हरीश बी.शर्मा

राजस्थान की जिन 12 सीटों पर प्रथम चरण में चुनाव होने हैं, उनमें एक सीट बीकानेर की भी है, जहां 19 अप्रैल को चुनाव होने हैं। केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल का मुकाबला जनता पार्टी से बसपा और फिर भाजपा से कांग्रेस में आए गोविंदराम मेघवाल से होना है। भाजपा ने इस सीट पर अपनी सारी ताकत झौंक दी है। गृहमंत्री अमित शाह अलबत्ता नहीं आए, लेकिन विदेश मंत्री एस. जयशंकर पहुंचे। एस. जयशंकर के लिए यहां प्रबुद्धजन सम्मेलन किया गया और ऐसे-ऐसे ‘प्रबुद्धों ‘   को बुलाया गया, जिन्हें यह भी नहीं पता था कि जयशंकर से क्या बात करनी चाहिए। सलीका और संस्कारहीन लोगों की ऐसी धमचक मची कि सारा का सारा मामला होचपोच हो गया। कुछ लोग सेल्फी लेने में जरूर कामयाब हुए। कहा जा सकता है कि एस.जयशंकर का अनुभव भी अच्छा नहीं रहा। पत्रकार-वार्ता का भी यही आलम रहा, उन्हें पत्रकारों के सवाल ही समझ नहीं आए। इन दिनों बीकानेर के पत्रकारों में बगैर तैयारी के पत्रकार-वार्ता में जाने का हौसला उल्लेखनीय है, जाने पत्रकार-वार्ता में सवाल पूछने के अलावा और कौन सा ‘हिडन-एजेंडा’     होने लगा है, जितने मुंह उतनी बात।

लेकिन फिर भी अर्जुनराम मेघवाल अपेक्षाकृत अधिक नेताओं को बीकानेर बुलाने में कामयाब रहे। राहुल गांधी भी बीकानेर आए जरूर, लेकिन ‘शगुन’   ही पूरा करके गए। बीकानेर में कांग्रेस का हाल बाकी देश से अलग नहीं है। ऐसा लग रहा है कि गोविंद मेघवाल को वोट देने के लिए एक बड़ा तबका तैयार है, लेकिन उसे साधने में जिस प्रबंधकीय क्षमता का परिचय कांग्रेस को देना चाहिए, वह दिखाई नहीं दे रहा है। संगठन की इस भूमिका के साथ-साथ परिवार की भूमिका भी होनी चाहिए, लेकिन जिस शिद्दत से अर्जुनराम मेघवाल के दोनों पुत्र रवि और नवीन जुटे हैं, गोविंदराम की संतान सरिता और गौरव नहीं दिखाई दे रहे हैं।
अर्जुनराम के बेटे नवीन तो विख्यात योगगुरु हैं। उन्होंने योग-साधक किन्नरों का एक दल बीकानेर बुलाया है। नवीन ‘ध्यान से मतदान’   का संदेश दे रहे हैं, जिसके अभिधा और व्यंजना में अर्थ न्यारे-न्यारे निकलते हैं। बाली से एक दल आया है, जो रामकथा पर नाट्य-प्रस्तुति देगा। गोविंदराम के पाले में इस तरह से कोई रचनात्मक-कार्यक्रम दिखाई नहीं दे रहा। अकेले गोविंदराम ही अपने स्तर पर जितना कर सकते हैं, कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव जिस तरह की सक्रियता और प्रबंधन की मांग करता है, उसकी पूर्ति में कांग्रेस पिछड़ती नजर आ रही है, लेकिन मतदाता का मन कौन जान जान सका है।

अब तो मतदान होना है और आखिरी-समय में जिसका वोटर मतदान केंद्र तक पहुंचेगा, वही जीत दर्ज कर पाएगा। मौसम की प्रतिकूलता, शादियों का सीजन और लोकसभा चुनावों के प्रति एक सामान्य-सी अरुचि के चलते मतदाताओं को बूथ तक लाना भी बड़ी टास्क है। इस तरह सात चरणों में चुनाव होने के बाद जून में परिणाम आएंगे, चार जून तक का इंतजार काफी लंबा होने वाला है, जिस दिन परिणाम आएंगे।
इन दिनों बीकानेर में बढ़ती आपराधिक गतिविधियों में गैंगस्टर रोहित गोदारा  के गुर्गों द्वारा मांगी जाने वाली फिरौतियां छाई हुई हैं। फर्जी डिग्री के प्रकरण में शिक्षा निदेशालय के दो पूर्व एलडीसी सहित एक दलाल को पुलिस ने पकड़ा है। इस बीच एमजीएसयू की परीक्षा के दौरान श्रीडूंगरगढ़ में एक डमी परीक्षार्थी को भी पकड़ा गया है। जयपुर में तीन डॉक्टर्स को एपीओ करने के विरोध में बीकानेर के रेजिडेंट्स भी हड़ताल पर चले गए। पीबीएम अस्पताल की व्यवस्थाएं चरमरा गई।

हालांकि, रेजीडेंट्स काम पर लौट गए हैं, लेकिन इस समस्या का समाधान खोजना जरूरी है। खोजने के लिए जूनागढ़ में मिले कथित सोने के बिस्किट का मसला भी रोचक परिणाम दे सकता है। अगर जूनागढ़ की दीवारों में सोना है तो हवेलियों में भी भरा होगा, क्योंकि इस रियासत के चलते रहने में यहां के सेठ-साहुकारों का बड़ा योगदान रहा बताते हैं।

बहरहाल, रियासत से शहर बने बीकानेर में सीवरेज से लेकर रोड-लाइट्स तक की व्यवस्था बदहाल है तो आपराधिक घटनाएं भी बढ़ रही है। बढ़ती हुई गर्मी में पेयजल की किल्लत भी होने की आशंका अभी से जताई जा रही है तो अघोषित बिजली कटौतियों का सिलसिला शुरू हो चुका है। पश्चिमी विक्षोभ की वजह से हालांकि कुछ दिन गर्मी से निजात मिली है, लेकिन मौसम विभाग का अनुमान है कि इस बार तपिश तेज होगी। बहरहाल, हर नागरिक चाहता है कि वह जिसे वोट दे, वही जीते। जो जीते, उसकी सरकार बने। बावजूद इसके अगर हर बार देश के आधे से अधिक निकटतम प्रतिद्वंद्वियों के बीच वोटों का फासला बहुत बड़ा नहीं होता तो इसे क्या कहेंगे।
अल्लामा इकबाल का एक शेर है—
जम्हूरियत इक तजऱ्-ए-हुकूमत है कि जिसमें
बंदों को गिना करते हैं, तौला नहीं करते