लॉयन न्यूज। राजस्थान हाईकोर्ट ने बुधवार को प्रशासन शहरों के संग अभियान में सेक्टर-जोनल प्लान नोटिफाइड किए बगैर पट्टे जारी करने पर रोक लगा दी है। अब किसी भी गांव या शहर में इसके तहत कॉलोनी या निर्माण का पट्टा जारी नहीं किया जा सकेगा। प्रदेश में इन दिनों प्रशासन गांव के संग व शहर के संग अभियान चलाकर अनाधिकृत कॉलोनियों को रेगुलराइज करने का अभियान चल रहा है। कोर्ट के इस फैसले से राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है।

हाईकोर्ट में बुधवार को रोशन व्यास की याचिका पर सुनवाई हुई। न्यायाधीश संगीत राज लोढ़ा व न्यायाधीश मनोज कुमार गर्ग की बेंच के समक्ष मास्टर प्लान के नोटिफाइड हुए बगैर पट्टे बांटने पर सवाल उठाया गया था। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मनोज बोहरा ने पक्ष रखते हुये हाईकोर्ट को बताया कि सरकार प्लान के अनुसार पट्टे जारी नहीं कर रही है। कोर्ट ने पूर्व में जारी आदेश में सेक्टर प्लान, जोनल प्लान और मास्टर प्लान के अनुसार प्लान तैयार करने के निर्देश दिए थे।

 

प्रत्येक शहर या कस्बे का जोनल व सेक्टर प्लान नोटिफाइड होना अनिवार्य- खंडपीठ
खंडपीठ ने कहा कि वर्ष 2017 व वर्ष 2018 में इस कोर्ट की तरफ से जारी आदेश की अवहेलना न की जाए। खंड पीठ ने कहा कि प्रत्येक शहर या कस्बे का जोनल व सेक्टर प्लान नोटिफाइड होना अनिवार्य है। साथ ही यह मास्टर प्लान के साथ जुड़ा हो। इसके बगैर किसी तरह के निर्माण या कॉलोनी को रेगुलराइज नहीं किया जा सकता है। खंडपीठ ने कहा कि सड़कों की चौड़ाई सहित अन्य सुविधाओं के बारे में इस कोर्ट की तरफ से पूर्व में जारी आदेश की सख्ती से पालना हो। मामले की अगली सुनवाई अब 22 अक्टूबर को होगी।

 

उल्लेखनीय है कि राजस्थान की गहलोत सरकार ने 2 अक्टूबर से प्रशासन शहरों और गांवों के संग अभियान की शुरुआत कर रखी है। इस अभियान के तहत राज्य के स्वायत्त शासन एवं नगरीय विकास विभाग ने पूरे प्रदेश में 10 लाख पट्टे दिये जाने का लक्ष्य रखा है। इनमें से विभाग ने तीन दिन में 80 हजार पट्टे जारी भी कर दिए गए हैं। वहीं अधिकांश स्थान पर सेक्टर व जोनल प्लान नोटिफाइड ही नहीं हुए है। ऐसे में राज्य सरकार की पट्टे जारी करने की योजना को धक्का लगा है।