राजस्थान में चुनावी घमासान
संजय स्वामी
लॉयन न्यूज,बीकानेर,28 मार्च। राजस्थान में चुनावी सरगर्मियाँ तेज़ी के साथ बदल रही है। बीजेपी एकबार फिर राजस्थान में क्लीन स्वीप की तैयारियों में जुटी है वही दूसरी और कांग्रेस ख़ेमा इसमें सेंधमारी में जुटा है। प्रथम चरण के मतदान के लिए नामांकन का दौर खत्म हो गया है ओर 19 अप्रैल को प्रथम चरण का मतदान होगा। जिसमें राजस्थान की 13 सीटों पर मतदान होगा। जिसमें बीकानेर, नागौर,चुरू,श्रीगंगानगर सहित अनेक सीटें शामिल है।

 

भाजपा एक बार फिर 2014 और 2019 के नतीजों का दोहराने का संकल्प दोहरा रही है। वहीं कांगे्रस इस बार उत्साहित है और नतीजों का बदलने का दावा किया जा रहा है। भाजपा एक बार फिर से मोदी के नाम पर चुनाव लड़ रही हैं। दूसरी और भाजपा से खफा नेता चुनौती बनकर सामने आ रहे हैं। जैसलमेर-बाड़मेर से निर्दलीय विधायक रविन्द्र ङ्क्षसह भाटी ने चुनाव लडऩे का एलान कर दिया है। दूसरी और चुरू से भाजपा के सांसद रहे राहुल कस्वां ने कांग्रेस का दामन थाम लिया और कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव भी लड़ रहें है। नागोर में भी भाजपा के लिए हनुमान चुनौती बनकर सामने आए है। बीते चुनावों में बेनीवाल एनडीए के उम्मीदवार थे तो वहीं इस बार बेनीवाल इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार बनकर सामने आए है।
भाजपा भी इन तीनों सीटों पर फोकस कर रही है। माना जा रहा है कि भाजपा के क्लीन स्वीप के इरादों पर ये तीनों नेता ग्रहण लगा सकते हैं।

 

नागौर की सीट की बात करे तो पूरी लोकसभा सीट बेनीवाल का गढ़ मानी जाती रहीं है। कांग्रेस के साथ आ जाने से बेनीवाल को मजबूती मिली है। वहीं भाजपा के कार्यकर्ता भी अंदर खाने ज्योति मिर्धा को टिकट देने से नाराज है। बेनीवाल ओर कांगे्रस के साथ आ जाने से इंडिया गठबंधन की स्थिति मजबूत हुई है। बीते चुनावों में मिले वोटों को आंकलन किया जाए तो भाजपा बुरी तरीके से पिछड़ती हुई नजर आ रही है।

जैसलमेर-बाडमेर-बालोतरा लोकसभा सीट पर भी समीकरण भाजपा के खिलाफ जाते हुए दिखाई देते है। इस सीट पर निर्दलीय विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने ताल ठोकी है। भाटी शिव विधानसभा से निर्दलीय जीतकर आए थे और उनके साथ समर्थकों का हुजूम ेेदेखकर माना जा सकता है कि इस बार बॉर्डर इलाकों से नई राजनीति की शुरूआत हो सकती है। भाजपा ने इस बार कैलाश चौधरी को टिकट दिया है वहीं कांग्रेस ने आरएलपी से आए उम्मेदराम बेनीवाल पर भरोसा जताया है। भाटी बॉर्डर इलाके में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। एक बैठक में ही हजारों की संख्या में समर्थकों ने भाटी के हौसलों को बुलंद कर दिया है।

 

वहीं चुरू से भी भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है। राजनीतिक पृष्ठभूमि से आने वाले राहुल कस्वां के सामने खिलाड़ी देवेन्द्र झाझडिय़ा है। कस्वां की राजनीतिक विरासत है ओर कई दशकों से आमजन के बीच में उनका परिवार सक्रिय रहा है तो दूसरी और खिलाड़ी झाझडिय़ा नए नवेले नेता है और मोदी ने उन पर भरोसा जताकर टिकट दिया है। झाझडिय़ा को राजनीतिक समझ के बारे में माना जा रहा है कि अगर स्थानीय नेताओं ने सहयोग नहीं किया तो यह सीट भी खतरे में जा सकती है। राजेन्द्र राठौड़-राहुल कस्वां की अदावत भी भाजपा के लिए यहां मुसीबत बन रही है। ऐसे में प्रदेश भाजपा इन सब पर बारीकी से नजर बनाए हुए है और क्लीन स्वीप के लिए हर मोर्चा पर तैयारी की जा रही है लेकिन फिलहाल आज तक के समीकरणों को देखकर क्लीन स्वीप तो खटाई में पड़ता नजर आ रहा है।