अजमेर।   जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के कमला नेहरू टीबी अस्पताल के स्टोर रूम में गुरुवार सुबह एक मरीज संदिग्ध हालात में जलने से मौत हो गई। उसका शरीर शतप्रतिशत झुलस गया। नगर निगम की दमकल ने स्टोर रूम में लगी आग को बुझाया। तब मरीज के शव को बाहर निकाला गया। स्टोर रूम में आगजनी की घटना से अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई। कोतवाली थाने पुलिस ने शव को मोर्चरी में रखवाया है। पुलिस मामले की जांच में जुटी है।जयपुर रोड स्थित टीबी अस्पताल में भर्ती अलवर गेट निवासी मरीज नाथूलाल (46) पुत्र देवकरण कोली गुरुवार सुबह स्टोर रूम में मृत मिला। स्टोर रूम में रखी बैडशीट और गद्दे में आग लगी थी। सूचना पर पहुंची नगर निगम की दमकल ने आग पर काबू पाया। स्टोर रूम में मृत मिले नाथू का शरीर शतप्रतिशत झुलस गया। सूचना पर अस्पताल अधीक्षक डॉ.पी.सी वर्मा, विभागाध्यक्ष डॉ. नीरज गुप्ता सहित अन्य चिकित्सक पहुंचे। चिकित्सकों के मुताबिक नाथू गुरुवार सुबह 5 बजे से बिस्तर से नदारद था। सुबह साढ़े 7 बजे वार्ड-सी के सामने स्थित स्टोर रूम से बदबू और धुआं निकलने पर मरीज के परिजन ने शक जाहिर किया। स्टोर रूम का दरवाजा खुलते ही अस्पताल में धुआं फैल गया। वार्डो में मौजूद मरीज और उनके परिजन बाहर आ गए। कोतवाली थाना पुलिस ने शव को बाहर निकलवाया। पुलिस ने शव को जवाहरलाल नेहरू अस्पताल की मोर्चरी में रखा है। पुलिस मामले की गहनता से पड़ताल में जुटी है।

वह जलता रहा, टाइम डलता रहा

टीबी अस्पताल में पेश आए हादसे में ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक व नर्सिंगकर्मियों की लापरवाही सामने आई है। मरीज नाथू सुबह 5 बजे से बिस्तर से लापता था। नर्सिंग स्टाफ भी नाथू के बैड टिकट पर उसके लापता होने का समय सुबह 5 बजे से डालते रहे लेकिन किसी ने उसको तलाशने का प्रयास नहीं किया। सुबह 8.30 बजे तक अस्पताल प्रशासन टिकट पर समय ही डालता रहा और इधर नाथू धूं धूं कर जलकर मर गया।

मरीज के परिजन ने देखा

नाथू को वार्ड सी में भर्ती मरीज के महिला परिजन ने छोटी देवी ने अंतिम बार सुबह 5 बजे देखा था लेकिन छोटीदेवी उसको अस्पताल का वार्ड बॉय समझा। उसने नाथू को स्टोर रूम दाखिल होते देखा था। इसके बाद सुबह 7.30 बजे कमरे से धुआ उठने पर उन्होंने नर्सिंग स्टाफ को बताया।

भागता रहता था नाथू

अस्पताल में भर्ती मरीज के परिजन ने बताया कि नाथू रात में अक्सर इधर-उधर भटकता रहता था। गुरुवार रात भी उसे घूमते देखा गया। चिकित्सकों के मुताबिक सांस की बीमारी में अक्सर मरीज बेचेन होकर भटकता रहता था। बुधवार को नाथू की मनोस्थिति भी ठीक नहीं थी।