सीकर.सीकर. तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2006 में नियुक्ति के मामले में शिक्षा विभाग सवालों के घेरे में है। भर्ती में विभाग ने कथित चहेते एनटीटी योग्यताधारियों को तो ब्रिज कोर्स करवा नियुक्ति दे दी, जबकि बहुतों को 10 साल बाद भी नियुक्ति नहीं दी है। मामले में पत्रिका के पास भी एक एनटीटी अभ्यर्थी के नियुक्ति के दस्तावेज हाथ लगे हैं।  भर्ती पर संदेह इसलिए भी है कि मामले में चयन से वंचित एक अभ्यर्थी ने 17 बार राजस्थान संपर्क पोर्टल पर शिकायत की। कई बार आरटीआई से सूचना मांगी। लेकिन, उसे विभाग से जवाब और नियुक्ति दोनों नहीं मिली। जब मामला पीएमओ तक पहुंचा, तो शिक्षा विभाग उस अभ्यर्थी से कोई शिकायत ही नहीं मिलने की बात कह  रहा है। ऐसे में शिक्षक भर्ती 2006 विवादों में घिरी नजर आ रही है।

पीएम से लेकर सीएम तक गुहार

शिक्षा विभाग की इस कारस्तानी से वंचित रहे अभ्यर्थी 10 साल से परेशान है। भर्ती में 3814 स्थान पर चयनित सुभाषचंद मामले में शिक्षा निदेशालय से लेकर लेकर मुख्यमंत्री, राज्यपाल व प्रधानमंत्री तक गुहार लगा चुका है। राजस्थान संपर्क पोर्टल पर 17 बार शिकायत करने के अलावा  शिक्षा विभाग से सूचना के लिए  कई आरटीआई भी लगा चुका है। लेकिन, समाधान नहीं हुआ है।

यहां दे दी नियुक्ति!

मामले में शिक्षा विभाग पर भाई-भतीजावाद के आरोप से भी घिर गया है। राजस्थान पत्रिका को एक एेसा दस्तावेज मिला है, जिसमें एक एनटीटी अभ्यर्थी को ब्रिजकोर्स करवा विभाग ने सीकर के एक राजकीय प्राथमिक स्कूल में 2009 में नियुक्ति दिया जाना सामने आया है। बताया जा रहा है कि नियुक्त अभ्यर्थी शिक्षा विभाग में रसूख रखने वाला है।

राज्य लोकसेवा आयोग ने 2006 में तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा करवाई थी। जिसमें आयोग ने एनटीटी को बीएसटीसी के समकक्ष नहीं मानते हुए पहले तो एनटीटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को भर्ती में शामिल नहीं करने का फैसला लिया। लेकिन, बाद में कोर्ट के निर्देश पर उनकी काउंसलिंग करवा खाली सीट रख अभ्यर्थियों के लिफाफे अंतिम फैसले तक सील कर दिए।

इसी बीच, 2007 में उप शासन सचिव ने एनटीटी अभ्यर्थियों को छह महीने का ब्रिज कोर्स करवा 2750 रुपए में प्रोबेशन नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए। जिसके बाद शिक्षा विभाग ने ब्रिज कोर्स के बाद कुछ अभ्यर्थियों को तो नियुक्ति दे दी। जबकि शेष अभ्यर्थी अब तक नियुक्ति के इंतजार में आरपीएससी व शिक्षा विभाग के चक्कर काट रहे हैं।