जयपुर। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा था कि एक इंजीनियर की गलती ईंट और गारे में दब जाती है, एक डाॅक्टर की गलती मरीज के साथ चली जाती है, लेकिन एक शिक्षक की गलती राष्ट्र में झलकती है। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर का ये कथन आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना ये उस दौर में था। शिक्षा की ये अहमियत आज के दौर में युवा समझ रहे हैं और आने वाले पीढ़ी को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए लाखों की नौकरियों को छोड़ने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। ऐसे ही दो नौजवान हैं राहिल शेख और तीर्थराज भूटोरिया।आईआईटी कानपुर और उसके बाद आईआईएम अहमदाबाद से ग्रेजुएशन करने वाले 25 वर्षीय राहिल मूलरूप से राजस्थान के रहने वाले हैं। राहिल ने स्कूली पढ़ाई चित्तौडगढ़ में रहकर पूरी की। उनका मानना है कि राजस्थान में शिक्षा का स्तर बेहतर नहीं है। यही कारण है कि मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरू जैसे बड़े शहरों के युवाओं के सामने राजस्थान के युवा पिछड़ जाते हैं। ऐसे में उन्होंने स्टूडेंट्स को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए अपने साथी तीर्थराज भूटोरिया के साथ मिलकर झोटवाड़ा में प्री स्कूल ‘ज्ञान सारथी‘ की शुरूआत की है।28 वर्षीय तीर्थराज भूटोरिया ने एनआईटी त्रिचि से कंप्यूटर सांइस में डिग्री लेने के बाद करीब पांच सालों तक साॅफ्टवेयर डवलपर के रूप में एक मल्टीनेशनल कंपनी में जाॅब की। वे भी मूलरूप से राजस्थान के ही रहने वाले हैं। हालांकि शिक्षा के प्रति जुनून के चलते उन्होंने वो नौकरी छोड़ दी और शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले एक नामी एनजीओ के साथ अहमदाबाद में साल भर तक काम किया। ये वौ दौर था जब तीर्थराज ने छोटे बच्चों को पढ़ाया। इस दौरान उन्हें शिक्षा के क्षेत्र की समस्याओं से रूबरू होने का मौका मिला। वहीं राहिल ने आईआईएम अहमदाबाद से अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद प्लेसमेंट न लेकर शिक्षा के क्षेत्र में ही काम करने का फैसला किया।

ये है ‘ज्ञान सारथी‘ का उद्देश्य

राहिल कहते हैं कि ये वक्त ऐसा है जब शिक्षा बहुत महंगी होती जा रही है। ऐसे में ज्ञान सारथी का उद्देश्य सभी वर्गों के बच्चों को सस्ती शिक्षा उपलब्ध कराना है। साथ ही वे कहते हैं कि ज्ञान सारथी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराएगा जो कि उन्हें कहीं और मिलना मुश्किल है। उनका उद्देश्य बच्चों को एेसी शिक्षा देना है जिससे वे अपने जीवन में न सिर्फ सफल हों बल्कि खुश रहें आैर जिम्मेदार नागरिक बनें।ज्ञान सारथी प्री स्कूल में गतिविधियों को इस तरह से डिजाइन किया गया है ताकि बच्चे स्कूल के नाम से डरें नहीं और उसे पसंद करें। कई वर्षों के शोध के बाद बच्चों के लिए ऐसा पाठ्यक्रम डिजाइन किया गया है जिससे कि बच्चे अपने चुने हुए क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन करें। साथ ही यहां पर कक्षा एक से छह तक के बच्चों के लिए एक एक्टिविटी एवं डवलपमेंट सेंटर भी खोला गया है, जिसमें बच्चों को तीन अलग-अलग तरीकों से गणित और अंग्रेजी को बेहतर करने के गुर सिखाए जाते हैं।

आगे क्या…….

राहिल और तीर्थराज जयपुर में इस तरह के कई काॅन्सेप्ट स्कूल खोलना चाहते हैं, ताकि यहां के बच्चे दूसरे शहरों के बच्चों की तरह अपनी प्रतिभा के साथ न्याय कर सकें। साथ ही उनका इरादा ‘ज्ञान सारथी’ काे आगे बढ़ाते हुए कक्षा 12 तक विस्तार का है।