आम चुनावों के दो चरणों में राजस्थान का रण पूर्ण हो गया है। अब परिणाम के लिए चार जून का इंतजार लंबा हो रहा है। राजस्थान की स्थिति ऐसी हो गई है, जैसे मैच खत्म होने के इंतजार में आउट हुए खिलाड़ी बेमन से मैच देख रहे होते हैं। बीकानेर भी इनसे अलग नहीं है। कभी सट्टा-बाजार के भावों में मन लगाता है तो कभी सूरत-इंदौर में होने वाले नाटकीय घटनाक्रमों पर पाटों पर ठहाके गूंजते हैं। पाटों पर चर्चा है कि यह सब ‘रिवेंज-गेम’ हैं। मध्यप्रदेश के अंता में कभी भाजपा के प्रत्याशी का भी इसी तरह पर्चा उठा था। कांग्रेस की सरकारों के समय में हुए कारनामों को याद करते हुए पाटा भले ही भाजपा सरकारों के समय में होने वाली इन घटनाओं को सही नहीं माने, लेकिन राजनीति में सब जायज करते हुए पतली-गली जरूर निकाल लेता है। इन दिनों पाटों पर कोविशील्ड छाई हुई है। एक समय में इसी वैक्सीन को लेने के लिए लोगों ने इंतजार किया था, अब इसी से विवाद जुड़ गया है।

इस बीच बीकानेर इसलिए भी सुर्खियां बटोर चुका है कि भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा अध्यक्ष उस्मान गनी नरेंद्र मोदी के विरोध में बयान देने वाले संगठन के पहले पदाधिकारी बन गये हैं। हालांकि, गनी को पार्टी ने निष्कासित कर दिया है। निष्कासन के बाद पुलिस थाने गए उस्मान गनी को धारा 151 में गिरफ्तार करना भी शहर की सुर्खियों में शामिल रहा, लेकिन गनी को इस मामले में पर्याप्त समर्थन नहीं मिल पाया। यह सवाल जरूर शहर के परिवेश में तैरता रहा कि गनी की गिरफ्तारी का कारण वाकई शांति भंग करना था या कुछ और भी कारण हो सकता है।

इस बीच कोलायत के आदेश कॉलेज में डमी परीक्षार्थी पकड़ा गया। कॉलेज प्रशासन को हुआ शक सही साबित हुआ, लेकिन जहां कॉलजों की मिलीभगत से ही इस तरह डमी कैंडिडेट बैठते हों, उनका क्या किया जाए। अभी तो पेपर-लीक प्रकरणों को रोकने के लिए भी कोई फुल-प्रूफ योजना नहीं है। डमी कैंडीडेट्स को कैसे पकड़ा जाएगा।

इस बीच शहर में चोरियों की वारदातें बढ़ रही हैं और चोर पकड़ से बाहर हैं। गंगाशहर, रानीबाजार और जेएनवी कॉलोनी में चोरियों की घटनाएं हुई हैं। बाइक चोर पकड़ा गया है, जो नाबालिग है। इसने कबूला है कि चुराई हुई बाइक्स बेचने में दूसरे लोग मदद करते। बच्चों को चोरियां सिखाने वाला एक गिरोह निश्चित रूप से शहर में सक्रिय है, क्योंकि पीबीएम अस्पताल से डेढ़ साल के बच्चे को उठा ले जाने की असफल कोशिश भी हुई है।

एक चकित कर देने वाले घटनाक्रम में पल्लेदारी का काम करने वाले पेमासर के देबूराम और बजरंग जाट के खाते से 36 करोड़ रुपए का ट्रांजेक्शन सामने आया है। इस ट्रांजेक्शन के बाद तरह-तरह के सवाल हैं। पल्लेदारों का आरोप है कि श्रीबालाजी के व्यवसायी अरुण शर्मा ने उसे सस्ती दरों पर लोन दिलाने की बात कही, वहीं बैंक का कहना है कि खाता इन दोनों ने ही खोला। बहरहाल, यह बड़ी जांच का विषय है कि आखिर यह सब क्या है और इतनी बड़ी रकम का ट्रांजेक्शन पल्लेदारों के मार्फत करवाए जाने के पीछे क्या चाल हो सकती है। इस दिशा में गंभीरता से काम हो तो जांच के परिणाम भी चौंकाने वाले आ सकते हैं।
जूनागढ़ में मिले कथित सोने के बिस्किट रियासतकालीन साबित नहीं हुए हैं, लेकिन मिले कैसे, विवाद क्या था जैसे सवालों के जवाब अभी तक सामने नहीं आए हैं। लूनकरणसर के सहजरासर गांव में धसकी जमीन को लेकर भी संशय बना हुआ है कि आखिर यह सब हुआ कैसे। हालांकि, खेत के मालिक का यह कहना है कि उसे पहले से ही अंदेशा था कि जमीन धीरे-धीरे धसक रही है, शिकायत भी की। इस खेत पर पहले बिजली भी गिरी बताते हैं, लेकिन आखिर एक निर्धारित क्षेत्र में ही जमीन के धसकने के कारण जानने के लिए प्रशासन गंभीर नजर नहीं आ रहा है।

चुनाव के बाद सक्रियता दिखाने के लिए पूर्व काबीना मंत्री डॉ. बी डी कल्ला ने सांखला फाटक का मुद्दा उठाया है। काउंटर करते हुए नगर विधायक जेठानंद व्यास का बयान आया कि पहले बायपास को बेहतर बताने वाले कल्लाजी का यह पब्लिसिटी स्टंट है। जेठानंद व्यास ने पीबीएम में एसएसबी के तीसरी मंजिल की छत गिरने के मुद्दे को भी जोर-शोर से उठाया और अब रुड़की की टीम सेंपल लेकर गई है। हालांकि, प्रथम दृष्टया रुड़की से आई इंजीनियर्स की टीम ने इस बिल्डिंग को अनसेफ करार दिया है। इस इमारत में चिकित्सा और जांच संबंधी कई महत्त्वपूर्ण कार्य संचालित होते हैं। ऐसे में मरीजों के लिए अनसेफ बताई जा रही इस इमारत को लेकर आशंकाएं लाजिमी है, लेकिन इस संबंध में कौन तो जांच करेगा और कौन यह तय करेगा कि निर्माण में कमियां रखने के लिए उत्तरदायी कौन था।
हमने इस दौर के अंदाज निराले देखे
फैसले कत्ल के कातिल के हवाले देखे