लॉयन न्यूज, बीकानेर।
लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपना लक्ष्य चार सौ पार रखा है, लेकिन जैसे-जैसे दिन नजदीक आ रहे हैं, पाटों पर एक ही चर्चा है कि इतनी सीटें लाने की बात जुमला है या इसमें कोई हकीकत भी। बीकानेर के पाटे जहां देश-दुनिया के सारे मसलों पर तर्क और तथ्यों पर बात होती है, वहां कोई भी यह मानने को तैयार नहीं है कि इस बार भाजपा चार सौ पार सीटें ले पाएगी।

 

भाजपा के अंदर भी इस लक्ष्य को लेकर धुकधुकी मची हुई है कि आखिर यह आंकड़ा कैसे प्राप्त होगा। यह भी सच है कि सारे देश में भाजपा की तरफ से भले ही कितने ही स्टार-प्रचारक उतारे हुए हों। प्रत्याशियों का चाहे कोई भी जलवा रहा हो, चाहे प्रत्याशियों को विरोध हो, लेकिन एक बात तो साफ है कि चुनाव नरेंद्र मोदी ही लड़ रहे हैं। ऐेसे में क्या अकेले दम पर नरेंद्र मोदी चार सौ पार के नारे को हकीकत में तब्दील कर पाएंगे, इस सवाल से भाजपा का वार-रूम भी उतना ही जूझ रहा है, जितना सामान्य विश्लेषण करने वाले। सभी का एक ही प्रश्न है कि आखिर आंकड़ा चार सौ पार करेगा तो करेगा कैसे।

 

इस विषय में हमने एक तरफ जहां बीकानेर के पाटों पर बैठने वाले नागरिकों की टोह ली तो बीकानेर के राजनीतिक विश्लेषक रमेश अरोड़ा से भी बात की। उन्होंने भी माना कि भाजपा का आंकड़ा चार सौ पार होता नजर नहीं आ रहा है।
राजस्थान में पिछले दो बार से 25 की 25 सीटें जीत रही भाजपा के लिए इस बार 22 सीटें ही ऐसी हैं, जहां संभावना बनी हुई है। तीन सीटों पर टक्कर है। जैसा कि सचिन पायलट ने पिछले दिनों कहा कि इस बार अपेक्षाकृत ज्यादा सीटें कांग्रेस जीतेगी, तो वह इस तरह भी सही हो सकता है। रमेश अरोड़ा का कहना है कि 22 सीटें भाजपा जीत सकती हैं

 

रमेश अरोड़ा के अनुसार पंजाब और चंडीगढ़ की तो अकाली दल से समझौते के बिना ही भाजपा यहाँ चार से छह सीट जीत लेगी और सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी चार से पांच सीट पर दबदबा बना रखेगी।
कर्नाटक में भाजपा देवगौड़ा के साथ मिलकर लड़ रही है। वहाँ एनडीए 28 सीटों में से न्यूनतम 25 सीटें जीत भी सकती है।
जम्मू कश्मीर में कुल छह सीटों में भाजपा दो से चार सीट पर जीत सकती है।

 

दिल्ली में सात , उत्तरांचल में पांच , हिमाचल में चार एवं गुजरात की 26 यानी कुल मिलाकर 42 सीटों में भाजपा जीत जाए तो कोई बड़ी बात नहीं।
उत्तरप्रदेश भाजपा अपने सहयोगी दलों के साथ लड़ रही है। यहां एनडीए 72 से 76 सीट हासिल कर भी सकता है।
मध्य प्रदेश की 29 , हरियाणा की 10 , छतीसगढ़ की 11 और झारखंड की 14 इन 64 सीटों में भाजपा के खाते में साठ सीटें आ सकती हैं।
आसाम की 14 सीटों में एनडीए को 11 से 13 सीटों पर जीत मिलेगी तो पूर्वोत्तर की 11 सीटों में एनडीए आसानी से आठ से नौ स्थान जीत रहा है ।
बंगाल में भाजपा बहुमत में सीटें जीत कर कमाल करती दिख पड़ती है । 2019 की 18 के मुकाबले यहाँ 24 से 28 स्थानों पर विजय मिलने की संभावना है ।

 

बिहार की 40 सीटों में नीतीश के साथ चुनाव लड़ रही है भाजपा तो एनडीए यहाँ 34 सीटों पर कामयाब रह सकती है । उड़ीसा की 21 सीटों में भाजपा 12 से 16 सीटें जीत जाएगी ।
तेलंगाना में भाजपा 17 स्थानों में से 7 से नौ पर तो सत्तारूढ़ कांग्रेस को 6 से 8 सीटें जुटा सकती है।

आन्ध्रप्रदेश की 25 सीटों पर मुकाबला है जहाँ एनडीए 12 से 14 सीट जीत रही है तो वाइएसआर की पार्टी आठ से 12 स्थान जीत सकती है ।
केरल की 21 सीटों में भाजपा जहाँ एक से तीन सीटों पर विजय का परचम फहरा सकती है तो तमिलनाडु की 39 में से सात से 12 सीटों पर एनडीए कामयाब हो सकती है । महाराष्ट्र की 48 सीटों में एनडीए 42 से 45 सीटें जीतते दिख रहे है ।

 

रमेश अरोड़ा का मानना है कि इस विश्लेषण के आधार पर अधिकतम भी मानें तो भाजपा की सीटों की जोड़ 325 से पार नहीं निकल पाता वहीं एनडीए 375 तक पहुंच पाता है। ऐसे में चार पार का लक्ष्य सिद्ध होता नजर नहीं आता। बात करे कांग्रेस की तो वो 38 से 46 सीटे पाने कामयाब रह सकती है, जो पिछली बार से भी कम होगी।
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि जो भाजपा इतने बड़े दावे कर रही है, उसे हासिल करेगी कैसे, क्योंकि इसे चाहे रणनीति कहें चाहे हड़बड़ाहट, भाजपा ने अपने सारे क्षत्रपों को अपने-अपने क्षेत्रों में काम करने के लिए लगा दिया है ताकि वे अपनी सीट पर एकाग्र हो सकें। ऐसे में भाजपा की ओर से ये चुनाव नरेंद्र मोदी ही लड़ते हुए प्रतीत हो रहे हैं।