– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद जहां दुनिया की राजनीति के चाय के प्याले में तूफान उठा हुआ है, वहीं काबुल में महिलाओं ने प्रदर्शन कर महाशक्तियों को अचंभे में डाल दिया है। अफगान में तालिबानी पहले भी ताकत बने थे, मगर तब महिलाएं चुप थी। क्योंकि विश्व समुदाय ने तालिबान की आलोचना की थी। मगर इस बार हालात बदले हुए हैं। तालिबानियों के कब्जा शुरू करते ही वहां के नेता भाग लिए। पुरुष भी देश छोड़ने की लड़ाई लड़ने लगे।

चीन ने तालिबान के पक्ष में आकर समीकरण बदले तो पंजशीर में पाकिस्तान सीधे सीधे तालिबानियों की मदद में आ गया। अमेरिका के राष्ट्रपति की अस्पष्ट नीति ने दुनिया के देशों को अचंभे में डाला हुआ है। भारत सहित अन्य देश भी खुलकर तालिबानियों का विरोध नहीं कर रहे। ये हालात काबुल की महिलाओं के लिए असहनीय हो गये। हर तरफ चुप्पी देखकर वे खुद सड़कों पर उतर आई। भारतीय इतिहास गवाह है, जब जुल्म हद पार करता है तो नारी ही उसके सामने आकर खड़ी होती है। काबुल की महिलाओं ने भी ये साबित किया है।

पाकिस्तानी सेना के खिलाफ़ काबुल में महिलाओं को प्रदर्शन करते चार दिन हो गये। तालिबानियों की हुकूमत ने महिलाओं पर कोड़े बरसाये। ताबड़तोड़ कोड़े महिलाओं के जज़्बे को रोक नहीं पा रहे। तालिबानियों ने सड़क किनारे चलती लड़कियों को भी पीटा है। जबकि ये महिलाएं तो पाकिस्तानी सेना के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थी। तालिबानियों का उन पर कोड़े बरसाना ये साबित करता है कि कब्जे में पाकिस्तानी सेना उनके साथ है। फिर भी पाकिस्तान की विश्व मंच पर जो आलोचना होनी चाहिए, वो नहीं हो रही। महिलाएं इस कड़ाई से भी डर नहीं रही।

पाकिस्तान ने अपने सेना के नेतृत्त्व में फेरबदल किया है तो तालिबानियों ने प्रदर्शन को गैरकानूनी घोषित कर दिया। अब किसी भी प्रदर्शन के लिए वहां के कानून मंत्रालय से 24 घंटे पहले अनुमति लेनी होगी। अब देखना है काबुल की महिलाएं इस कानून के खिलाफ क्या निर्णय लेती है।
हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति ने महिलाओं के प्रदर्शन के बाद ये जरूर कहा है कि तालिबानी सरकार को मान्यता दूर को कौड़ी है। भारत ने भी अब दुनिया के कई देशों से बात कर निर्णायक स्थिति में पहुंच रहा है। पाकिस्तानी सेना और महिलाओं के प्रदर्शन पर उसका रुख साफ है, जो कूटनीति का संकेत भी दे रहा है।

बहरहाल काबुल में महिलाओं के विरोध प्रदर्शन ने विश्व की राजनीति और कई देशों के नेताओं को विचलित कर दिया। दुनिया के इतिहास में काबुल में हो रहे महिला प्रदर्शनों को सदैव याद रखा जायेगा। विश्व राजनीति को कई मुद्दों ने प्रभावित किया है मगर पहली बार महिलाओं के विरोध प्रदर्शन ने प्रभावित किया है। जो बदलती दुनिया के संकेत है।

इस आलेख के लेखक वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार हैं।