पढ़ें पूरी साइड स्टोरी
लॉयन न्यूज, बीकानेर। बीकानेर की मुक्ताप्रसाद कॉलोनी के एक घर में युवती दस से साल से कैद है। कैद भी ऐसी जैसे जेल मगर चौंकाने वाली बात यह है कि आज तक इस युवती की स्थिति सुधारने का कोई प्रयास नहीं हुआ। वहीं साइड स्टोरी यह है कि पार्षद चेतना डोटासरा के पति सुरेंद्र डोटासरा व मौहल्ले वासियों ने पुलिस को शिकायत कर युवती को मुक्त करवाकर उसका इलाज आदि करवाने की अर्जी लगाई तो मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने कैद करने वाले पिता व विक्षिप्त की बहन से बात कर करीब दस मिनट के अंदर ही पार्षद की शिकायत को सिरे से खारिज कर दिया। सुरेंद्र डोटासरा की शिकायत पर लॉयन एक्सप्रेस ने मौके पर पहुंच कर पड़ताल की। इस दौरान आस-पास के कई निवासियों से बात तो सामने आया कि वाकई में यह युवती पिछले करीब दस साल से घर में कैद है। इस घर में पिता व दोनों बेटियां रहती है, वहीं बेटी की मां मौहल्ले में सामने की ओर बने दूसरे घर में अकेली रहती है। कैद युवती के पिता व मां सरकारी नौकरी से रिटायर्ड हो चुके हैं, अब पेंशन आती है। वहीं दोनों बेटियां भी शिक्षित बताई जा रही है। यहां चौंकाने वाली साइड स्टोरी यह है कि इनकी कोई सोशल लाइफ नहीं है। मौहल्ले वासियों का कहना है कि जिस बेटी को कैद किया गया है वह छोटी बेटी है जिसकी उम्र करीब तीस से पैंतीस साल होनी चाहिए। पिता व बड़ी बेटी जब घर से जाते हैं तो बाहर से ताला लगाकर जाते हैं, और ये छोटी बेटी एक जालीदार छोटी सी खिड़की से बाहर की ओर देखती रहती है। वहीं जब ये दोनों अंदर जाते हैं तो अंदर ताला लगा देते हैं। ना तो वर्षों से इनके यहां कोई मेहमान आया और ना ही ये कहीं जाते हैं। हालांकि आरोप है कि पिता का तांत्रिकों के यहां आना-जाना है। ये साइड स्टोरी जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे कि इस घर में रात बारह बजे बाद धुंआ-धुंआ होता है। हर दिन तो कभी कभी हर दूसरे दिन उपले(थेपड़ी) से भरे बोरे लाए जाते हैं। बताया जा रहा है कि यहां रात को हवन होता है। वहीं सामने के घर में अकेली रहने वाल मां कभी आए तो उसे अंदर नहीं घुसने दिया जाता। बल्कि घर के अंदर से पानी दरवाजे के बाहर फेंककर उसे भगा दिया जाता है। पार्षद पति का कहना है कि वह पिछले तीस-पैंतीस सालों से इस परिवार को जानते हैं। अच्छा खासा परिवार था। बताया जा रहा है कि पहले कैद युवती व मां के साथ सामने वाले घर में रहती थी, बाद में पिता उसे अपने यहां ले आया। आज जब लॉयन एक्सप्रेस तहकीकात कर रहा था, उसी दौरान पुलिस टीम मौके पर पहुंची। पुलिस के साथ जाकर जब देखा गया तो पता चला कि वाकई में घर की स्थिति दयनीय है। वहीं कैद की गई युवती के बाल ऐसे जैसे वर्षों से कंघी नहीं की हो। हालांकि महिला पुलिस अधिकारी ने अपने अनुभव का हवाला देते हुए कैद युवती की बड़ी बहन की बातों को सच मानते हुए पार्षद की शिकायत को मात्र दस मिनट में सिरे से खारिज कर दिया। युवती की बड़ी बहन ने महिला अधिकारी को कहा कि उसकी बहन बीमार है, इसलिए उसने शादी नहीं की व उसकी सेवा करती है। जहां पुलिस ने दस मिनट में दस सालों से कैदी बनीं युवती की स्थिति को उसके घर में मानवीय मान लिया है, वहीं लॉयन का सवाल है कि अगर युवती बीमार है तो बीकानेर संभाग के सबसे बड़े अस्पताल पीबीएम में उसका इलाज क्यों नहीं करवाया जा रहा है। पुलिस की खानापूर्ति की कार्रवाई से शिकायतकर्ता संतुष्ट नहीं है। साइड स्टोरी यह भी सामने आई है कि इस पिता व बड़ी बहन ने ही इस कैदी युवती व इसकी मां को विक्षिप्त बनया है। आरोप है कि एक संस्था इस युवती को देखने भी कई बार आई, जिसकी दी हुई दवाईयां तक इन्होंने बीमार युवती को नहीं दी। चौंकाने वाल बात यह कि आर्थिक रूप से ये परिवार कहीं भी पीडि़त नहीं है, इसके बावजूद यह स्थिति आखिर क्यों हुई? बताया जा रहा है कि सुरेंद्र ने पुलिस से पहले महिला एवं बाल कल्याण विभाग, एसडीएम व कलेक्टर तक को शिकायत की, लेकिन हर कोई एक नया दरवाजा दिखा देता है। जबकि यह बीकानेर का अतिसंवदेनशील मुद्दा है जिस पर बड़े अधिकारियों को खुद जांच करनी चाहिए। हालांकि नयाशहर एसएचओ ने अर्जी देेने के कुछ ही घंटों में पुलिस टीम भेजी लेकिन साफ देखा गया कि यह पुलिस टीम मामले को हवा करने की रवैये से आई और चली गई।