हस्तक्षेप

– हरीश बी. शर्मा
आम चुनावों के दूसरे चरण के लिए हुए मतदान में राजस्थान का मतदान प्रतिशत अपेक्षाकृत पहले चरण के उछला है, लेकिन फिर भी 2019 के आम चुनावों के मुकाबले कम ही रहा है। यह कांग्रेस और भाजपा के लिए कितना महत्वपूर्ण होगा, यह तो चार जून को ही पता चलेगा, लेकिन जिस तरह से बाड़मेर और बांसवाड़ा में मतदान 70 प्रतिशत से अधिक पहुंचा है, चकित कर देने वाला है, क्योंकि ये दोनों ही सीटें ऐसी हैं जहां मुकाबला त्रिकोणीय बन चुका था। बाड़मेर में रवींद्रसिंह भाटी ने निर्दलीय ताल ठोककर राजपूत वोटों का धु्रवीकरण किया तो दूसरी ओर बांसवाड़ा में राजकुमार रोत ने भारत आदिवासी पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ते हुए मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया। बांसवाड़ा में कांग्रेस के सामने असमंजस की स्थिति रही वहीं भाजपा ने चुनाव तो लड़ा, लेकिन हवा भारत आदिवासी पार्टी की बही।

ऐसे में बड़ा सवाल यह भी उभर कर आ रहा है कि अगर बेहतर नेतृत्त्व हो तो जनता भाजपा या कांग्रेस से अधिक निर्दलीय प्रत्याशी को भी समर्थन के लिए उमड़ सकती है। इसे रवींद्रसिंह भाटी के परिप्रेक्ष्य में तो देखा जा ही सकता है, भारत आदिवासी पार्टी के प्रत्याशी राजकुमार रोत के संदर्भ में भी देखा जा सकता है, जिसे आखिरी समय में कांग्रेस से समर्थन देने का फैसला करना पड़ा। यह दीगर है कि इस दौरान कांग्रेस के प्रत्याशी ने जो पर्चा दाखिल किया वह नहीं उठाया।

राजस्थान के परिप्रेक्ष्य की बात करें तो जिस तरह इन दोनों सीटों पर बंपर वोटिंग हुई है, उसे देखते हुए यह संदेश जा रहा है कि जनता को नई लीडरशिप की जरूरत है। जनता चाहती है कि उन्हें स्थानीय समस्याओं पर बात करने वाला प्रत्याशी मिले, जो न सिर्फ दबंग हो बल्कि कांग्रेस या भाजपा जैसी बड़ी पार्टियों से पंजा भिड़ाने की ताकत भी रखता हो। रवींद्रसिंह भाटी और राजकुमार रोत ने यह कर दिखाया। परिणाम चाहे कुछ भी हो, लेकिन सभी ने देखा कि बाड़मेर की सीट पर तो भाजपा ने प्रदेश में सबसे अधिक ताकत झौंक दी।

राजनेताओं की सभाओं की बात ही छोड़ें यहां धीरेंद्र शास्त्री भी आए तो राजपूतों को रिझाने कंगना रनौत और जाटों को लुभाने के लिए सन्नी देओल तक को बुला लिया गया। प्रदेश में सबसे महत्वपूर्ण चुनाव बाड़मेर का बन गया और राजस्थान के चुनाव परिणामों में भले ही यह सवाल महत्वपूर्ण रहेगा कि अपने लक्ष्य से भाजपा कितना पिछड़ी, लेकिन इससे पहले सभी की नजर बाड़मेर लोकसभा सीट पर रहेगी। निश्चित रूप से दूसरी सीट बांसवाड़ा होगी, जहां हुई वोटिंग ने मतदाताओं का उत्साह जता दिया है।
हालांकि, दूसरे चरण का मतदान पहले चरण से अधिक हुआ है, जिसे सत्ता विरोधी भी कहा जा सकता है और राजनीतिक पार्टियों के अतिरिक्त श्रम का परिणाम भी। भाजपा ने खासतौर से मतदान बढ़ाने को लेकर अपने संगठन को नये सिरे से निर्देश दिए थे, इसे भी मतदान प्रतिशत बढऩे की वजह माना जा सकता है। बहरहाल, राजस्थान में आम सभा के चुनाव संपन्न हो चुके हैं। पहले चरण में 12 और दूसरे चरण में 13 सीटों पर हुए चुनावों के बाद अब राजस्थान को इंतजार है तो चुनाव परिणामों का, जिसके लिए अप्रैल के बचे हुए तीन दिन, पूरा मई और जून के चार दिन भी इंतजार करना होगा।

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