लॉयन न्यूज, नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में मोदी सरकार का पांचवां बजट पेश कर दिया है। उनके द्वारा पेश किया जा रहा यह बजट मोदी सरकार का अंतिम पूर्ण बजट है। वित्त मंत्री द्वारा बजट पेश किए जाने से पहले संसद ने दिवंगत सांसद चिंतामणी को श्रद्धांजलि दी।

अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा कि 2014 में जबसे हमारी सरकार ने सत्ता संभाली है, भारत अब दुनिया में सातवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है। भारत की अर्थव्यवस्ता 8 प्रतिशत के करीब है। 2018-19 में अर्थव्यवस्था 7.2 से 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। ईज ऑफ डुइंग बिजनेस के मामले में भारत ने 42 अंकों की छलांग लगाई है। सरकार द्वारा जीएसटी लागू करने से अप्रत्यक्ष कर प्रणाली आसान हुई है। ईज ऑफ डुइंग बिजनेस से हमारी सरकार ने आम और गरीब लोगों की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए ईज ऑफ लिविंग की तरफ कदम बढ़ाए हैं।

किसानों के लिए बड़े ऐलान

वित्त मंत्री ने बजट में गांव और किसानों के लिए बड़े ऐलान करते हुए कहा कि हमारा बजट इस बार ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर केंद्रित रहेगा। सरकार का फोकस गांवों के विकास पर रहेगा। जेटली ने कहा कि सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। देश में कृषि उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर है और 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य है। किसानों और गांवों के लिए दो बड़े ऐलान करने हुए कहा कि सरकार 2 हजार करोड़ की लागत से कृषि बाजार बनाएगी वहीं खरीफ फसलों का समर्थन मुल्य उत्पादन मुल्य से डेढ़ गुना होगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ऑपरेशन ग्रीन शुरू करेगी। किसानों का क्रेडिट कार्ड पशुपालकों और मछली पालकों को भी मिलेगा, आलू, टमाटर और प्याज के लिए 500 करोड़ा का प्रवाधान। 42 मेगा फूड पार्क का प्रस्ताव। बांस को वन क्षेत्र से अलग किया। 1290 करोड़ की लागत के राष्ट्रीय बांस मिशन। मछली और पशुपालन के लिए दो नए फंड। खेती के लिए कर्ज के लिए 11 लाख करोड़ का प्रस्ताव। बजट पेश करने के लिए वित्त मंत्री अपने आवास से संसद भवन के नॉर्थ ब्लॉक में अपने मंत्रालय से बजट का पिटारा लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने के बाद संसद भवन पहुंचे।

इस बीच संसद में बजट पेपर भी लाए गए । वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बजट के लिए संसद भवन पहुंच चुके हैं। इस बार के बजट में वित्त मंत्री के सामने चुनौतियों का पहाड़ खड़ा है। उन्हें लोकप्रिय कदमों के साथ वित्तीय विवेक का परिचय देते हुए इस मुश्किल डगर को पार करना है। इस साल होने वाले तीन भाजपा शासित राज्यों के चुनाव और अगले वर्ष आम चुनाव से पहले यह बजट महत्वपूर्ण होगा।

आजादी के बाद पहली बार हिंदी में होगा बजट भाषण

वित्त मंत्री अरुण जेटली परंपरा तोड़ते हुए अपना बजट भाषण हिंदी में भी पेश कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक नरेंद्र मोदी सरकार का मानना है कि इसके जरिए ग्रामीण जनसंख्या से सीधा जुड़ा जा सकेगा। ऐसा हुआ तो अरुण जेटली आजादी के बाद हिंदी में बजट भाषण देने वाले पहले वित्त मंत्री बन जाएंगे।

गुजरात से लेंगे सबक, कृषि पर हो सकता है जोर
हाल ही में गुजरात विधानसभा चुनाव में ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा का जनाधार कमजोर होने से सबक लेकर जेटली बजट में कृषि क्षेत्र पर सर्वाधिक जोर दे सकते हैं। इसके लिए वह मनरेगा जैसी योजना का आवंटन बढ़ाने के साथ ग्रामीण आवास, सिंचाई परियोजनाओं व फसल बीमा का वित्तीय आवंटन बढ़ा सकते हैं।

छोटे व्यापारी पाएंगे राहत

देश के छोटे व्यापारियों को भाजपा का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है। जीएसटी व नोटबंदी से यह बुरी तरह आहत हुए हैं। जेटली उनके लिए कुछ राहत का मरहम लगा सकते हैं। कर छूट बढऩे की आस आम आदमी को बजट में आयकर छूट की मौजूदा सीमा 2.50 लाख रुपए से ज्यादा होने की आस है।

चार साल से मंद पड़ी विकास दर को बढ़ाने के लिए जेटली हाईवे और रेलवे के आधुनिकीकरण की बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं पर खर्च बढ़ा सकते हैं।

बजट घाटे पर काबू जरूरी

तमाम योजनाओं, परियोजनाओं के लिए आवंटन बढ़ाने के साथ वित्त मंत्री की चुनौती एशियाई देशों में सर्वाधिक देश के बजट घाटे को काबू में रखना बड़ी चुनौती होगी। अन्यथा देश वैश्विक निवेशकों व क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की दृष्टि में गलत दिशा में चला जाएगा। पिछले साल ही इन एजेंसियों ने भारत को उत्तम (सावरेन) ग्रेड दी है। चालू वित्त वर्ष के लिए जेटली ने राजस्व घाटा 3.2 फीसदी और 2018-19 के लिए 3 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है।

पांच बड़ी चुनौतियां

1.खेती-किसानी का संकट।

2.रोजगार पैदा करना।

3.विकास दर बढ़ाना।

4.वित्तीय संतुलन।

5.तीन भाजपा शासित राज्यों समेत आठ राज्यों में विस चुनाव व अगले वर्ष आम चुनाव।

15 साल में 50 हजार से 2.5 लाख हुई आयकर छूट सीमा, 3 साल से यथास्थिति

वित्त वर्ष 1999-2000 के लिए आयकर छूट की सीमा रुपए 50 हजार रुपए तय की गई थी, जो धीरे-धीरे बढ़ते हुए वित्त वर्ष 2014-15 में 2.5 लाख रुपए हो गई। उसके बाद पिछले 3 वर्षों से करदाता छूट सीमा बढऩे की उम्मीद लगाए बैठे हैं। वित्त वर्ष 2018-19 के लिए आयकर छूट सीमा बढऩे की पूरी उम्मीद है। इसके कई कारण हैं, मसलन सातवें वेतनमान की वजह से सरकारी कर्मचारियों की आय में अच्छा-खासा इजाफा हुआ है और 2018 चुनावी वर्ष है। ऐसे में केंद्र सरकार चाहेगी कि आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर सभी वर्गों के करदाताओं को खुश किया जाए।

स्टैंडर्ड डिडक्शन की वापसी संभव

ऐसे करदाता, जिनकी वेतन से आय 5 लाख रुपए तक हुआ करती थी, उन्हें वित्त वर्ष 2004-05 तक आयकर की गणना से पहले स्टैंडर्ड डिडक्शन (मानक कटौती) की छूट दी जाती थी। यह छूट, प्राप्त वेतन का 40 फीसदी या 30 हजार (दोनों में से जो कम हो) के बराबर दी जाती थी। स्टैंडर्ड डिडक्शन की छूट देने का उद्देश्य यह था कि व्यापारी वर्ग को तो व्यवसाय से आय के लिए होने वाले खर्च की संपूर्ण छूट मिल जाती है, लेकिन वेतन पाने वाले करदाता को “परफॉर्मेंस ऑफ ड्यूटी” पर होने वाले खर्च की छूट नहीं मिलती। इसीलिए उन्हें वेतन में से मानक छूट देने की व्यवस्था की गई थी। वित्त वर्ष 2005-06 से स्टैंडर्ड डिडक्शन की छूट बंद कर दी गई है, लेकिन इस बजट से उम्मीद है कि यह छूट बहाल कर दी जाएगी।

धारा 80-सी के तहत छूट सीमा बढऩे की उम्मीद

जीवन बीमा पॉलिसी के प्रीमियम, स्कूल फीस, पीएफ, एनएससी और होमलोन के भुगतान जैसे खर्च एवं अन्य निवेश पर कुल आय में से 1.5 लाख रुपए तक की छूट आयकर की धारा 80-सी के तहत दी जाती है। फिर शेष आय पर टैक्स की गणना की जाती है। अधिकांश करदाता इस छूट का लाभ लेते हैं, लेकिन अधिकतम छूट की रकम 1.5 लाख रुपए ही है। करदाता इस उम्मीद में हैं कि इस बजट में छूट की यह राशि बढ़ा दी जाएगी।