोजित राज्य स्तरीय ‘पुस्तक से मिलिए कार्यक्रम में व्यक्त किए।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विचारक, कर्मचारी नेता अविनाश व्यास ने कहा कि हमें रचने से ज्यादा पढऩे की प्रवृत्ति को आत्मसात करना चाहिए, इसी तरह नई पीढ़ी को पुस्तक से अपना रिश्ता जोड़ऩा उनके विचार एवं सोच को तो बल देती है, वहीं उनके भविष्य की चुनौतियों से संघर्ष करने की प्रवृत्ति को सकारात्मक रूख प्रदान करती है।
विषय प्रवर्तन करते हुए वरिष्ठ कवि, कथाकार कमल रंगा ने कहा कि पुस्तक-संस्कृति ही जीवन-संस्कृति है, हमें पुस्तक से भूत-वर्तमान एवं भविष्य की स्थितियों को समझने का अवसर मिलता है। रंगा ने आगे कहा कि ‘पुस्तक से मिलिए आयोजन में स्थानिय साहित्यकारों की पुस्तकों पर चर्चा भी प्रारंभ की जाएगी।

‘पुस्तक से मिलिए की इस राज्य स्तरीय कड़ी में राज्य के वरिष्ठ एवं चर्चित साहित्यकार राजकुमार जैन ‘राजन की दो चर्चित बाल पुस्तकों ‘खुशी रा आंसू और ‘लाडेसर बण ज्यावां पर युवा आलोचक शैलेन्द्र सरस्वती ने अपनी आलोचकीय टीप करते हुए कहा कि इनकी कहानियों के जुदा रंग हैं, वहीं उनके कथ में कसावट है। आपकी रचनाओं में कहन की सावचेती उन्हें पाठक से गहरा जोड़ती है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ.फार्रुख चौहान ने कहा कि ऐसे आयोजनों की आज आवश्यकता है, इससे युवा पीढ़ी पढऩे की प्रवृत्ति के साथ साहित्य से जुड़ेगी। कार्यक्रम में डॉ. अजय जोशी, राजेश रंगा, शिवशकंर भादाणी, गिरीराज पारीक, पुखराज सोलंकी, इन्द्रा व्यास, जाकिर अदीब, कार्तिक मोदी, आत्माराम भाटी ने अपनी रचनात्मक सक्रिय सहभागिता निभाते हुए ऐसे आयोजन के महत्व को रेखांकित करते हुए पुस्तक-संस्कृति को महत्व देने की बात कही।