हरीश बी शर्मा, कथारंग वार्षिकी के संपादन को लेकर हिंदी जगत में बेहद चर्चित नाम है।राजस्थानी भाषा के बेहतरीन कथाकार हरीश बी शर्मा ने हिंदी कथा साहित्य को भी अपनी कृतियों से समृद्ध किया है।उनका नया भारी भरकम हिंदी उपन्यास “श्रुति शाह कॉलिंग” गायत्री प्रकाशन बीकानेर से आया है।कुल 464 पृष्ठ का यह उपन्यास रोचक है।इसका मूल्य तीन सौ निन्यानवे रुपए है।

उपन्यास का प्रारंभ निखिल चौधरी के रेतीले धोरों पर ऊंट के साथ अठखेलियां करने के स्वप्न से होती है।जिसमें एक रूपसी भी प्रकट होती है।नींद खुलते ही वह यथार्थ से साक्षात्कार करता है।निखिल जिसकी पत्नी सुनीता उसी के फ्लैट में किसी और की बाहों में होती है और अंततः उसे छोड़कर अपने प्रेमी के साथ चली जाती है।फिर बैंक की अधिकारी श्रुतिशाह से उसकी मुलाकात होती है जो बेहद बिंदास है।वह उसके साथ रहने लगती है इस शर्त पर कि निखिल उसके साथ सिंगापुर चलेगा,जहां वह अपने पहले प्यार को खोजने जाने वाली है।श्रुतिशाह ने पहले प्यार को खोजने के लिए उस पति का घर छोड़ दिया,जिसे उसके प्यार के बारे में सब पता था।उसके घर छोड़ते ही पति ने आत्महत्या कर ली थी।श्रुतिशाह विधवा है जिसकी एक बेटी भी है,जो जयपुर में पढ़ रही है।उसकी सास ने बेटी को पाला है।

निखिल और श्रुतिशाह दोनों एक दूसरे की बीती हुई जिंदगी को साझा भी करते हैं।श्रुतिशाह सिंगापुर जाने के लिए अपनी शानदार नौकरी भी छोड़ देती है क्योंकि उसे छुट्टी नहीं मिल रही थी। सभी दोस्तों की उलझी हुई सी कहानियां हैं।निखिल के दोस्तों की कहानी भी उसकी कहानी के साथ साथ चलती है।गिरधर दिल्ली में अपने दोस्तों को अन्ना आंदोलन के दौरान काम दिलाता है।दोस्त उसके साथ पत्रकार के रूप में काम करते हैं।कई तरह के डाटा जुटाने का काम भी है।गिरधर के साथ एक फॉर्म हाउस के केयर टेकर की पत्नी सांवरी भी दिल्ली आई है।इसी फॉर्म हाउस पर गिरधर और उसके साथियों ने कई बार मस्ती की है।सांवरी के साथ दोस्तों के जिस्मानी रिश्ते भी रहे हैं।पर दिल्ली में गिरधर उसी सांवरी को पत्नी की तरह रखता है,जो अपने बच्चों के भविष्य के लिए सब कुछ सहती है।गिरधर भावनात्मक रूप से कमजोर है,इसलिए सांवरी उसकी देखभाल करती है।बदले में मोटी रकम मिलती है।

सिंगापुर पहुंच कर श्रुतिशाह अपने प्रेमी को पहचान लेती है जो योग और आध्यात्मिक प्रवचन देने वाला प्रसिद्ध संत है।वह भी श्रुतिशाह को पहचान लेता है और उसे आसान पर राधिका कहकर बैठाता है।श्रुतिशाह निखिल को होटल में अचानक छोड़ कर अपने पुराने प्रेमी के पास चली गई इसलिए निखिल स्तब्ध है।

उपन्यास का फलक बहुत बड़ा है।उपन्यास में छोटे और बड़े सौ से ज्यादा अध्याय हैं।कोई कोई तो एक पृष्ठ का ही अध्याय है।अध्यायों को एक नाम दिया गया है,जो सार्थक है। जैसे रंग,  अहसास, वेलकम, पंख,मार्ग आदि। हर अध्याय की समाप्ति पर लेखक ने एक टिप्पणी की है,जो उस अध्याय के लिए संदेश भी है।ये टिप्पणियां उपन्यास को महत्वपूर्ण बनाती हैं।उपन्यास में बीकानेर शहर जीवंत हो उठता है।पर जितना बोल्ड उपन्यास लिखा गया है,उतना बोल्ड अभी तक बीकानेर नहीं हो पाया है।जयपुर के साहित्योत्सव का चित्रण भी है।इन पंक्तियों के लेखक का सौभाग्य है,उसने तीन साल तक बीकानेर में प्रवास किया है।इसलिए बीकानेर शहर को सामने रखकर ही उपन्यास पढ़ना शुरू किया है।

उपन्यास की भाषा का प्रवाह उपन्यास के अनुरूप है।राजस्थानी भाषा के शब्द अनायास आ गए हैं।उपन्यास किसी लंबी हिट फिल्म की तरह रोचक है।हिंदी साहित्य में इसका मूल्यांकन समय करेगा।हरीश बी शर्मा को इस उपन्यास के लिए बधाई और शुभकामनाएं।मुझे उपन्यास भेजने के लिए आत्मीय आभार।

– अरविंद तिवारी
इस आलेख के लेखक चर्चित कवि एवं समीक्षक है।

गायत्री प्रकाशन, बीकानेर से प्रकाशित

464 पृष्ठ पैपरबैक संस्करण 

मूल्य 399/- रुपये  

सम्पर्क: 8279206182