• सरकार की ओर से महज एक सेवानिवृत्त अधिकारी को दोषी बता कर उससे भी वसूली संभव नहीं बताया गया, जबकि खरीद में अधिकारी स्तर पर बनी कमेटी में तीन अन्य अधिकारी भी शामिल थे।

    जयपुर। प्रदेश के हवाई बेड़े में अगस्ता हेलीकॉप्टर को शामिल करने के लिए हुई खरीद में लापरवाही से हुए नुकसान के दोषियों से राज्य सरकार ने वसूली संभव नहीं बताई। जनलेखा समिति ने अपनी जांच में स्पष्ट तौर पर हेलीकॉप्टर खरीद के भारी व्यय से पहले आयोजना, मानव शक्ति और आधारभूत ढांचे में कमी से राज्य सरकार को हुए 1.14 करोड़ रुपए के नुकसान की वसूली दोषी अधिकारियों से करने की सिफारिश की थी।

    सरकार की ओर से महज एक सेवानिवृत्त अधिकारी को दोषी बता कर उससे भी वसूली संभव नहीं बताया गया, जबकि खरीद में अधिकारी स्तर पर बनी कमेटी में तीन अन्य अधिकारी भी शामिल थे।

    13 मई, 2013 को समिति ने अपनी रिपोर्ट में महालेखाकार के पैरे का जिक्र करते हुए अभिशंषा की है कि हेलीकॉप्टर खरीद पर भारी व्यय करने से पहले आयोजना, अर्हता प्राप्त मानव शक्ति और आधारभूत ढांचे की व्यवस्था करने में कमी रही।

    इस कारण हेलीकॉप्टर के रखरखाव और उसकी जगह दूसरा हेलीकॉप्टर किराए पर लेने में 1.14 करोड़ का खर्च किया गया। इसका उत्तरदायित्व निर्धारण कर संबंधित अधिकारी पर कठोर कार्रवाई की जाए। तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के सभापतित्व में कमेटी ने इस अभिशंषा पर मुहर लगाई थी।

    जनलेखा समिति नहीं कर सकती सीएम या मंत्री की जांच

    मामले में जनलेखा समिति ने हेलीकॉप्टर की खरीद में जल्दबाजी को स्वीकार किया, लेकिन समिति की जांच का दायरा केवल अधिकारियों तक समिति है। मुख्यमंत्री या मंत्रियों के खिलाफ जांच करने का अधिकार नहीं है।

    हेलीकॉप्टर खरीद के लिए बनी थी कमेटी

    सरकारी तथ्यों के अनुसार हेलीकॉप्टर खरीद के लिए फरवरी 2004 में चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था। इसके अध्यक्ष प्रमुख शासन सचिव वित्त विभाग थे। अन्य सदस्यों में शासन सचिव नागरिक उड्डयन विभाग और चीफ पायलट पोपली शामिल थे।

    लिहाज़ा अधिकारी स्तर पर खरीद में केवल पोपली ही नहीं, अन्य तीन अधिकारी भी शामिल थे। पोपली इस समिति सामान्य सदस्य मात्र थे, जबकि समिति के अध्यक्ष प्रमुख शासन सचिव वित्त और सदस्य सचिव शासन उप सचिव, नागरिक उड्डयन विभाग थे।

    सरकार के जवाब को नहीं माना था सही

    कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि हेलीकॉप्टर खरीद और गलत व्यय करने के मामले में विभाग ने एक जून 2012 को लिखित उत्तर में बताया है कि हेलीकॉप्टर विभाग में कैप्टन पोपली विभागाध्यक्ष थे और उन्हीं के द्वारा क्रय करने की समस्त कार्यवाही की गई। जवाब में यह भी बताया है कि कैप्टन की सेवानिवृत्ति 2006 में थी, इसलिए उन्हें प्रशिक्षण नहीं दिलवाया गया।