नेशनल हुक
हरियाणा में लोकसभा चुनाव के बीच में हुए बड़े उलटफेर ने प्रदेश के पूरे राजनीतिक परिदृश्य को हिलाकर रख दिया है। भाजपा ने एन्टीनकम्बेंसी व किसानों के गुस्से को शांत करने के लिए मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री पद से हटाया और सैनी को बिठाया। इस फेरबदल से भाजपा खिसके जाट वोट की भरपाई करना चाहती थी। ओबीसी वोट बैंक को अपनी तरफ लाने के लिए ही भाजपा ने ये परिवर्तन किया।
मगर अब सब उल्टा हो गया है। भाजपा के 3 निर्दलीय विधायकों सोमबीर सांगवान, रणधीर गोलेन व धर्मपाल गौन्दर ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया और कांग्रेस के साथ हो गये। हरियाणा की भाजपा सरकार गिरेगी या बचेगी, अब ये विषय बड़ा नहीं है। बड़ी बात है कि भाजपा का लोकसभा चुनाव का पूरा टेम्पो इससे प्रभावित हो गया है।
किसान, जाट तो पहले से ही भाजपा व जेजेपी के विरोध में उतरे हुए हैं। कई गांवों में तो भाजपा उम्मीदवारों को कड़े विरोध का सामना करना पड़ा है। ग्रामीणों ने उन उम्मीदवारों को गांव में घुसने तक नहीं दिया और गांव की सीमा से ही वापस लौटा दिया। जो व्यक्तिगत रसूक से गांवों में पहुंचे उनसे ग्रामीणों व किसानों ने तीखे सवाल किए, जिनके जवाब वे नहीं दे पाये। किसान आंदोलन का व्यापक असर पंजाब के बाद हरियाणा में ही दिख रहा है। यहां के किसान पंजाब के किसानों के साथ थे और सरकार की कड़ाई उन्होंने भोगी हुई है।
हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों पर फिर से वही प्रदर्शन दोहराना अब भाजपा के लिए चुनोती है। जिन तीन निर्दलीय विधायको ने अपने को भाजपा से अलग किया है, वे लोकसभा चुनाव पर भी व्यापक असर डालेंगे। पूर्व सीएम हुड्डा ने लोकसभा चुनाव की रणनीति के अनुसार ही इन विधायकों को तोड़ा और कांग्रेस से जोड़ा है। सोमबीर का कांग्रेस के साथ आना रोहतक में पार्टी को बड़ा फायदा देगा। ये केवल भाजपा से अलग होते तब भी स्थिति उतनी नहीं बिगड़ती, मगर अलग होकर कांग्रेस के साथ आने से भाजपा पर ज्यादा असर पड़ा है।
भाजपा सरकार ने बाकी निर्दलीयों को तो सरकार बनते ही एडजेस्ट कर लिया मगर इन तीनों को वो नहीं साध पाई, उसी का फायदा कांग्रेस ने उठाया। भाजपा पर अब दोहरी मार पड़ी है। उसे अब अपनी हरियाणा सरकार को भी सुरक्षित करने में लगना पड़ा है। जिससे चुनाव प्रचार तो डिस्टर्ब हुआ ही है और पब्लिक परसेप्शन भी बिगड़ गया है। कुल मिलाकर 3 निर्दलीय विधायकों ने पाला बदल हरियाणा की लोकसभा चुनाव की स्थिति में भी बड़ा उलटफेर कर दिया है।
— मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘