अरज ‘लॉयन एक्सप्रेस’ लगौलग आप नैं खबरां सूं जोड़्यां राख्यौ है। इण सागै ई अब साहित रा सुधी पाठकां वास्ते भी कीं करण री मन मांय आई है। कथारंग नांव सूं हफ्ते में दोय अंक साहित रे नांव भी सरू करिया है। एक बार राजस्थानी अर फेर हिंदी। इण तरयां हफ्ते में दो बार साहित री भांत-भांत री विधावां में हुवण आळै रचाव ने पाठकां तांई पूंगावण रो काम तेवडिय़ो है। आप सूं अरज है क आप री मौलिक रचनावां म्हांनै मेल करो। रचनावां यूनिकोड फोंट में हुवै तो सांतरी बात। सागै आप रौ परिचै अर चितराम भी भेजण री अरज है। आप चाहो तो रचनावां री प्रस्तुति करता थकां बणायोड़ा वीडियो भी भेज सको। तो अब जेज कांय री? भेजो सा, राजस्थानी रचनावां…
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बुलाकी शर्मा ,  मोबाइल, नम्बर 9413939900

व्यंग्यकार, कहानीकार, नाटककार, सम्पादक स्तम्भ लेखक अर बाल साहित्यकार। हिन्दी अर राजस्थानी में लगोलग लिखै। साहित्य अकादमी नई दिल्ली रो सबसूं लूंठो राजस्थानी परस्कार, राजस्थान साहित्य अकादमी रे कन्हैयालाल सहल अर राजस्थानी भाषा, साहित्य संस्कृति अकादमी रे शिवचन्द भरतिया पुरस्कार सूं भी सम्मानित। 

बाल कहाणी :  जीतगी जमना

हरमेस अेक-डेढ बजी रै लगैटगै स्कूल सूं आवै जमना। आज देरी हुयगी ही। खाथी-खाथी घर कानी जाय रैयी ही। बा जाणै, देरी हुयां सूं मम्मी बकसी। पण बिना बजै बा स्कूल में ठैरै ई कोनी। बी री भायल्यां छुट्टी हुयां पछै गप्प-गोस्ठी करण लागै। बीनै ई कैवै। पण बा तो छुट्टी हुवतै ई घर रो मारग पकड़ै। पंदरै-बीस मिनटां में घरै।
पण आज स्कूल में प्रोग्राम हो। आधी छुट्टी पछै प्रोग्राम सरू हुयो। स्कूल री घणीई छात्रावां भाग लियो। केई जणा निबंध प्रतियोगिता में भाग लियो। केई वाद-विवाद प्रतियोगिता में। जमना नै वाद-विवाद प्रतियोगिता में मजो आवै। इण में सामल हुवण सारू बा नांव लिखाय दियो। नांव लिखावतै डर ई लाग्यो कै घरै पूचण में देरी हुय जासी। मम्मी हो-हल्ला करसी। पछै सोच्यो, अेकली थोड़ी है। घणी ई छात्रावां भाग लेय रैयी है। मम्मी नै बतासी जणै बां रै समझ आय जासी।
वाद-विवाद रो विषय हो बाळक और बाळिकावां में भेद नीं। जमना विपख में बात राखी। कैयो कै छोरा अर छोर्यां बिचाळै आज ई घणो ई फरक है। घर में छोरै नै कोई कीं कोनी कैवै पण छोरी नै छोटी-छोटी बात ऊपरां टोकता रैवै।
बा डायस कनै ऊभर बोलै जणै डर-भौ बीं कनै आवतै डरै। बा बोली जणै हॉल में तालियां बाजती रैयी। सगळा अचंभो कर्यो कै सातवीं में पढण आळी छात्रा कितरै सांतरै ढंग सूं आपरी बात राखी है।
इण प्रतियोगिता में छठी सूं दसवीं ताईं री कुल बारह छात्रावां भाग लियो। जित्ती ताळियां बीं रै भाषण में बाजी, बित्ती किरै ई कोनी बाजी।
फैसलै सारू तीन मैडमां री टीम बणायोड़ी ही। वै नम्बर देय रैयी ही।
प्रतियोगिता खतम हुयी। हैड मेम मंच माथै आया। बां वाद-विवाद प्रतियोगिता में भाग लेवणवाळी सगळी छात्रावां री सरावणा करी। कैयो कै इण भांत छोर्यां नै हर छेतर में आगै बधर भाग लेवणो चाइजै। छोर्यां छोरां में कोई फरक कोनी।
इण बिचाळै अेक मैडम हैड मेम नै अेक कागज झलायो। सगळी छात्रावां जाणगी कै अबै फैसलो सुणाइजसी।
जमना रो काळजो जागा छोडण लाग्यो। सांस तेज चालण लागी। ठाह नीं, बीं रो नांव किसी ठौड़ रैयसी। रैयसी कै नीं।
हैड मेम कागज हाथ में लियां बोल रैया हा— अबार जिकी छात्रावां भाषण दियो, सगळ्यां नै मोकळी बधाई। सगळी छात्रावां विषय रो ध्यान राख्यो। आपरी बात द्रिढता सूं राखी। इयां लाग्यो जाणै सगळी अेक-दूजै सू सवायी है। म्हैं सगळी छात्रावां नै आसीस अर सुभ कामनावां देवूं।
हैड मेम बोल रैया है। प्रतियोगिता में भाग लेवणवाळी छात्रावां री धडक़ण बध्योड़ी ही। बां रो नम्बर आसी कै नीं।
हैड मेम च्यारूं कानी देख्यो। बोल्या— अबै म्हैं थानै रिजल्ट सुणासूं।
इत्तो कैयर बै छात्रावां रा नांव लेवण लाग्या। तीजी ठौड़ रैवण वाली छात्रा रो नांव बोल्यो। ताळियां बाजी।
पछै दूजी ठौड़ रैवणवाळी छात्रा रो नांव बोलीज्यो। ताळियां बाजी। पण जमना रो मूंडो उतरग्यो। बा इत्तो चोखो भाषण दियो पण जीत कोनी सकी।
हैड मेम बोल्या— अबै म्हैं बी छात्रा रो नांव आप साम्हीं राखूलां जिकी पैली ठौड़ रैयी है। बा उमर में सगळां सूं कमती है पण सगळां सूं सांतरो भाषण दियो।
इत्तो केयर हैड मेम रुकग्या। च्यारूं कानी देख्यो। फेर सगळां सूं सवाल कर्यो— थे बतावो बा कुण हुय सकै।
घणीक छात्रावां री निजर जमना कानी घूमगी। दो-चार सुर ई सुणीज्या— जमना।
हैड मेम तेज सुर में बोल्या — थां सही आइडियो लगायो…. वाद-विवाद प्रतियोगिता में पैली ठौड़ रैयी है कक्षा सात री जमना।
हॉल में ताळियां री गडग़ड़ाहट इत्ती जोर सूं हुई जाणै दीवाळी माथै फटाका छूट्या हुवै।
जमना इत्ती राजी कै मूंडै सूं बोल कोनी निकळ्या। होठ फडक़ण लाग्या। आंख्या भरीजगी। काळजो धकधक करण लाग्यो। बीं री भायलां साथै दूजी क्लास री छात्रावां ई बी नै बधायां दीनी।
जमना नै आप कनै बुलाय र हैड मेम साबासी दीवी। माथै ऊपरां हाथ राखर आसीस दीवी— साबास बेटा कांग्रेच्युलेशन।
फेरूं बां कैयो— जमना इण स्कूल री प्रतिभाशाली छात्रा है। पढाई रै साथै-साथै बा दूजी गतिविधियां में ई भाग लेवै। जमना आपरी क्लास में फस्ट आवती रैयी है अर वाद-विवाद, भाषण आद प्रतियोगितावां में ई वा जीतती रैयी है।
हैड मेम आगै बोल्या— आगलै महीनै जिला स्तरीय वाद-विवाद प्रतियोगिता में आपांरी स्कूल रो प्रतिनिधित्व करसी आपांरी जमना।
फैरूं ताळियां बाजी जाणै बिरखा आयी हुवै। भायलां हिप-हिप हुर्रे जमना कैयर ताळियां बजावती रैयी।
प्रोग्राम खतम हुवतै ई छात्रावां बीं नै घेर’र ऊभी हुयगी। बीं री भायल्यां साथै दसवीं-ग्यारवीं री छात्रावां ई बी नै बधायां देय रैयी ही। मेम ई बीं रै माथै हाथ फेर र आसीस दीवी।
फर्राटै सूं भाषण देवण आळी जमना अबार जाणै गूंगी हुयगी। खुसी में बोलीज्यो ई कोनी।
अचाणचक बीं नै चेतै आयो। देर हुयगी है। घरै जावणो है। मम्मी बकेला। बा फुरती सूं सगळी छात्रावां रै बिचाळै सूं निकली अर घर कानी टुरगी।
वा जित्ता खाथा पग राख रैयी ही उणसूं खाथो बीं रो दिमाग चाल रैयो हो। आज मम्मी बकै कोनी। लाड करसी। बां नै ठाह लागसी कै पूरी स्कूल में म्हैं फस्ट आई हूं जणै म्हनैं बांथ्यां में भर लैसी। घणी राजी हुसी। देरी सूं पूगण री बात बीं नै याद ई कोनी रैवै।
इण भांत सोचतै-विचारतै बा पग बधावती रैयी। घर कणै आयग्यो, बीं नै ठाह ई कोनी लाग्यो।
— अबै पधार्या हो कांई राजकंवरी जी। कानां में अे बोल पूग्या जणै वा सचेत हुयी। देख्यो, मम्मी घर रै साम्हीं चौकी माथै बैठी बीं नै उडीक रैयी है।
जमना हौळे सीक बोली—आज स्कूल में प्रोग्राम हो नीं मम्मी… जणै देरी हुयगी।
— थनै किसो पिरोगराम में भाग लैवणो हो जिको रुकगी।.. बठै ठैरी क्यूं, बता?
मम्मी नै रीसां बळती देख र जमना मिठास सूं बोली— म्हैं ई भाग लियो हो नीं मम्मी….वाद-विवाद प्रतियोगिता में म्हैं…।  मम्मी री रीस बधगी। बिचाळै ई बोली— फेर बै काम करण लागगी… म्हैं थनै कित्ती बार कैयो है कै पिरोगरामां में भाग-वाग कोनी लैवणो… पण चीकणै घड़ै माथै पाणी रो असर हुवै तो थारै माथै हुवै।
जमना हीमत कर र कैवण लागी— पण दूजी छोर्यां ई तो भाग लेवै है नीं….।
—चौप्प! मम्मी री रीस बधगी— बै चायै कुअै में पड़ो कै खाड़ में…थनै कांई। स्कूल जाय र और कीं कोनी सीख्यो पण जीभ कतरणी दांई चलावणी सीखगी। अबै घणी लपर-चपर रैवण दै अर घर में जायर ड्रेस बदळ लै। हूंऽऽ म्हनै भाषण सुणावण लागी है राजकंवरी जी।
जमना रोवणखारी हुयगी। बीं री खुशी छाईं-माईं हुयगी। मूंडो उतार्यां बा घर में गयी। बस्तो राख्यो। डे्रस बदलण लागी कै मम्मी री तेज आवाज सुणीजी— कपड़ा बदळर नास्तो कर लैई पछै थनै थारै भायै रै कपड़ां रै इस्तरी करणी है। थनै उडीकतां-उडीकतां म्हारो माथो चब-चबकरण लाग्यो है। म्हासूं इस्तरी-बिस्तरी कोनी हुवै।
जमना चुपचाप सुण लियो। पङूत्तर कोनी दियो। जिकै दिन बीं रै देरी हुय जावै, मम्मी रोळा करै ही। आ कोई नवादी बात कोनी। पण आज तो बा स्कूल में फस्ट आयी है। स्कूल में सगळा बी नै बधायां दीवी। पण मम्मी बीं री बात सुणी ई कोनी। रोळो करण लागी। बा तो सोच्यो हो कै मम्मी घणी ई राजी हुसी। मोहल्लै में सगळां नै बतासी। पण मम्मी तो म्हारी बात ई कोनी सुणै। पापा दुकान सूं आसी जणा बतासी बा। वै घणा ई राजी हुसी। पापा पूरी बात सुणै। बीं री जीत माथै बीं रो लाड करै। बै सुणसी कै बा फस्ट आयी है जणै खुस हुय र मम्मी नै कैयसी— म्हारी लाडो कित्ती हुसिंयार है… क्लास में ई फस्ट आवै, डिबेट कम्पीटिशन में ई फस्ट आयी है।
जमना इण भांत सोचती रैयी अर नास्तो करती रैयी।
मम्मी ई कनै आयर बैठगी। चुपचाप बीं नै देखती रैयी। जमना ई कीं कोनी बोली। दही सूं लगायर बैढवीं पूड़ी खावती रैयी।
—मूंडै नै ढब्बू बणाय लियो नीं। मम्मी कैवण लागी— अरे बेटा, म्हैं थारै भलै सारू कैवूं। छोर्यां नै भाषण-वासण में भाग नीं लैवणो चाइजै। चोखो कोनी लागै। थनै परायै घरै जावणो है बेटा, चूल्है-चौकै रो काम सीखणो जरूरी है। समझगी नीं।
जमना रीसां बळती बोली— थां तो अेक ई बात झाल राखी है कै परायै घरै जावणो है… परायै घरै जावणो है… दूजी बात तो थांनै याद ई कोनी रैवै।… अबार म्हैं टाबर हूं… अे बातां ना कर्या करो… म्हारी पढाई-लिखायी री बात कर्या करो।
मम्मी हंसण लागी—कैवै टाबर हूं…. म्हैं थारै जित्ती ही नीं, जणै ई म्हारो ब्यांव हुयग्यो हो बेटा अर थारै पापा रै घरै आयगी। म्हांरै गांव में टाबर पणै में ई ब्यांव कर देवै… अठै स्हैर री माया ई न्यारी है।
जमना नास्तो कर र हाथ धौंवती पूछ्यो— भायो ओजूं आयो कोनी कांई? बीं री स्कूल री छुट्टी तो कणैई हुयगी ही।
मम्मी लापरवाही सूं पङूत्तर दियो— भायलां साथै बैठग्यो हुवैला कठैई। आय जासी वा।
जमना पूछ्यो— भायो देरी सूं आवै जणै बीं नै तो थे बको कोनी, फैर म्हनैं क्यूं बको मम्मी?
—फेर जबान चलावण लागगी नीं। मम्मी चिड़ती बोली— अरे भई,बो छोरो है। बो बारै घूमै-फिरै, कोई ओळभो कोनी देवै पण थूं छोरी है। थनै बारै घूमतै-फिरतै कै भाषण-वासण देवतां देखर लोग बातां बणावतै देर कोनी लगावै, समझी नीं।
जमना सूं चुप कोनी रैईज्यो। बोली—आज प्रतियोगिता में फस्ट आयी जणै हैड मेम म्हारी खूब तारीफ करी, सगळी छोर्यां म्हनै बधायी दीवी। इसी प्रतियोगितावां गलत हुवै तो स्कूल में कराइज्यै ई क्यूं मम्मी?

— अरे रामजी…थूं तो फेर भाषण झाड़ण लागगी। थारी आ आदत भोत भूंडी है जमना। मम्मी बीं नै समझावण लागी— अरे बेटा, क्लास में थूं पैलै नम्बर माथै आ नीं, कुण मना करै पण इसा लफड़ा में पड़णो छोर्यां सारू चोखो कोनी हुवै, समझी नीं।
जमना मम्मी सूं सवाल करण री त्यारी कर रैयी ही पण मम्मी दूजै कमरै में गयी परी।
जमना पछै आपरै फस्ट आवण री बात किनै ई कोनी बतायी। ना पापा नै बतायो, ना भायै नै। बा जाणती कै पापा अर भायो राजी हुवता। पण मम्मी फैर रीसां बळती। जणै बतावण सूं कांई फायदो।
अगलै महीनै स्हैर रै टाऊन हॉल में जिला स्तरीय वाद-विवाद प्रतियोगिता हुवणी तै हुयगी। प्रतियोगिता में बीं नै ई भाग लेवणो हो। स्कूल जावती थका जमना मम्मी नै कैयो— आज म्हारै देर हुय जासी मम्मी। म्हारी भायली पूजा रो हैप्पी बर्थ-डे है। बीं रै घरै जासूं।
मम्मी कैयो— घणी देर ना कर्यै भलो।
— ठीक है मम्मी।
जमना मम्मी साम्हीं कूड़ बोली। कूड़ बोलणो गलत है, आ बात बा जाणै। पण मम्मी रै डर सूं बीं नै कूड़ बोलणो पङ्यो। जे बा प्रोग्राम री बात बताय देंवती तो मम्मी बीं नै स्कूल ई कोनी भेजती।
बा स्कूल पूगी। स्कूल री आधी छुट्टी हुयां पछै हैड मेम अर क्लास टीचर मेम बीं नै लेयर टाउन हॉल पूग्या। टाउन हॉल बा पैली बार आयी ही। आज तांई बा स्कूल में ई भाग लियो हो। अबकी पैलो मौको मिल्यो हो जिला स्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सैदारी करण रो।
छठी सूं लेयर सीनियर सैकण्डरी तईं पढणवाळा छात्र-छात्रावां जिलै भर सूं आयोड़ा। साथै बां रा टीचर-मैडमां। तकड़ी भीड़।

जमना अेकर तो घबरायगी। इत्ता जणां बिचाळै बीं री कांई औकात। पण हैड मेम अर स्कूल टीचर मेम हीमत बंधायी। कैयो— थूं किण सूं ई कमती कोनी जमना बेटा। जियां स्कूल में खुल’र बोलै, बियां ई पूरै बिसवास साथै अठै बोलणो है।
जमना री घबराट कीं कमती हुयगी। बा आपरी स्कूल टीचर मेम कनै कुर्सी माथै बैठगी। हैड मेम आगै री कुर्सी माथै बैठग्या। स्कूल टीचर मेम बीं नै बतायो कै स्टेज रै साम्हीं सोफै माथै कलक्टर साब अर जिला शिक्षा अधिकारी जी ई बिराज्योड़ा है।
वाद-विवाद प्रतियोगिता सरू हुई। विषय बो ही हो, जिको बीं री स्कूल में हो— बालक अर बालिका में कोई फरक कोनी।
माइक सूं भाग लेवणियै रो नांव बोलीजतो। बो मंच माथै पूगर आपरी बात राखतो। जमना रो ई नांव बोलीज्यो। बा क्लास टीचर मेम रै पगां लागी। हैड मेम सूं निजर मिलायर बां नै प्रणाम कर्यो। फेर मंच माथै पूगी। बा विरोध में बात राखी। कैयो कै बालिकावां नै बरोबरी रो दरजो कोनी। घर में ई बां साथै भेदभाव राखीजै। बालकां री गलतियां कानी ध्यान कोनी देवै पण बालिकावां नै बिना वजै डांट-फटकार सुणनी पड़ै।
जमना खुल’र आपरी बात राखी। बा आपरै घर में ई भेदभाव देखती रैयी ही। मम्मी बीं नै हर टैम बकै, भायै नै कदैई कीं कोनी कैवै। इत्ता दिनां सूं जिकी बातां वा डर’र आपरी मम्मी नै कोनी कैय सकी, बै सगळी बातां अठै पूरी हीमत सूं कैय दी।

बीं रै भाषण माथै ताळियां ई घणी बाजी। भाषण देयर बा आपरी कुर्सी कनै आयी जणै क्लास टीचर मेम माथै ऊपरां हाथ फैर्यो— साबास जमना।
जमना रै पछै ई बोलणवाळा हा। सगळां रै बोल्यां पछै थोड़ी देर में ई रिजल्ट री घोषणा करीजण लागी।

इण प्रतियोगिता में जमना आयी सैकेण्ड नम्बर पर।
बीं रै नांव माथै सबसूं बेसी ताळियां बाजी क्यूंकै बा सबसूं छोटी ही। जिला कलक्टर साब अर जिला शिक्षा अधिकारी जी बीं नै प्रमाण पत्र दियो।
आपरै भाषण में जिला कलक्टर साब बीं रो नांव लियो अर कैयो— जमना जिसी बालिकावां ई आपां रै देस रो भविस है।
प्रोग्राम खतम हुयां पछै हैड मेम बीं रै माथै ऊपरां हाथ फैर्यो। सनेव सूं कैयो— साबास जमना…आज थूं आपांरी स्कूल रो नांव सगळै जिलै में चमका दीन्यो।
जमना ई अणमाप खुस ही। पण घरै पूगी जणै किण नै कीं कोनी बतायो। मम्मी पूछ्यो— पूजा रै बरसगांठ री पार्टी किसीक रैयी?
जमना जवाब दियो—चोखी रैयी मम्मी। खीर-चमचम अर दही बड़ा हा।
जमना साव कूड़ बोल्यो। कूड़ बोलणो कोनी चावती ही पण बोलणो पङ्यो। मम्मी खाली बकणो जाणै, साबासी देवणी जाणै ई कोनी। जणै बा कांई करती।
सिंझ्या रा पापा दुकान सूं आया जणा अेकर मन कर्यो कै बांनै बताय देवै। प्रमाण पत्र ई देखाय देवै, जिको बस्तै में कॉपी बिचाळै घाल्योड़ो है। पण, मम्मी रो डर लाग्यो। मम्मी कैवैला— थूं कूड़ ई बोलण लागगी आजकालै….कैयो भायली री बरसगांठ है अर पूगगी भाषण झाड़ण नै।
दूजै दिन स्कूल सूं घरै पाछी आयी जणा मम्मी-पापा दोनूं ऊभा हा धुरी मोड़े कनै। बीं नै अचंभो हुयो। पापा आज बेगा कियां आयग्या दुकान सूं।
बीं नै देखतै ई मम्मी पूछ्यो— काल थंू कठै गयी ही? भायली रै घरै गयी ही नीं?
जमना डरगी। बा जाणगी कै बी रो कूड़ पकड़ीजग्यो है। मम्मी नै ठाह लागग्यो है। आज मम्मी बकण रै साथै कूटसी भळै।
बा नीची नाड़ घाल्यां ऊभी रैयी। आगै बधर पापा बीं रै मोरा माथै सोवणी थाप मारी। कैयो— साबास बेटा थूं तो कमाल कर दीन्यो। आज अखबारां में थारी फोटू छप्योड़ी है। कलक्टर साब सूं इनाम लैंवती थूं कित्ती फूटरी लाग रैयी है बेटा।

जमना चुपचाप सुणती रैयी।
पापा आगै कैवण लाग्या— दिनूगै म्हैं बेगो दुकान गयो परो। अखबार देख्यो कोनी। दुकान पूग्यां आड़ोसी-पाड़ोसी बधायां देवण लाग्या, जणै अखबार देख्यो।
अेकर तो म्हैं स्कूल पूगर थनै साबासी देवण री सोची…. पछै घरै ई पूगर थनै उडीकण लाग्या। पापा मुळकता पूछ्यो-पण म्हारी लाडो राणी, थूं म्हांनै बतायो कियां कोनी?
जमना नस ऊंची कर र आपरी मम्मी कानी देख्यो।
मम्मी बीं नै आपरी बांथ्यां में भर ली अर कैवण लागी— अरे भई म्हनै इत्ती समझ कठै है। थारै स्कूल जावतै ई पाड़ोस री लुगायां म्हनै बधायी देवण नै आयगी जणै म्हैं अखबार देख्यो अर अखबार में थारो फोटू देख्यो। म्हैं सगळां रो मूंडो मीठो करायो। था रै भायै नै ई बकी कै म्हारी लाडली जमना सूं सीख लै अर बीं री भांत नांव कर।
लाड लडावती मम्मी कैवती रैयी— म्हैं आज भोत खुस हूं बेटा… था रै जिसी बेटी घर-परिवार रो नांव ऊंचो करै…. ले मूंडो मीठो कर म्हारी लाडो।
इत्तो केयर मम्मी जमना रै मूंडै में बरफी रो टुकड़ो घाल दियो।
जमना इत्ती इत्ती राजी ही कै बींरी आंख्यां भरीजगी। मम्मी री छाती सूं चिपती बोली— थे कित्ता चोखा हो मम्मी।

 

मधु आचार्य ‘आशावादी’,   मोबइल 9672869385

देश री आजादी रे वास्ते हुये स्वाधीनता आन्दोलन ने सबसूं पैला सामने लावण वाला पत्रकार। अबार तक 200 सूं ज्यादा नाटकों में अभिनय और निदेशण कर चुक्या हैं नाटक, कहाणी कविता अर जीवनानुभव पर आजतक लगभग 72 किताबां हिन्दी अर राजस्थानी में लिख चुक्या हैँ। साहित्य अकादमी नई दिल्ली रे सर्वोच्च राजस्थानी पुरस्कार संगीत नाट्य अकादमी रा निदेशन पुरस्कार, शम्भु शेखर सक्सैना साथे कई पुरस्कार सूं सम्मानित।

कहाणी  :  रडक़ता सुपनां

म्हारी मां,थारो घर छोड’र गयां नै आज तीन महीनां हुयग्या। इण खातर याद घणी आई। फोन करूं तो थन्नै ठा पड़ जावैला कै म्हैं कठै हूं। इण खातर कागद लिखियो है। इणनै पैला दूजी ठौड़ म्हारी भायली नै भेज्यो है। उण जगै सूं थारै कन्नै पूग्यो है। थूं ठा ई नीं कर सकैला कै म्हैं कठै हूं। आज म्हारो मन ठीक नीं है। हर पीड़ मांय पैलो सबद मां निकळै। मां री ई याद आवै। आज म्हनैं थारी याद आयगी। इण सूं थूं समझ सकै कै म्हैं घणी पीड़ मांय हूं। याद करण सारूं कीं नीं है, इण खातर कागद लिखण बैठगी। थूं कागद पढसी तद तांई राम जाणै कठै पूग सूं। म्हैं थारो मोटो सुपनो ही मां, आ जाणूं। खूब लाड कोड सूं थूं म्हनैं पाळी। अेक छोरी ही इण खातर तीन भायां सूं बेस्सी लाड कोड करिया। म्हैं तो थारै कन्नै अेक अमानत ही नीं। रोज थूं आई कैंवती। इण खातर थोड़ै बगत थारै कन्नै रैवणो हो तो थूं खूब लाड करिया। भाई म्हारो घणो ध्यान राखता। पापा री लाडली ही। म्हनैं उण दिन री बात याद है, जद पापा नै दूजै सहर जावणो हो। गाडी रो टैम हुयग्यो। म्हैं गळी मांय रमती ही। थूं हाका करती म्हनैं बुलावण सारू आई। उण दिन पैली बार म्हनै अकरी बोली। – ओ कांई रमण रो बगत है कमला। घरां चाल। म्हनैं घणी टैम घर सूं बारै रैवणो ठीक नीं लागै। म्हैं रोवण लागगी ही। रोंवती रोंवती कैयो। – म्हनैं बकै क्यूं है। प्रेम सूं ई आ बात कैय सकै। – छोरी रो धन है। कठैई कीं हुयग्यो तो काई करसूं। घणो घर सूं बारै पग काढणो ठीक नीं हुवै। – म्हैं तो गळी मांय ई हूं। दूजी ठौड़ नीं गई। – टैम सर घरै आवणो चाइजै नीं। आंख्यां फूटगी कांई। घड़ी देख।  म्हैं रोवण लागगी। – अबै रोवणो बंद कर अर घरै चाल।  म्हारो बांवड़ो पकड़’र उण दिन घरै लाई।   म्हनैं रोवती देख’र पापा सवाल करियो। – कांई हुयो बेटा, रोवै क्यूं?- मां आज म्हनैं सगळां सामीं बकी। कान पकडिय़ो।  मां बीच मांय बोली – थांनै गाडी माथै जावण मांय देर हुंवती अर आ महाराणी बारै घूमती ही। इणनै पकड़’र लाई। थांरी गाडी छूट जांवती तो। – म्हारो कांई है। कालै जांवतो परो। – घणी बातां ना बगारो। इण बात सूं म्हैं समझी कै मां पापा रै देरी हुंवती इण खातर म्हनैं पकड़’र लाई। पापा म्हारो मूंडो देख’र ई घर सूं निकळता हा। बात म्हारी समझ आयगी अर म्हैं रोंवती रोंवती चुप हुयगी। उण बात नै आज याद करता थकां आंख्यां भरीजगी। पापा रो लाड म्हैं आखै जीवण मांय नीं भूल सकूं। रोज म्हारै खातर बाजार सूं कीं लांवता। आपरै हाथ सूं म्हनैं जीमावता। पण म्हैं…। छोड मां, थां सगळां रो लाड म्हारै भाग मांय नीं हो। म्हैं नाजोगी ही जकी थांरो लाड छोड’र आयगी। उणरी पीड़ आज जद म्हनैं मांय सूं हिलायो तो म्हैं औ कागद लिखण री बात तेवड़ी। आदमी जद अबखाई मांय हुवै तद उणनै पुराणी आछी बातां याद आवै। उण याद मांय आंख्यंा मांय पाणी भरीजणो तय है। म्हारी आंख्यंा अबार भरिज्योड़ी है। कागद माथै आंख्यां मांय सूं टप-टप आंसूं पड़ै  म्हारै हरअेक  आंसूं मांय थूं अर घर आळां रो प्रेम निजर आवै। म्हैं अभागण हूं जकी थां लोगां रो प्यार छोड़’र आयगी। अब पछतायां होत क्या जद चिडिय़ा चुगगी खेत। आई म्हारै सागै है। अेक छोटे सीक कमरे मांय बैठी ओ कागद मांड री हूं। आसै-पासै सरणाटो है। थन्नै तो ठा है मां, म्हनैं सरणाटै सूं डर लागै। उण दिन आधी रात मांय उठ’र थारै कन्नै आयगी ही। तेज आंधी चालती ही। लाइट गई परी। अंधारो हुयग्यो। म्हैं डरगी अर दौड़’र थारै कमरे मांय आयगी। थासूं चिपगी। थैं पूछ्यो हो। – कांई हुयग्यो कमला। म्हैं कैई ताळ चुप रैई। सांस ऊपर-नीचे। कीं ठावस हुयो तद थन्नै पड़ूतर दीयो हो। – मा, सरणाटो हुयग्यो। म्हनैं डर लागै। – बेटी, जीवण मांय कैई बार सरणाटो आवै। इयां डरसी तद काम कियां चालसी। सरणाटै सामीं तण’र ऊभ जावणो। बो डर जावै। थूं उण दिन घणो ई समझायो पण म्हैं नीं मानी। आखी रात थारै कन्नै ई सूती रैई। आ बात याद करूं तो आंख्यां भरीज जावै। अबै तो सरणाटो  ई म्हारै भागा मांय है। सरणाटो अबै डरावै नीं, व्हालो लागै। इण बगत सरणाटो म्हारो बेली है। बातां बदळगी तो म्हैं भी बदळगी। म्हैं थां सूं जिद करी अर कॉलेज मांय पढण सारू अेडमिसन लियो। थैं पापा नै म्हारै खातर छोरो देख’र ब्यांव री जिद करी पण म्हैं ना दीयो। म्हनैं उण दिन री सगळी बातां याद है मा।  उण दिन रात नै खाणो खायां पछै थूं, पापा अर भाई बैठा हा आंगण मांय। म्हनैं म्हारै कमरै सूं बुलाय’र थां कन्नै बैठायो अर पैला थूं बोली ही।
– सुणो, छोरी 12वीं पास कर ली।
– हां, करली नीं। आछा नंबर आया है।
– अबै पढाई घणी हुयगी।
– थूं कांई कैवै है, समझ्यो नीं।
– सीधी बात कैवूं।
– बोल नीं।
– अबै आगै पढण मांय सार नीं है।
थारी आ बात सुण’र म्हैं अचम्भै मांय पडग़ी ही। म्हैं तो आगै री पढाई रा सुपना देख रैयी ही। पण म्हनैं पापा माथै भरोसो हो इण खातर म्हैं बीच मांय नीं बोली ही उण दिन। पापा ही थां सूं बात करी।
– पढासा नीं तो छोरी कांई करसी?
– करसी कांई। परायो धन है। आछो छोरो देखो अर इण रा हाथ पीळा कर दो।
थारी इण बात म्हनैं मांय सूं हिलाय दीयो।
– पण भागवान, अजै तांई छोरी टाबर है। इणरै खेलण रा दिन है।
– टाबर माइतां सामने कदैई बडा नीं हुवै। हमेस छोटा ई रैवै।
– आ बात तो ठीक है।
– साल भर मांय ब्यांव करणो है। आछो टाबर सोधणो सरू करो अर ब्यांव मांडण री सागै-सागै तैयारी करो।
– म्हनैं तो उंताळ ठीक नीं लागै।
– पढ’र इणनै नौकरी तो करणी नीं है। हाथ पीळा करां अर इण रै घरां भेजां।
आगै पढावणो है या नीं, आ इण रै सासरै आळा जाणै। आपां तो लूंठी जिम्मेवारी सूं मुगत हुवां।
– मुगत हुवां, आ बात आज रै जमानै मांय ठीक नीं है। छोरी कोई बोझ नीं हुवै। काळजै री कोर हुवै। थूं थारा बोदा विचार बदळ लै।
– म्हारा विचार सई है।
बात बधगी। थूं थारी बात मनावणो चावती अर पापा म्हारी बात राख रिया हा। उण दिन म्हनैं पैली बार थां दोनूं री बात नीं जची। फैसलो म्हारो हुवणो हो अर म्हां सूं कीं नीं पूछ्यो। आपस मांय ही थे उळझ्योड़ा रैया। अेकर म्हनैं तो पूछता।
म्हैं भी सई नीं ही। म्हारो सुवारथ पूरो हुवतो हो तो म्हैं नीं बोली। म्हारै मन री बात पापा बोली तद म्हैं सोच्यो, म्हारो चुप रैवणो ठीक हो। बोल’र भूंडी नीं बणनो। इणनै सुवारथ ही कैय सकां। दुनिया मांय हरअेक सुवारथी हुवै, म्हैं सगळां सूं न्यारी नीं ही। इण खातर चुप रैई।
साच बताऊं मां, आज साच बतावण मांय कीं हिचक नीं है। ना तो थूं सामीं है अर ना कदैई सामीं हुवैला। इण खातर आज साच कैवण सूं नीं डरूं। म्हारो मन भरयोड़ो हो, इण खातर कॉलेज जावणो चावती। कॉलेज रै नांव माथै घर सूं बारै जावणो हुय जावतो, आ म्हारै खातर जरूरी है।
आज बताऊं, थारी ब्यांव री बात म्हनैं आछी नीं लागी ही उण बगत। म्हैं तो पैला सूं ई अेक छोरो पसंद कर लियो हो। उण सूं प्रेम करती ही। रोज मिळती अर ब्यांव री हामल भर ली ही। जै थूं पढण माथै रोक लागवतो तो मिळणो दोरो हुय जावतो, इणी खातर उण दिन पापा री बात म्हनैं आछी लागी ही।
आज इण कागद मांय थन्नै म्हारी प्रेम कहाणी भी बताय दूं डर तो अबै रैयो नीं। म्हैं फेसबुक माथै ही अर उण माथै ही रितेश सूं जुड़ी। उणरी बातां म्हनैं घणी आछी लागती। समाज री बोदी मान्यतावां रो बो विरोध करतो, आ म्हनैं आछी बात लागती। इण रै सागै-सागै म्हारी घणी तारीफ करतो। म्हनैं दुनिया री सबसूं फूटरी छोरी बतावतो। जवान हुवती छोरी नै कोई फूटरी बतावै तो बात आछी लागै, म्हनैं भी लागी। थोड़ै दिनां मांय म्हैं अेक-दूजै सूं प्रेम करण लागग्या। पैला खाली चैटिंग हुवती ही, पछै रितेश मिलण रो दबाव घालण लागग्यो।
उणरी जिद सामीं अेक दिन हारगी। म्हैं सिनेमा हॉल मांय मिळ्या। धीरै-धीरै मिळणो बधतो गयो। सिनेमा, होटल, पार्क कैई ठोड़ मिलता। अेकला हुंवता तो संको टूटग्यो। नेड़ा आयग्या। ब्यांव री बात हुई अर दोनूं जणा हामल भर ली। मौकै री तळास ही। रितेश ब्यांव सारू घणो कैंवतो। म्हारी मून सूं थोड़ो दुखी हो। दूरी नीं रैवै इण खातर ब्यांव रो रस्तो रितेश ही लायो।
थूं उण दिन कॉलेज नीं भेजण रो कैयो तो म्हारै सामीं म्हारी पढाई नीं ही, रितेश हो। इण खातर चुप रैई। पापा बात करता ही हा। थन्नै पापा रै वीटो माथै झुकणो पड़्यो। कॉलेज जावण री जद बात तय हुई तद म्हारी सांस मांय सांस आई। रितेश सूं मिलण री बात तय हुयगी, ब्यांव करणो हो नीं दोनूं नै। थारी ब्यांव करण री बात तो पापा टाळ दी, म्हनैं इण सूं घणी खुसी ही।
प्रेम जीवण मांय हुवै वो जीवण सुनेरो हुय जावै। पण आखी जूण खातर जीवण साथी चुणनो घणो अबखाई रो काम है। उण मांय सावचेती राखणी चाइजै। ब्यांव री रीत समाज इयां ई नीं बणाई। रीत-कायदा अकारण नीं बणै, आ बात म्हनैं अब याद आई है। उण बगत तो रितेश रै प्रेम मांय बावळी ही।
कागद लिखती-लिखती मारग भटकगी। जिण तरै सूं उण रात नै मारग भटकी ही। दिन मांय रितेश म्हनैं व्हाट्सअप माथै मैसेज कर बुलायो। म्हैं खाथी-खाथी पब्लिक पार्क मांय पूगगी। रितेश पैला सूं ई बैठो हो।
– आवण मांय देर करी कमला।
– ओ कॉलेज रो टैम नीं है। इण खातर मां नै कीं झूठ बोल’र मनावणो पडिय़ो। तद घर सूं बारै आवण री छूट मिली। – कांई कैयो?
– अेक भायली सूं नोट्स लावण रो कैय’र आई। जल्दी बताव, आज ऊंताळ मांय कियां बुलायो?
– आज तांई थारी सुणतो आयां हूं।
– म्हारी अेक बात नीं मानी।
– किसी नीं मानी।
– जकी आज तांई नीं मानी, व्हाई सुणावण खातर बुलायो है।
– हरअेक बता मानूं, किसी बात मानणी बाकी रैयगी। थूं बुलावै तद आवूं। थारी पसंद री ड्रेस बणवाऊं। थूं कैवै बठै सागै चालूं। अबै कांई रैयग्यो।
– मोटी बात मानणी रैयगी।
– सीधो कैव।
– ब्यांव करण री बात करूं।
– उण मांय उंताळ सूं पार नीं पड़ै।
– म्हनैं उंताळ है।
– घर आळा मानणा दोरा है।
– आपांनै तय करणी है बात। ब्यांव आपंा करसां। घर आळा रो कांई लेणो-देणो।
– घर आळां नै कांई कैय’र आवूं?
– कैवणो ई नीं है।
– ब्यांव करसां कठै। ब्यांव रै बाद कठै रैवांला। म्हैं आ सब सोच ली। थूं म्हारै माथै छोड़। थारो जिम्मो ब्यांव पछै म्हारो है, थन्नै चिंता करण री जरूरत नीं है।
– आखी जूण काढणी है, टाबरां रो खेल नीं है।
– म्हैं जाणूं हूं आ बात।
– थारै घर मांय मां है, जकी बीमार है। थन्नै तो ब्यांव खातर किणी दूजै नै नीं पूछणो है पर म्हारै तो घर है नीं। सगळां नै राजी करणो दोरो काम है।
– थारै घर आळा हां नीं भरै, आ म्हनैं ठा है।
– तद कांई करां।
– थन्नै म्हां सूं मतलब है नीं।
– आई कोई पूछण री बात है कांई।
– म्हैं कैवूं उण बात नै मान।
– काई कैवै।
– घर आळा नै बिना कैयां आपां भाग लां। दूजी जगह जाय’र ब्यांव कर लेवां ला। थोड़ै दिनां मांय बात आई-गई हुय जासी। थारै घर आळा राजी हुय जासी। आखिर मांय मानणो पड़ैला। झुकणो पड़ैला।
– भागण री बात म्हनैं तो दाय नीं आई।
रितेश थोड़ी ताळ चुप रैयो। प्रेम रो आखरी हथियार चलायो।
– जे थूं नीं चालैला तो म्हैं आज ही म्हारा प्राण छोड़ दैवूंला। आत्महत्या करूंला। आगै थारी थूं जाणै। मन मांय आवै ज्यां करियै।
म्हैं डरगी। रितेश रै मूंडे माथै हाथ राख दियो अर उणरै गळै लागगी। थोड़ी ताळ खैचळ करी अर हारगी। उणरी बात मांय हामळ भर दी। दूजो रस्तो म्हनैं नीं दीस्यो। प्रेम मांय मिनख आंधो तो हुवै ही है। दूजी कांनी देखणो चावै तो कीं नीं दीसै। इणी खातर हामल भरणो म्हारी मजबूरी है।
मां, इणी खातर उण दिन रात रा म्हैं गैणा- कपड़ा लेय’र घर सूं थन्नै बिना बतायां निकळगी। थारै समेत सगळा जणां नींद मांय हा अर म्हनैं ओ ई टैम ठीक लाग्यो। म्हैं निकळण सूं पैला अेकर थन्नै अर पापा नै देख्यो जरूर हो। हाथ दूर सूं जोड़्या अर घर सूं चुपचाप निकळगी।
बारै मोटर साइिकल लियोड़ो रितेश खड़ो हो। आधी रात रा उण रै सागै बैठ’र निकळगी अर ठेसण सूं गाड़ी पकड़ ली। दूजै सहर आया। अठै रितेश री जाण पिचाण आळां सागै मिल’र कोरट मांय ब्यांव कर लियो। ब्यांव कर दूजै सहर निकळग्या। उण दिन सूं आज तांई आठ सहर घूम लिया। नूंवो ब्यांव हो इण खातर आ सोची ई नीं कै थां लोगां पर कांई बीती हुवैला। अेक बार मन मांय आई कै थांरी ठा करूं पण रितेश ना दे दी।
अबै म्हारी जूण तो रितेश रै हाथां मांय है। इण खातर उण री हर बात मानणी जरूरी है। मोटा-मोटा सुपना रितेश दिखाया अर उण सुपनां मांय गम्योड़ी म्हैं थां सगळां नै बिसराय दीयो। थांनै म्हारै जावण सूं पीड़ तो घणी हुई हुवैला। म्हैं जाणूं पापा नै म्हारै इण काम सूं घणो दुख हुयो हुसी। इण तरै री उम्मीद थां लोगां म्हासूं नीं करी हुवैला। पण कांई बताऊं मां, म्हैं प्रेम अर रितेश री मीठी बातां आगै मजबूर ही। उमर रो दोस ही हुवै। जद भटकै मिनख तो भटकतो ई जावै।
ब्यांव नै अेक महीनो हुयग्यो हो। म्हैं अेक सहर मांय रितेश रै भायलै रै घर मांय रुक्योड़ा हा। म्हैं कमरै मांय बैठी उणनै उडीकती ही। रात री 11 बजगी पण रितेश नीं आयो। म्हैं उणरै मोबाइल माथै घंटी करी। घंटी जांवती अर बो काट दवंतो। फोन उठायो ही नीं। म्हनैं चिंता लागगी।
आधी घंटा मांय रितेश कमरै मांय आयो। पग लडख़ड़ावंता हा। कन्ने आयो तो मुंडे मांय सूं दारु री बांस आंवती। म्हैं अचंभै मांय पडग़ी। म्हनैं आ ठा नीं ही कै रितेश सराब पीवै। उण दिन पैली बार ठा पड़ी। म्हनैं काटो तो खून नीं। रीस आवणी ही। म्हैं तो चेता चूक हुयगी।
– थूं दारू पीयर आयो है। दारू पीवो हो कांई?
– ना। म्हैं दारू नीं पीवूं।
– आज पियोड़ी है नीं। – आज तो भायलां ब्यांव री पार्टी ली। उण मांय जोर जबरदस्ती सूं पाय दी। नीं तो म्हैं दारू रै हाथ ई नीं लगाऊं। – आज तो भायलां ब्यांव री पार्टी ली। उण मांय जोर जबरदस्ती सूं पाय दी। नीं तो म्हैं दारू रै हाथ ई नीं लगाऊं। – इण तरै रा भायला किण काम रा। – माफ कर, आगै सूं दारू नीं पीवूं। म्हासूं माफी मांग ली। घणो दारू पीयोड़ो हो इण खातर सुयग्या। पण उण दिन पैली बार म्हारी नींद उडगी। थूं जाणै मां, म्हनै दारू सूं चिड़ है। पण दारू पीवणियो म्हारै सागै रैवैला, आ सोची नीं ही। आखी रात आख्यां मांय काढी। दिन उग्यो तो फैरूं रितेश सूं दारू री बात करी। आपरी मीठी बातां सूं म्हनैं भरमाय दीयो। आगै सूं दारू नीं पीवण री सौगन खाय ली। म्हैं बावळी उण री बातां नै मान ली। म्हनैं साच ठा नीं हो। हर लुगाई सागै आई हुवै, धणी री बात उणनै मानणी पड़ै। उणरै लारै ई तो नूंवै घर मांय लुगाई आखी जूण काढण सारू आवै है। पण उण दिन रात रा सागी बात हुई। रितेश फैरूं दारू पीयर आयो। कैयो तद माफी अर आगै सूं ध्यान राखण री सौगन। पांच दिन हुयग्या। रोज रो ओई रासो हुयग्यो। रोज दारू पीय’र आवण लागग्यो। पांचवें दिन तो म्हैं कीं नीं कैयो। म्हनै ठा पडग़ी ही कै दारू पीवणो इणरो रोज रो काम है। कैवण सूं फायदो नीं है। उण दिन पैली बार म्हनैं ठा पड़ी कै म्हैं गलती कर ली। घर आळां सूं परबार जाय’र ब्यांव करिया, अबै दोस किण नै दैवूं। साच कैवूं, उण दिन पैली बार म्हनैं थारी याद आई। थारी बातां नै ध्यान राखती तो मोटी चूक नीं हुवती। खूब रोई उण दिन म्हैं मां, साच कैवूं, बडां री सलाह नीं मानणो गलत है, आ परतख ठा पड़ी। पण अबै तो बगत निकळग्यो। गलती हुयगी। म्हारै चुप रैवण रो उण माथै असर हुयो। कीं बात समझी। उणी दिन शिमला चालण री तेवड़ी। म्हैं शिमला निकळग्या। होटल मांय तीन दिन रैया। खूब घूम्या। आपरी मीठी बातां सूं रितेश म्हारी सगळी नराजगी दूर कर दी। जिण दिन पाछी गाड़ी पकडणी ही उण दिन होटल रै कमरै मांय म्हैं दोनूं बैठा हंसी-मजाक करता हा। म्हनैं ओ बगत ठीक लाग्यो अर म्हैं म्हारै मन री बात करी। – सुणो। – कांई। – अेक बात कैवूं। – दो कैव। थारी बात तो दुिनया में सब सूं सवाई। – आपां कद तांई जगै-जगै घूमता रैवांला। अबै तो म्हैं लाई जका पइसा खूटग्या। दो गैणां भी आपां बेच दिया। आगै कांई करांला। रितेश इण बात माथै चुप हुयग्यो। – ब्यांव करियो है तो आपां रो घर हुवणो चाइजै। उण मांय दोनूं रैवां। म्हैं थांरी सेवा करूं घर संभाळूं। – बात तो सई कैवै। पण जद तांई मामलो सांत नीं हुवै, पाछा कियां चालां। – आपां बालिग हां, अबै कीं नीं बिगड़ै। घर तो चालणो चाइजै।  उणरै मूंडै माथै फैरूं ताळो लागग्यो।- म्हारो मन है, आपां आपांरै घरां चालां। – थूं बठै रैय जासी। – मतलब?- मोटै घर मांय रैयोड़ी है। ठाठ सूं रैई। उण घर मांय तो कीं नीं है। बस आई सोचूं कै थूं बठै कियां रैवैला। – म्हारो घर तो थारै हिवड़ै मांय है। इण मांय हमेस रैवूंला। उण घर मांय तो बगत काटणो है। म्हनैं तकलीफ नीं हुवै। – घर छोटो है। छोटा-छोटा कमरा सुविधावां री कमीं। इणी खातर थन्नै उण घर मांय लेजावण सूं डरूं। – म्हैं जाणूं, थे म्हारै खातर सोचो। पण म्हैं थारै सागै तो झूपड़ी  मांय रैय सकूं। थांरो सागो हुवणो चाइजै, म्हनैं किणी तरै री तकलीफ नीं है। म्हनैं थे चाइजो, और किणी चीज री दरकार नीं है। – थारो इतरो मन है तो, म्हनैं घरां चालण सूं कांई पीड़। चाल आपां सीधा घरां चाल सां। दो-तीन जगावां माथै रुकता रुकता सीधा घरै। अबै तो राजी है। – हां, म्हारै मन री बात थां मान ली। इण खातर घणी राजी हूं। – चाल अबार तो चालण री तैयारी करां। उणरी हामल सूं मां, म्हैं घणी राजी ही। घूम घुमार घरै पूगग्या। घर देख्यो तो मां म्हारा तो पग ई चिपग्या। गंदी बस्ती मांय हो घर। ना नहावण री जगै अर च्यारूंमेर गंदगी। दो छोटा-छोटा कमरा। आसै-पासै गंदा कपड़ा पैर्यां छोरा-छोरी घूमै। साव दीखतो हो कच्ची बस्ती है। कीड़ा दाई जीवता लोग। म्हैं तो पूरी चेता चूक हुयगी। रितेश सूं बात करी। – इण जगै माथै रैवो। म्हनैं कदैई नीं बतायो। म्हनै ब्यांव सूं पैला घर तो देखाणो चाइजतो हो। – थै घर सूं ब्यांव करियो या म्हांसूं। उणरी बात मांय रीस ही। घरां आंवता ई पलटग्यो। अेक कमरै मांय सराब रा जरीकन राख्योड़ा हा। म्हैं दोड़ती रितेश कन्नै आई। – उण कमरै मांय सराब पड़ी है। – हां, है नी।- घर मांय कियां। – म्हारो ओई काम है। इण बस्ती मांय घणकरा ओई काम करै। इचरज कांई बात रो

करै है।
रितेश रो ओ रूप हुयसी, आ नीं सोची ही। दिन निकळग्या, रितेश बदळग्यो। काल रात तो दारू पीयोड़ो म्हारै माथै हाथ उठाय लियो। जूण नरक हुयगी, आ म्हनैं ठा पडग़ी। म्हासूं मोटी गलती हुयगी।
दुख मांय मां थारी याद आई तो कागद लिखण बैठगी। कमरै मांय सरणाटो है। कन्नै दारू रा जरीकन है। हवा मांय बदबू है अर म्हैं अेकली हूं। थूं म्हनैं नीं देख सकै अबै। इण ठौड़ भलो मिनख आवै नीं। सरू में मां थन्नै झूठ कैयो, इणी सहर मांय हूं पण भूंडी ठौड़।
जे मन री बातां थन्नै नीं बतावती तो भगवान सामीं जाय’र कांई मूंडो दिखावती। थन्नै तो अबै मूंडो नीं दीखाऊं। जूण छोड़णो म्हारै हाथ है, वो ई कर सूं। जीवणो दोरो, मरणो सोरो। ओ कागद जद तांई थारै कन्नै पूगसी, होय सकै म्हैं दूजी दुनिया मांय पूग जावूं। थूं लोगां नै कागद पढाए। म्हारी बात बताए। छोर्यां नै ठा पड़सी कै माईत कदैई टाबरां रो बुरो नीं चावै। आप मतै इण तरै रा निर्णय नीं करै, नीं तो कमलादाई सुपना रडक़ैला अर जूण अधूरी छोडऩी पड़ैला।
बस मां, माफी मांगू अर भगवान सूं अरदास करूं कै अगलै जलम मांय थारी बेटी बणावै। इण जूण मांय करियोड़ी गलती दूजी जूण मांय सुधार तो सकूं।
पांव धोक मा। थारी बेटी
कमला।

सीमा भाटी, मोबाइल 9414020707

हिन्दी-उर्दू में कहाणियां और नज्म लिखे है साथे-साथे उर्दू पढ़ावें भी हैं। मंच संचालन, गायन अर पर्वतारोहण में भी खासी रुचि है। कर्णधार सम्मान श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान के साथ कईं संस्थाओं सूं सम्मानित है।  

कविता  : इंदर धणख

लाल
हरियो
पीळौ
नारंगी
कीं रंग उछाळ्या
अर बणग्यो
आभै मांय इंदर धणख
दुनिया कोडीजती
देखण ढूकी
अर बणावण वाळो भी
देखे हो
आपरो बणायोड़ो धणख
इंदर-धणख
अर अेक छोर सूं
दूजे छोर तांई मंडग्यो
इंदर धणख
मुळकण लाग्यो (वो)
देखणिया आज ई मिळिया
नीं जणै
वो तो रोजीना उछाळतो रंग
अर
रचतो धणख
अजैतांणी
जाणै कितरा ई
बणाय दिया इंदर-धणख
पण
चाइजै देखण वाळा भी
मिळिया तो हुयौ नेहचो

कविता  : फरक

अळखावणो नीं लागै
पैला-पैल फरक
घणखरां ने तो
निजर ई नीं आवै
रिस्तां में बधतो फरक
हुवै खथावळ
बंधण बणिया रिस्तां ने
खोल’र मुगत हुवण री
हुवै उतावळ
कीं नूंवा रिस्तां ने जीवण री
अर
इण तरयां
छोड़ देवै है
बदळाव रे नांव
घणखरो आपरो
चावनां में दूजां री।
इण आंधी-दौड़ में
इत्ता परियां हुय जावै
अेक-दूजे सूं क
कदै नीं आय सके नेड़ा