नई दिल्ली। संसद में नया रीयल एस्टेट रेग्युलेटरी बिल पास होने के बाद बिल्डरों ने तेजी से प्रोजेक्ट्स को पूरा कर शुरू कर दिया है, ताकि वे समय पर ग्राहकों को फ्लैट दे सकें। नए कानून के तहत प्रोजेक्ट में देरी होने पर बिल्डरों को ब्याज चुकाना होगा। इसके अलावा इस कानून के तहत ग्राहकों से धोखाधड़ी करने वाले बिल्डरों को तीन साल की सजा और घर या व्यावसायिक स्थान के लिए ली गई राशि को प्रोजेक्ट पर ही खर्च करने का प्रावधान है।

घर खरीदने वालों के अधिकारों के संरक्षण वाले इस कानून में 500 वर्ग मीटर भूखंड और आठ अपार्टमेंट वाली सभी वाणिज्यिक और आवासीय रीयल एस्टेट परियोजनाओं की लॉन्चिंग के लिए नियामक में परियोजना को पंजीकृत कराना अनिवार्य किया गया है।

इसके अलावा रीयल एस्टेट नियामक प्राधिकरण की स्थापना का भी प्रावधान किया गया है। रीयल एस्टेट उद्योग को नियमित करना और प्रमोटरों के घोटालों से संपत्ति खरीदारों के हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से यह कानून बनाया गया है। इस कानून के तहत ग्राहक अपनी शिकायतों के निपटारे के लिए रीयल एस्टेट नियामक प्राधिकरण से आवेदन कर सकते हैं। नए नियमों के मुताबिक बिल्डर्स को ग्राहकों से लिए पैसों को अलग खाते में जमा करना होगा और प्रोजेक्ट में देरी होने पर जुर्माने का भुगतान करना होगा।