मुंबई। Avascular Necrosis से हड्डियां घिसने लगती हैं और अंतत: खत्म होने के कगार पर पहुंच जाती हैं। जानिए एक्सपर्ट के नजरिए से इस डिजीज के बारे में…

ए.वी.एन क्या है?

एवैस्कुलर नेकरोसिस (ए.वी.एन) हड्डियों की एक ऐसी स्थिति है जिसमें बोन टिश्यू यानी हड्डियों के ऊत्तक मरने लगते हैं। यह स्थिति तब होती है, जब इन ऊत्तकों तक पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं पहुंच पाता। इसे ऑस्टियोनेक्रोसिस भी कहा जाता है। एवैस्कुलर नेकरोसिस से हड्डियां घिसने लगती हैं और अंतत: खत्म होने के कगार पर पहुंच जाती हैं।

इस समस्या के क्या खतरे हो सकते हैं?

हड्डी घिसने या जोड़ों के अलग हो जाने के कारण उस हिस्से में रक्तापूर्ति बाधित हो जाती है। यह बीमारी किसी को भी हो सकती है लेकिन आमतौर पर 30 से 60 वर्ष के बीच की आयु वर्ग के लोगों को यह समस्या अधिक होती है। वे लोग जो लंबे समय तक ज्यादा मात्रा में स्टेरॉइड का इस्तेमाल करते हैं और ज्यादा शराब पीते हैं, उन्हें इसकी आशंका अधिक रहती है।

इस रोग के लक्षण क्या हैं?

वजन उठाने पर जोड़ों में दर्द होने लगता है और अंत में स्थिति इतनी ज्यादा बिगड़ जाती है कि लेटे रहने पर भी जोड़ों में दर्द होता है। इस बीमारी में दर्द मध्यम दर्जे का या बहुत तेज होता है और यह धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। कूल्हे में एवैस्कुलर नेकरोसिस होने पर इसी अंग, पेड़ू,  और जांघ में दर्द होता है।

इस बीमारी से कंधे, घुटने, हाथ व पैर भी प्रभावित हो सकते हैं।

ए.वी.एन की बीमारी किन वजहों से होती है?

यह समस्या कई कारणों से हो सकती है जैसे: जोड़ों या हड्डियों में चोट लगना, रक्तनलिकाओं में वसा का जमाव जिससे ये संकरी हो जाती हैं, सिकल सेल एनीमिया(लाल रक्त कणिकाओं का अभाव) व गौचर्स डिजीज (शरीर के भीतरी अंगों का धीरे-धीरे कमजोर होना) होने पर हड्डियों तक पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं पहुंच पाता। रोग का उपचार नहीं होने पर धीरे-धीरे मरीज की स्थिति गंभीर होती जाती है। हड्डियों का चिकनापन खत्म होने से भविष्य में मरीज गंभीर रूप से गठिया से भी पीडि़त हो सकता है।

इसका उपचार क्या है?

पहले दवाओं व थैरेपी का सहारा लिया जाता है। रोग गंभीर होने पर जोड़ों की सर्जरी की जाती है। सर्जरी में क्षतिग्रस्त भाग को हटाकर उस जगह किसी दूसरे भाग की हड्डी को प्रत्यारोपित करते हैं। हड्डियों के ज्यादा क्षतिग्रस्त होने पर जॉइंट रिप्लेसमेंट भी किया जाता है।