साइड स्टोरी- रोशन बाफना
लॉयन न्यूज, बीकानेर। पीबीएम में भ्रष्टाचार की आज एक ऐसी साइड स्टोरी सामने आई है जो हर किसी को चौंका देने वाली है। ज्ञात रहे कि पीबीएम का भ्रष्टाचार सर्वविदित है तो इसकी जांच के लिए भी हर सरकार टीमें गठित करती आई है ये बात भी किसी से छिपी हुई नहीं है। टीमों के गठन के बावजूद भ्रष्टाचार पर कार्रवाई नहीं होती और ना ही भ्रष्टाचार रुकता है तो इसके पीछे कारण मैनेजमेंट को बताया जा रहा है। और ये मैनेजमेंट ही आज की सबसे बड़ी साइड स्टोरी है। बताया जा रहा है कि पीबीएम के आतंरिक भ्रष्टाचार के अलावा भी भ्रष्टाचार फैला हुआ है। सूत्र कहते है कि पूर्व में जयपुर से आए जांच अधिकारियों को पीबीएम के सरगनाओं द्वारा मैनेज कर लिया गया। ये मामला किसी एक सरकार का नहीं बल्कि अशोक गहलोत व वसुंधरा राजे दोनों के ही शासन में पीबीएम में भ्रष्टाचार की जांच के लिए अधिकारी भेजे गए, लेकिन रिपोर्ट हमेशा दबाई गई। सूत्रों का कहना है कि सरकारें तो हमेशा से भ्रष्टाचार खत्म करने की लिए प्रतिबद्ध रहीं लेकिन पीबीएम के कुछ लोगों द्वारा लक्ष्मी की चकाचौंध दिखाकर अच्छे-अच्छे अधिकारियों को मदहोश कर दिया गया। हाल ही में मुख्यमंत्री गहलोत को शिकायत पर दो आईएएस व दो आरएएस अधिकारियों की टीम का गठन किया गया जो अभी तक बीकानेर नहीं पहुंची है। हालांकि सूत्रों ने बताया कि इस रविवार तक टीम के आने के आसार हैं। वहीं गुरूवार को चिकित्सा एवं शिक्षा शासन सचिव हेमंत कुमार गैरा ने एक आईएएस अधिकारी राजेंद्र कुमार को जांच दी है। उन्होंने निर्देश दिया है कि वह बीकानेर जाकर 2011 से अब तक पीबीएम में हुए निर्माण कार्यों, खरीद-फरोख्त व सभी प्रकार के टेंडर आदि की जांच करें। इस हेतु शनिवार को पीबीएम को पत्र लिखकर फाइलें भी मंगवाई जा सकती है। बताया जा रहा है कि हेमंत कुमार अक्टूबर के पहले सप्ताह में बीकानेर आएंगे। साइड स्टोरी यह भी है कि डॉ आरपी अग्रवाल सहित संजय धवन व पीके बैरवाल पर अधिकारियों को मैनेज करने का आरोप है। सूत्रों का कहना है कि शासन सचिव हेंमत कुमार ने भी यह माना है कि पूर्व में जांचें निष्पक्ष व सही नहीं हुई।