बीरबल की खिचड़ी’ वाली कहावत को आज के दौर में यथार्थ देखना है तो जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड (जेसीटीएसएल) चले आइएं। जेसीटीएसएल के नकारेपन का आलम ये है कि शहर के पब्लिक ट्रांसपोर्ट की रीढ़ कही जाने वाली 88 लो- फ्लोर बसें करीब ढाई साल से खटारा हालत में खड़ी है। करीब 26 करोड़ रुपए लागत वाली ये बसें जनता के काम नहीं आ रही है। इसका कारण बसों की मरम्मत कार्य में हो रही देरी है।  
जेसीटीएसएल ने दिसंबर 2015 में जयपुर की फर्म को कार्यादेश जारी कर टोडी हरमाड़ा डिपो में खड़ी 88 लो- फ्लोर बसों की मरम्मत का ठेका दिया था। इस संबंध में 4 जनवरी 2016 को कार्यादेश जारी कर जयपुर की फर्म मातेश्री ट्रांसपोर्ट को 45 दिन में मर मत कार्य पूरा करने का समय दिया गया। इस हिसाब से ठेकेदार फर्म को 20 फरवरी 2016 तक काम पूरा करना था। चौंकाने वाली बात ये है कि इन बसों की मरम्मत का काम अप्रैल का पहला सप्ताह बीतने के बाद भी पूरा नहीं हुआ है। बताया जा रहा है कि संवेदक फर्म के पास पर्याप्त संख्या में मैकेनिक और बसों के पार्ट्स नहीं होने के कारण मरम्मत कार्य में लगातार देरी हो रही है।
ये सड़क चढ़ेंगी तो आएंगी 286 नई बसें
गौरतलब है कि मरम्मत के इंतजार में खड़ी 88 लो-फ्लोर बसों के सड़क चढऩे के बाद ही 286 नई बसों की खरीद की राह खुलेगी। जेसीटीएसल अधिकारियों का कहना है कि जब ये बसें सड़क पर चलने लगेंगी, तब 286 नई बसों की खरीद प्रक्रिया शुरू हो पाएगी। इसलिए खटारा हो चुकी 88 बसों की मरम्मत का काम जल्द से जल्द पूरा करवाने की कोशिश कर रहे हैं।