कोटा। .   सुल्तानपुर के जंगल में पिछले दिनों हुई बाघिन टी-35 की मौत की फोरेंसिंक जांच रिपोर्ट जयपुर से कोटा आ गई। एफएसएल द्वारा वन्यजीव विभाग के अधिकारियों को इस संबंध में सूचित कर दिया गया है। एफएसएल सूत्रों के अनुसार जयपुर से आई जांच रिपोर्ट और कोटा द्वारा की गई जांच एक ही निर्णय की और इशारा कर रही है कि बाघिन की मौत जहर से नहीं हुई।सूत्रों ने बताया कि पहले कोटा की जांच में यह पुष्टि हो गई थी कि बाघिन में किसी तरह का जहर नहीं था, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए इसके विसरा को जयपुर भेजा गया और वहां से भी जांच करवाई गई। जयपुर से जांच रिपोर्ट गुरुवार को कोटा पहुंची। इसके बाद इसका अध्ययन किया गया। दोनों जांच रिपोर्ट में किसी तरह का जहर होना नहीं पाया गया। जहर नहीं होने के बाद अब बाघिन की मौत का इशारा किसी चोट की तरफ जा रहा है।ऐसा माना जा रहा है कि जिस समय बाघिन ने शिकार किया था, संभवत उस समय पेड़ या किसी पत्थर से उसके सिर पर जोरदार चोट लग सकती है। इसका असर जब तक होता तब तक बाघिन शिकार को घसीट कर ले गई और जितना खा सकती थी, उतना खाया। इसके बाद चोट के असर से वो गिर गई और वहीं मौत हो गई।

इस पर भी सवाल

सिर में चोट की आशंका तो जताई जा रही है, लेकिन यह बात साबित कैसे होगी, यह भी बड़ा सवाल है। पोस्टमार्टम के दौरान वन्यजीव विभाग के डॉक्टरों ने सिर के हिस्से का कोई सेम्पल नहीं लिया। इस संबंध में रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टर ही अपनी टिप्पणी के आधार पर किसी निर्णय पर पहुंच सकते हैं। इस मामले में एक विसरा जांच के लिए बरेली भी भेजा गया है, जिसकी रिपोर्ट आने में अभी तीन महीने और लग सकते हैं।