• शशांक शेखर जोशी

महीनों की अटकलों के बाद देश के सुप्रसिद्ध व्यापारिक समूह टाटा ने आखिरकार एक सुपर ऐप लॉन्च करने के अपने सपने को साकार करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। मई और जून में 2 सप्ताह से लंबी अवधि के भीतर टाटा डिजिटल ने सुपर ऐप के रूप में ग्रोसर बिग बास्केट और फार्मेसी 1mg में क्रमशः 1.3 बिलीयन डॉलर और 230 बिलियन डॉलर तक हिस्सेदारी खरीदी है। इन दोनों सौदों के बीच एक और घोषणा हुई कि टाटा डिजिटल फिटनेस स्टार्टअप क्योरफिट हेल्थ केयर में 75 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी। यह भी खबर है कि डिजिटल हाइपरलोकल कंसियज सर्विस डंजो में निवेश के लिए भी बातचीत चल रही है। सितम्बर तक टाटा समूह डिजिटल बाजार में एक सुपर एप के माध्यम से अपनी जबरदस्त उपस्थित दर्ज करवाने को प्रयासरत है। सुपर एप की तैयारी में टाटा डिजिटल ने एक तरह का वॉर चेस्ट तैयार किया है। नियामकीय फाइलिंग के अनुसार अप्रैल और मई में टाटा ने अपनी मूल कम्पनी टाटा संस समूह की प्रमुख होल्डिंग कंपनी से 4650 करोड़ रुपये जुटाए हैं। टाटा डिजिटल के बोर्ड जिसके पास अभी तक किसी प्रकार का कोई कर्ज नहीं है, ने भी मई में अपने व्यापार के प्रस्तावित मॉडल के लिए 5000 करोड़ रुपए तक की उधार सीमा को मंजूरी दे दी है।

टाटा डिजिटल के मुख्य कार्यकारी प्रतीक पाल ने लगभग तीन दशक टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज में बिताए और वे वहां रिटेल और कंजूमर प्रोडक्ट वर्टिकल का हिस्सा थे ।कंपनी के मुख्य उत्पाद अधिकारी हरविंदर सिंह जनवरी 2020 में वैश्विक भुगतान की दिग्गज कंपनी मास्टरकार्ड को छोड़कर टाटा डिजिटल में शामिल हुए, इसके साथ ही क्योर फीट के सह संस्थापक और सीईओ मुकेश बंसल भी अब टाटा डिजिटल के अध्यक्ष होंगे।

बाजार के कई जानकार टाटा के इस कदम को डिजिटल बाजार में रिलायंस के साथ सीधी टक्कर के रूप में परिभाषित करते हैं। जहां रिलायंस किराना व्यापार के लिए ई कॉमर्स क्षेत्र में जियो मार्ट के रूप में मौजूद है, वहीं फार्मेसी व्यवसाय में उसने सन फार्मा के स्वामित्व वाली नेटमेड्स का अधिग्रहण किया है। जानकारों को टाटा समूह के लिए यह राह संघर्ष भरी लगती है क्योंकि उन्हें ऐसा महसूस होता है कि बिग बास्केट, 1mg और क्योरफिट जैसे अलग-अलग प्लेटफॉर्म को एक जगह पर लाना शायद टाटा के लिए मुश्किल हो और निकट भविष्य में वह कोई कमाल ना कर पाए। अब अगर देखा जाए तो रिलायंस समूह के जिओ मार्ट और नेटमेड्स की प्रतिस्पर्धा में टाटा समूह बिग बास्केट और 1mg जैसे ब्रांड लेकर उतर रहा है, किंतु क्योरफिट के मामले में यह प्रतिस्पर्धा से जुदा दिखाई देता है। हालांकि टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा क्योरफीट जैसी कंपनी के शुरुआती निवेशकों में से एक है।

जिन लोगों को टाटा की इस राह में चुनौतियां नजर आती हैं उन्हें यह जान लेना चाहिए कि 1 mg के पास अपनी बहुत मजबूत बैकएंड टीम है और क्योरफिट अपने क्षेत्र में देश की सबसे दिग्गज कम्पनी के तौर पर पहचानी जाती है। इन दोनों ने अपने अपने व्यापार से भारतीय डिजिटल बाजार में खासा दबदबा बना रखा है, साथ ही लोगों को यह भी जानने की आवश्यकता है कि जब तीन बड़ी कंपनियों का एकीकरण कर टाटा समूह सुपर ऐप की परिकल्पना कर रहा है तो टीसीएस जैसी दिग्गज आईटी कंपनी की पृष्ठभूमि वाला यह समूह किसी भी तरह से डिजिटल वॉर में पिछड़ने वाला नहीं है।

जहां तक इस बाजार की चुनौतियों से पार पाने के लिए टीम का सवाल आता है तो टाटा समूह के पास देश की सर्वश्रेष्ठ टीम मौजूद है। टाटा डिजिटल के मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी शोभित बनर्जी जहां ई-कॉमर्स उद्योग के सबसे बड़े नामों में शामिल है, वहीं अभिमन्यु लाल मुख्य डिस्ट्रीब्यूशन अधिकारी के तौर पर अपना अनुभव पेपर फ्राई जैसी ई-कॉमर्स कंपनी के शीर्ष नेतृत्वकर्ता के तौर पर रखते हैं और उन्होंने इबे जैसी ग्लोबल कंपनी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। टाटा संस के मुख्य डिजिटल अधिकारी आरती सुब्रमण्यम और टाटा स्ट्रैटेजिक मैनेजमेंट ग्रुप के सीईओ मोदन साहा भी अपनी-अपनी क्षमताओं के साथ सुपर टीम का मार्गदर्शन करने में जुटे हुए हैं।

कुछ लोगों को बाजार के आखिरी छोर पर बैठे उपभोक्ता तक टाटा की पहुंच में संशय नजर आता है क्योंकि उदाहरण के रूप में वे भारत की सबसे सस्ती कार टाटा नैनो की विफलता और मुख्यधारा के ब्रांड टाटा टी की आम उपभोक्ता तक पहुंच में समस्या को देखते हैं। हवाई यात्रा की जानी-मानी कंपनी विस्तारा एयरलाइंस (टाटा और सिंगापुर एयरलाइंस का एक संयुक्त उद्यम) और होटल श्रृंखला में ताज जैसे प्रीमियम ब्रांड उच्च आय वाले लोगों की पहुंच में होने से टाटा के प्रतिद्वंद्वी यह मानते है की यह संशय है कि टाटा का इस बार का कदम आम उपभोक्ता तक उसकी पहुंच को मुमकिन बनाएगा।

कुशल नेतृत्व, दृढ़ संकल्प और अपनी साख को लेकर जागरूक टाटा समूह की भारतीय उपभोक्ताओं के मन में एक सकारात्मक छवि पहले से मौजूद है। इसीलिए टाटा के किसी भी व्यापारिक कदम को आम आदमी नकारात्मकता से जोड़ कर नहीं देखता है, वहीं ग्राहकों के बीच में साख बनाने को लेकर टाटा समूह के पास किसी तरह का कोई संघर्ष भी नहीं है। जहां तक तकनीक आधारित चुनौतियों पर बाजार को संशय है तो टीसीएस जैसी मजबूत तकनीकी कंपनी टाटा समूह के ताज में एक चमकते हुए हीरे के तौर पर जानी जाती है और जानकारों का मानना है कि टीसीएस की पृष्ठभूमि के कारण सुपर ऐप की परिकल्पना में टाटा समूह को ज्यादा तकनीकी परेशानियां नहीं आने वाली।

वर्तमान में ई कॉमर्स जब बाजार के मुख्य विकल्प के रूप में उभर रहा है तब इसके जरिए उपभोक्ताओं के ठगे जाने के मामले भी आए दिन सामने आता रहते हैं। किंतु टाटा जैसे सकारात्मक छवि वाले व्यापारिक समूह का वृहद स्तर पर इस बाजार में उतरने के प्रयासों को सुनकर आम उपभोक्ता विश्वसनीयता की उम्मीद अवश्य कर सकता है। अब देखना यह है कि ई कॉमर्स के नए अवतार में टाटा समूह भारतीय बाजार में अपनी क्या जगह बना पाता है?