नई दिल्ली। GST बिल पर राज्यसभा में चर्चा शुरू हो गई है। फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने बिल पेश करते हुए कहा कि ये अब तक का सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म है। बता दें कि 16 साल पहले वाजपेयी सरकार ने जिस गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (GST) विधेयक की नींव रखी थी, उसके संसद से पास होने का इंतजार नौ साल से हाे रहा है। 20 तरह के इनडायरेक्ट टैक्स खत्म कर ‘एक देश, एक टैक्स’ की थीम पर जीएसटी बिल में सरकार ने 9 बदलाव किए हैं।
राज्यसभा में किसके पास कितनी सीटें…
– बिल पास कराने के लिए मोदी सरकार को कांग्रेस के सपोर्ट का भरोसा है, क्योंकि राज्यसभा में आंकड़े उसी के पास हैं।
एनडीए :67
कांग्रेस :60
समाजवादी पार्टी :19
एआईएडीएमके :13
डीएमके :04
तृणमूल कांग्रेस :12
जेडीयू :10
भाकपा/माकपा :09
बसपा :06
एनसीपी :05
अन्य :39
टोटल मेंबर :244
बिल पास कराने के लिए जरूरत :123
कांग्रेस से सपोर्ट की उम्मीद
– अगर कांग्रेस के 60 मेंबर पूरी तरह बिल को सपोर्ट कर देंगे तो एनडीए के मेंबर्स मिलाकर संख्या 127 हो जाएगी। बिल बिना वोटिंग के पास हो जाएगा।
– बीजेपी-कांग्रेस, दोनों ने व्हिप जारी कर अपने मेंबर्स से राज्यसभा में हाजिर रहने को कहा है।
– सरकार ने इस पर सहमति बनाने के लिए मंगलवार को कांग्रेस, सपा, माकपा और बाकी दलों से बातचीत की।
– कांग्रेस ने भी सहमति जताते हुए कहा कि कोई बाधा नहीं आई तो यह विधेयक राज्यसभा में पारित हो जाएगा।
आगे क्या
– अगर जीएसटी बिल बदलावों के साथ राज्यसभा से पारित हो जाता है तो नियमों के मुताबिक, उसे मंजूरी के लिए लोकसभा में पेश किया जाएगा।
– इसके बाद इसे आखिरी मंजूरी के लिए प्रेसिडेंट के पास भेजा जाएगा।
कहां फंसा है पेंच
– भारत में दोहरा जीएसटी लागू होना है, जिसमें सेंट्रल जीएसटी को सीजीएसटी कहा जाएगा और राज्य में एसजीएसटी।
– सबसे बड़ी रुकावट राज्यों के बीच तालमेल बिठाने की है।
– केंद्र और राज्य समान टैक्स रेट पर सहमति बना चुके हैं, लेकिन राज्यों के बीच होने वाले सौदों में इसकी दर और बुनियादी ढांचे की तैयारियों को लेकर सहमति बनना बाकी है।
9 साल पहले चिदंबरम ने किया था एलान
– 2007 में फाइनेंस मिनिस्टर रहे पी. चिदंबरम ने अपनी बजट स्पीच में जीएसटी बिल लाने की बात कही थी। इसे संसद में पेश भी किया गया, लेकिन यह पास नहीं हाे सका।
– 2011 तक यूपीए ने लगातार इसके लिए कोशिशें की। इसके बाद बीते दो साल से मोदी सरकार इस बिल पर आम राय बनाने की कोशिश में है।
संसद में पास होने के बाद क्या होगी चुनौती?
– अगर संसद में बिल पास होता है तो उसके बाद आधे से ज्यादा राज्यों (15) से भी इसे पास कराना होगा।
– इसके बाद जीएसटी अमेंडमेंट के मुताबिक नया टैक्स लागू करने के लिए जीएसटी काउंसिल के पास भेजा जाएगा।
– माना जा रहा है कि ये प्रॉसेस नवंबर तक पूरी होगी और दोबारा विचार के लिए विंटर सेशन में लाया जा सकता है।
– सरकार जीएसटी को अगले फाइनेंशियल इयर (1 अप्रैल) से लागू करना चाहती है। लेकिन एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि प्रॉसेस के चलते लागू करने में कुछ महीनों की देरी भी हो सकती है।
अगर बिल पास होता है तो उसके बाद क्या?
– एक्सपर्ट्स की मानें तो जीएसटी बिल पास होने के बाद देश में इनकम टैक्स सिस्टम और मजबूत बनाने की जरूरत होगी। टैक्स कलेक्टरों को भी ट्रेंड करना होगा।
– लुधियाना में रोमर वूलन मिल्स के हेड जीआर रल्हन का कहना है, ‘जीएसटी को लेकर ज्यादा चिंता छोटी कंपनियों को है। उन्हें एडजस्ट करने के लिए अभी और वक्त देना चाहिए।’
– ‘जीएसटी की हाई रेट से भी बिजनेस पर असर पड़ सकता है।’
– टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि देश की महज 20% फर्म्स (इसमें से ज्यादातर बड़ी हैं) ही जीएसटी के लिए तैयार हैं।
– जानकारों का ये भी कहना है कि जिन देशों में जीएसटी लागू हुआ था, वहां कुछ वक्त लिए इकोनॉमी स्लो हुई थी। हालांकि बाद में एक टैक्स होने के फायदे भी मिले थे।