श्री गणेशाय नम:

मनोज व्यास

03, दिसंबर, 2018 वार-सोमवार

पंचांग

तिथि – एकादशी 13:07
नक्षत्र – चित्रा 26:45

करण –
बालव –13:07
कौलव – 24:35
पक्ष – कृष्ण
योग – सौभाग्य 25:25
वार – सोमवार
सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ
सूर्योदय – 07:05
चन्द्रोदय – 28:02
चन्द्र राशि – कन्या 14:57 तक
सूर्यास्त – 17:44
चन्द्रास्त – 15:16
ऋतु – हेमंत
हिन्दू मास एवं वर्ष
विक्रम सम्वत – 2075
मास – मार्गशीर्ष
शुभ और अशुभ समय
शुभ समय
सौभाग्य योग : यह योग सदा मंगल करने वाला होता है। नाम के अनुरूप यह भाग्य को बढ़ाने वाला है।
आज भूमि सबन्धित लेन देन करे !
अभिजित – 12:02 – 12:50
अशुभ समय
आज यात्रा टाले !
राहु काल – 07:30 – 09:00
दिशा शूल
दिशा शूल – पूर्व
परिहार – आज घर से दर्पण में मुँह देख कर निकले !
चोघडिया
अमृत – 07:4 – 08:34
शुभ – 09:45 – 11:05
चल – 13:46 – 15:06
लाभ – 15:06 – 16:26
अमृत – 16:26 – 17:44
चल – 17:44 – 19:27
आज उत्पन्ना एकादशी :
एकादशी का व्रत सभी व्रतों में सबसे महत्वपूर्ण है। मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी का व्रत किया जाता है। इस बार यह तिथि 3 दिसंबर दिन सोमवार को है। शास्त्रों के अनुसार, एकादशी एक देवी है, जिनका जन्म भगवान विष्णु से हुआ था। मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को देवी एकादशी प्रकट हुई थीं इसलिए इस एकादशी का नाम उत्पन्ना एकादशी हुआ। पद्मपुराण के अनुसार इस एकादशी के व्रत से धन-धान्य का लाभ और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस तरह एकादशी देवी हुईं उत्पन्न-
ग्रंथों के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु और मुर नामक राक्षस के बीच युद्ध हो गया था। युद्ध करते-करते भगवान विष्णु थक गए और बद्रीकाश्रम में गुफा में जाकर विश्राम करने चले गए। असुरराज मुर भगवान विष्णु का पीछा करते हुए गुफा में पहुंच गया। जब मुर ने भगवान विष्णु को निद्रा में लीन देखा तो उनको मारना चाहा। तभी भगवान विष्णु के शरीर से एक देवी प्रकट हुईं और उन्होंने मुर नामक राक्षस का अतं कर दिया। भगवान विष्णु देवी के कार्य से बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने कहा कि तुम मेरे शरीर से एकादशी के दिन उत्पन्न हुई हो इसलिए तुम्हारा नाम उत्पन्ना एकदाशी होगा। आज से हर एकादशी को मेरे साथ तुम्हारी भी पूजा की जाएगी। सभी व्रतों में तुम सबसे महत्वपूर्ण होगी और जो भी भक्त सभी एकादशी को व्रत रखेगा, उसे बैकुंठ धाम की प्राप्ति होगी।
एकादशी व्रत के लाभ-
एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं हैं।
जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता हैं। जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता हैं। एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवार वालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं। इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती हंै। धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती हैं। कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता हैं। परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती हैं। पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ। भगवान शिवजी ने नारद से कहा हैं । एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं हैं। एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता हैं। एकादशी को दिया जला के विष्णु सहस्त्रनाम पढ़ें। विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो 10 माला गुरुमंत्र का जप कर लें द्य अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे। महीने में 15-15 दिन में एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है।

आज का दिन और राशियों पर प्रभाव
मेष – सामान्य
वृषभ – शुभ
मिथुन – अशुभ
कर्क – सामान्य
सिंह – शुभ
कन्या – सर्वोत्तम
तुला – अशुभ
वृश्चिक – उत्तम
धनु – शुभ
मकर – शुभ
कुंभ – अशुभ
मीन – सामान्य

कौनसी राशि में बैठे हैं कौन से ग्रह
सूर्य – वृश्चिक
चंद्रमा – कन्या 14:57 उपरांत तुला
मंगल – कुंभ
गुरु – वृश्चिक अस्त
शुक्र – तुला
बुध – वृश्चिक मार्गी
शनि – धनु
राहु – कर्क
केतु – मकर