जयपुर। नगर निगम ने निचली अदालत में मामलों की पैरवी के लिए 134 नए वकील नियुक्त किए हैं, जबकि पहले से ही करीब 30 वकील कार्यरत हैं। इनको मासिक पांच हजार रुपए भुगतान करने के साथ ही प्रति केस 21 सौ रुपए और एक हजार रुपए खर्चा दिया जाएगा। इस तरह से मासिक पारिश्रमिक के पेटे ही निगम करीब 80 लाख रुपए का भुगतान करेगा। इन वकीलों को नियुक्त करने के लिए निगम ने किसी तरह के मापदंड तय नहीं किए, न ही निगम ने इसके लिए सार्वजनिक विज्ञप्ति या सूचना जारी की।गौरतलब है कि नगर निगम की माली हालात खस्ता चल रही है जिसकी वजह से शहर में सफाई व्यवस्था, उद्यानों की सार-संभाल और अन्य कार्य ठप पड़े हैं। लेकिन निगम ने निचली अदालतों में मनमर्जी से बिना किसी प्रक्रिया को अपनाए 134 नए वकील नियुक्त कर लिए। गौरतलब है निचली अदालत में निगम के खिलाफ दायर मुकदमों में ज्यादातर अवैध निर्माण या अतिक्रमण से संबंधित मामले हैं। ऐसे मामले महानगर मजिस्टे्रट क्रम संख्या चार में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होते हैं।

नहीं है चयन का पैमाना

निगम ने निचली अदालतों में वकील नियुक्त करते हुए कोई चयन का मापदंड नहीं रखा है। केवल बार काउंसिल में रजिस्टर्ड होना ही जरूरी किया है। ऐसे वकील भी सूची में शामिल हैं, जिनका रजिस्ट्रेशन दो तीन साल पहले हुए हैं। चयन के लिए सभी को समान अवसर मिले इसके लिए किसी तरह का कोई विज्ञापन या सूचना नहीं दी।

अतिक्रमण एवं अवैध निर्माण के मामले

नगर निगम के खिलाफ चल रहे मामलों में अधिकांश अवैध निर्माण, अतिक्रमण या सरकारी जमीन से संबंधित हैं। निगम जैसे ही अवैध निर्माण या अतिक्रमण को लेकर नोटिस जारी करता है, दूसरा पक्ष अदालत पहुंच जाता है और निगम के खाते में एक नया केस दर्ज हो जाता है।

किया था विरोध

पूर्व महापौर ज्योति खंडेलवाल ने भी अपने कार्यकाल में करीब सवा सौ वकील निचली अदालत में नियुक्त किए थे। इस पर भाजपा ने आपत्ति करते हुए अपनों को फायदा पहुंचाने के आरोप लगाए थे। इसके बाद निगम ने वकीलों की संख्या में कटौती की थी।