बालेसर/जोधपुर।   बालेसर व शेरगढ़ उपखण्ड क्षेत्र में अवैध कपड़ा धुलाई की फैक्ट्रियों का संचालन बंद नहीं हो पा रहा है। जिला कलक्टर की ओर से अवैध कपड़ा धुलाई की फैक्ट्रियों को बंद करवाने के निर्देश दिए जाने के बावजूद भी स्थानीय अधिकारियों की कथित मिलीभगत व अनदेखी से वे बेखौफ चल रही है।बालेसर व शेरगढ़ उपखण्ड क्षेत्र में बालेसर, कुई, सेखाला, खिरजा, केतु, बेलवा, साई, तेना, भूंगरा सहित कई गांवों में अवैध कपड़ा धुलाई के कारखाने चल रहे हैं। बालोतरा में एनजीटी की रोक के बाद इस क्षेत्र में यह धंधा फलने-फूलने लगा है। इन कपड़ा धुलाई कारखानों के रासायनिक युक्त पानी से कुई गांव में तालाब व भूमिगत पेयजल दूषित होने पर लोगों ने तीन माह पूर्व जिला कलक्टर से शिकायत की थी। तब तत्कालीन कलक्टर ने उपखण्ड अधिकारी व तहसीलदार को तुरन्त प्रभाव से सब अवैध कपड़ा ध्ुालाई के कारखाने सीज कर जमीन की किस्म खारिज करने के निर्देश दिए। तब बालेसर तहसीलदार दलपतसिंह ने तीन कारखानों को बन्द करवाकर कपड़ा जब्त किया था। लेकिन बाद में कारखानों के संचालकों द्वारा स्टाम्प पेपर पर पुन: कारखाना शुरू नहीं करने के शपथ पत्र पेश करने व जब्त कपड़ा अग्रिम आदेश तक किसी को नहीं बेचने की सहमति पर तहसीलदार ने जब्त कपडा वापस सौंपा था।

परिवाद पेश किया

कलक्टर के निर्देश की पालना में बालेसर तहसीलदार ने गत 23 अक्टूबर को बालेसर व उपखण्ड क्षेत्र में 9 कारखानों के खिलाफ राजस्थान काश्तकारी अधिनियम की धारा 177 के तहत प्रकरण तैयार कर परिवाद उपखण्ड अधिकारी बालेसर व शेरगढ को भेजा था। इस परिवाद को दर्ज कर काश्तकारों को नोटिस देकर काश्तकारी जमीन की किस्म खारिज कर जमीन राज्य सरकार के नाम करवाने का प्रावधान है। लेकिन उपखण्ड अधिकारी ने इस पर कार्रवाई करने की बजाए ठंडे बस्ते में डाल दिया। जिससे यह अवैध कारोबार फिर फलने लग गया।